
अपनों की नाराजगी बढ़ा रही अखिलेश की मुश्किलें
लखनऊ. 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले अपनों की नाराजगी और बीजेपी के तीखे तेवरों ने अखिलेश यादव की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। सम्मान को लेकर मुलायम सिंह यादव के भावुक बयान के बाद शिवपाल यादव के कड़े रुख ने एक बार फिर यादव परिवार की पारिवारिक कलह को सतह पर ला दिया है। शनिवार को राजधानी में मुलायम ने कहा कि शायद अब मरने के बाद ही लोग मेरा सम्मान करेंगे, अगले ही दिन शिवपाल यादव ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि पार्टी में उचित सम्मान न मिलने पर वह जल्द ही नई पार्टी बनाएंगे।
मुलायम-शिवपाल समर्थक के एक बार फिर अखिलेश यादव से नाराज नजर आ रहे हैं। हरदोई जिले के कृष्णपाल यादव कहते हैं कि वह लंबे समय से सपा के वोटर और सपोर्टर हैं, लेकिन अखिलेश के व्यवहार काफी दुखी हैं। जिले के ही अजय पाल कहते हैं कि मुलायम के आशीर्वाद के बिना अखिलेश यादव कोई मुकाम नहीं हासिल नहीं कर सकते। लंबे समय से सपा समर्थक गजराज सिंह कहते हैं कि वे मुलायम ही थे, जिन्होंने अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाया। अन्य सपा समर्थक भी 2017 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की हार का कारण मुलायम-शिवपाल की नाराजगी को ही मानते हैं।
मुलायम ने रुंधे गले से कहे ये शब्द
शनिवार को राजधानी में सपा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए मुलायम सिंह यादव ने रुंधे गले से कहा था कि आज हमारा कोई सम्मान नहीं करता। शायद मरने के बाद ये मेरा सम्मान करें। उन्होंने कहा कि मुझे लोहिया जी की वे बातें आज भी याद हैं, जब उन्होंने कहा था कि इस देश में जिंदा रहते, लोग सम्मान नहीं देते हैं।
यूपी में तैयार हो रहा शिवपाल यादव फैंस एसोसिएशन
पार्टी में कोई बड़ी जिम्मेदारी न दिये जाने से नाराज समाजवादी पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव ने कहा कि अगर पार्टी में उन्हें सम्मान नहीं मिला तो वह नई पार्टी बनाएंगे। गौरतलब है कि शिवपाल यादव कई बार अलग पार्टी गठन की बात कर चुके हैं। यूपी के चार दर्जन से अधिक जिलों में शिवपाल यादव फैंस एसोसिएशन सक्रिय है, जिनके सदस्य एक लाख से अधिक है। शिवपाल यादव फैंस एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष आशीष चौबे ने बताया कि संगठन 46 जिलों में पहुंच चुका है, जिसके लगभग एक लाख सदस्य हैं। साल के आखिर तक यूपी के सभी 75 जिलों में एसोसिएशन के कार्यकर्ताओं की नियुक्ति कर दी जाएगी।
आसान नहीं होगा इस चक्रव्यूह से निकल पाना
अपनों की नाराजगी के साथ-साथ अखिलेश यादव को भाजपा के तीखे तेवरों का सामना करना पड़ रहा है। गठबंधन में भी सीटों के बंटवारे को लेकर पेंच फंसता नजर आ रहा है। आये दिन मुलायम के करीबी रहे अमर 'अंकल' भी अखिलेश पर हमला साध रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अखिलेश यादव एक बार फिर ऐसे चक्रव्यूह में फंसते जा रहे हैं, जहां से निकल पाना उनके लिये इतना आसान नहीं होगा।
Updated on:
27 Aug 2018 04:02 pm
Published on:
27 Aug 2018 04:00 pm
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