
मुरली मनोहर ने अप्रत्यक्ष रूप से मोदी पर साधा निशाना, सामने आया बड़ा बयान
लखनऊ. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को जिस समय सपा संरक्षक मुलायम सिंह के संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ में हुंकार भर रहे थे, ठीक उसी समय राजधानी लखनऊ में भाजपा समर्थक कानपुर से भाजपा सांसद मुरली मनोहर जोशी के कई महीने पुराने एक लेख में मोदी और सरकार के खिलाफ अप्रत्यक्ष रूप से उठाए गए सवालों पर चर्चा कर रहे थे। इस बैठक में संघ से जुड़े कुछ सदस्य भी शामिल थे। माना जा रहा है कि मुरली मनोहर जोशी ने पहली बार सरकार और संगठन की कार्यप्रणाली पर खुलकर सवाल उठाए हैं। धार्मिक संदर्भों पर लिखे गए एक लेख में उन्होंने संघ और मोदी सरकार के काम-काज के तरीके पर असरदार टिप्पणी की है। उनके आलेख ने भाजपा और आरएसएस के बीच चर्चा का नया विषय दे दिया है।
रामायण, महाभारत से सीख लेने की हिदायत
भाजपा समर्थकों का मानना है कि कानपुर से भाजपा सांसद मुरली मनोहर जोशी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार की नीतियों को लेकर ही यह लेख लिखा है। इस लेख को सरकार के प्रति मुरली मनोहर जोशी के असंतोष के तौर पर देखा जा रहा है। पावर पॉलिटिक्स नामक एक पत्रिका में लिखे लेख का शीर्षक राजधर्म- शासकों को कैसे आचरण करना चाहिए: प्राचीन भारत से सबक है। भाजपा के मार्गदर्शक मंडल के सदस्य मुरली मनोहर जोशी की पहचान शांत, संयत और चुपचाप राजनीति करने वाले नेता के रूप में रही है। उन्होंने कभी भी सार्वजनिक तौर पर मोदी सरकार के कामकाज पर कोई टिप्पणी नहीं की है। लेकिन उनके मौजूदा लेख में सरकार के कामकाज की समीक्षा होती प्रतीत होती है। उन्होंने अपने लेख में रामायण, महाभारत और कौटिल्य के अर्थशास्त्र से शासन चलाने की सीख दी है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है यह सीख अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा के नीति नियंताओं के साथ प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा शासित मुख्यमंत्रियों के लिए है।
भय मुक्त का वातावरण बनाएं
जोशी जी आगे लिखते हैं, महाभारत के मुताबिक राज्य का मुख्य उद्देश्य भय से मुक्ति का वातावरण तैयार करना है जिसमें हिंसा का भय भी शामिल है। जोशी ने अपने लेख में लिखा है कि जब राजा गरीबों, बेघरों और बुजुर्गों के आंसू पोंछकर खुशहाली लाता है तब यह आचरण राजा का धर्म कहलाता है। उन्होंने याद दिलाया है कि राजा को खुद को अनुशासित रखना चाहिए और उसके बाद अपनी प्रजा और अपने अधीनस्थों को अनुशासित रखने का प्रयास करना चाहिए।
महिलाओं की करें रक्षा
जोशी ने लिखा है कि महाकाव्यों में महिलाओं के बारे में बहुत ही अच्छी बातें लिखी गयी हैं। वे कहते हैं कि महिलाओं की जान और गरिमा की रक्षा करना सरकार का प्रमुख उद्देश्य है और महाभारत में साफ तौर पर इसके बारे में लिखा है, जिस राजा के राज्य में रोती-बिलखती स्त्रियों को उनके पति और बेटों को सामने ज़बरदस्ती उठाकर ले जाया जाता है, उनकी एक न सुनी जाए तो ऐसा महसूस होता है कि उस राज्य में कोई शासन व्यवस्था मौजूद नहीं है। उन्होंने लिखा है कि एक जगह भीष्म कहते हैं कि जो राज्य अपनी प्रजा से उनकी सुरक्षा का वादा करे और उनकी सुरक्षा न कर पाए ऐसे राज्य का अस्तित्व न होना ही अच्छा है।
इन मुद्दों को उठाया है जोशी ने
लोकसभा सांसद मुरली मनोहर जोशी ने अपने लेख में सलाह-मशविरे और मतभेद को महत्व देना, भूख और डर से लोगों की सुरक्षा करना और महिलाओं की सुरक्षा जैसे उन मुद्दो को प्रमुखता से उठाया है जिन पर मोदी सरकार को असफल माना जा रहा है। उन्होंने वाल्मीकि रामायण को उल्लखित करते हुए लिखा है कि राजा निरंकुश नहीं हो सकता है। राजा को अपने मंत्रियों, विद्वत जनों और सेना के प्रमुख अधिकारियों से परामर्श करके राज्य की नीति का निर्धारण करना चाहिए। माना जा रहा है कि जोशी ने इन बातों के जरिए मोदी और शाह की जोड़ी की अप्रत्यक्ष रूप से आलोचना की है। उन्होंने आगे लिखा है कि राजा को अपनी जनता को खुद के डर से, एक-दूसरे के डर से और उन चीजों के डर से बचाकर रखना चाहिए जो अमानवीय है।
Published on:
14 Jul 2018 03:49 pm
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