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लखनऊ. बेघरों को अब रात गुजारने के लिए खुले आसमान के नीचे नहीं सोना पड़ेगा। उन्हें रैन बसेरे में रुकने के लिए कोई शुल्क नहीं चुकाना पड़ेगा और ना ही अपना आधार कार्ड दिखाना होगा। दरअसल पत्रिका द्वारा इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किये जाने के बाद प्रशासन बैकफुट पर आ गया है।
नगर निगम लखनऊ द्वारा जारी वर्क आर्डर में शेल्टर होम में रात गुजारने वालों से कम से कम 10 रूपए वसूलने के आदेश जारी किए गए थे। यह रकम निजी संस्था द्वारा वसूली जा रही थी। पत्रिका की खबर के बाद नगर आयुक्त ने इस पर संज्ञान लिया। उन्होंने बताया कि निरीक्षण के दौरान रकम वसूलने की बात दिखी। इसके बाद उन्होंने इस पर रोक लगाने के आदेश दे दिए हैं। साथ ही आधार की अनिवार्यता पर भी रोक लगा दी गई है। उन्होंने कहा कि आधार न होने की स्थिति में अन्य पहचान पत्रों से ही कार्य चलाया जाए।
बताते चलें कि लखनऊ नगर निगम के नौ शेल्टर होम निजी संस्थाओं को दे दिए गए थे। इन संस्थाओं के वर्क आर्डर में प्रतिदिन 10 रूपए लिए जाना निर्धारित किया गया था। संस्थाओं में रुकने वालों से आधार कार्ड भी मांगा जा रहा था। इस पर संज्ञान लेते हुए नगर आयुक्त ने निर्देशित किया है कि अग्रिम आदेशों तक समस्त रैनबसेरों मैं निशुल्क करने की व्यवस्था पर आधार कार्ड ना होने पर मोबाइल नंबर अंगूठा निशान स्टाफ के पास उपलब्ध उनका फोटो आदि विकल्पों पर विचार कर उन्हे रूकने की अनुमति दे दी जाए। ऐसा कोई व्यक्ति नहीं होगा जो रैन बसेरों में रुकने से वंचित रहे।
बताते चलें कि रैन बसेरों में भोजन की व्यवस्था भी निजी संस्था को करनी है। खाद एवं रसद विभाग की ओर से जारी आदेश में शेल्टर होम में रुकने वाले वृद्ध विकलांग और अक्षम लोगों में से 10% लोगों को ही निशुल्क भोजन दिया जाएगा। इसकी तैयारी भी की जा रही।
संस्था को दिए गए शेल्टर होम
पलटन छावनी में 2 मंजिला आश्रय गृह में 50 व्यक्ति ठहर सकते हैं। जियामऊ में 50 व्यक्ति, कानपुर रोड चुंगी में 16 व्यक्ति, डालीगंज में 40 व्यक्ति, 35 व्यक्तियों के लिए चकबस्त रोड, 30 व्यक्ति के लिए लाटूश रोड, 21 व्यक्तियों के लिए ब्लॉक सी इंदिरा नगर, 17 व्यक्ति के लिए अमीनाबाद और लक्ष्मण मेला मैदान में 50 व्यक्तियों के लिए रैन बसेरा का संचालन निजी संस्था को दिया गया है।
Published on:
07 Jan 2018 06:22 pm
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