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सुधीर कुमार को दे दी एनओसी, फिरदौस रहमानी को नहीं, यह भेदभाव ठीक नहीं- यूपी सरकार पर हाई कोर्ट की टिप्पणी

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने अपने एक आदेश में कहा है कि राज्य सरकार समानता के सिद्धांत का पालन करने के लिए बाध्य है। कोर्ट ने PWD एक प्रमुख सचिव को अभियंता को 10 दिनों के भीतर एनओसी जारी करने के निर्देश दिए हैं।

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लखनऊ

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Mahendra Tiwari

Jul 30, 2025

हाईकोर्ट की सांकेतिक फोटो जेनरेट AI

हाईकोर्ट की सांकेतिक फोटो जेनरेट AI

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए कहा है कि एक कल्याणकारी राज्य के रूप में उसे समानता का व्यवहार करना चाहिए। और एक जैसे पदों पर कार्यरत कर्मियों के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने लोक निर्माण विभाग (PWD) के प्रमुख सचिव को निर्देश दिया है कि वे कार्यकारी अभियंता मोहम्मद फिरदौस रहमानी को राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) में डिप्युटेशन पर जाने के लिए आवश्यक ‘नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट’ (NOC) दस दिनों के भीतर जारी करें।

न्यायमूर्ति निशीथा माथुर की पीठ ने यह आदेश उस याचिका पर सुनाया जिसमें याची रहमानी ने विभाग द्वारा एनओसी न दिए जाने को चुनौती दी थी। याची को एनएचएआई में डिप्टी जनरल मैनेजर (टेक्निकल) पद पर चयनित किया गया था। लेकिन विभाग ने यह कहते हुए एनओसी देने से इनकार कर दिया कि विभाग में कार्यकारी अभियंताओं की भारी कमी है। कोर्ट ने इस आधार को खारिज करते हुए कहा कि अगर विभाग में वाकई कमी है। तो फिर कार्यकारी अभियंता सुधीर कुमार भारद्वाज को डिप्युटेशन की अवधि कैसे बढ़ा दी गई। यह स्पष्ट रूप से पक्षपातपूर्ण और अनुच्छेद 14 व 16 का उल्लंघन है। जो समान अवसर और समानता का अधिकार सुनिश्चित करते हैं।

कोर्ट ने 10 दिनों के भीतर एनओसी जारी करने का दिया आदेश

कोर्ट ने माना कि रहमानी और भारद्वाज के मामले में समानता थी। ऐसे में एक को अनुमति और दूसरे को इनकार करना असंवैधानिक और मनमाना फैसला है। याची के वकील गौरव मेहरोत्रा ने दलील दी थी कि राज्य सरकार को इस तरह से भेदभावपूर्ण रवैया अपनाने की अनुमति नहीं दी जा सकती।अब कोर्ट के आदेश के बाद PWD को दस दिनों के भीतर एनओसी जारी करनी होगी। जिससे रहमानी NHAI में अपनी नई जिम्मेदारी संभाल सकें।