
पत्रिका न्यूज नेटवर्क
लखनऊ. OBC Amendment Bill- उत्तर प्रदेश में कई सवर्ण जातियां ओबीसी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में शामिल होने के लिए लालायित हैं। इनमें गोस्वामी और बनिया समुदाय लंबे समय से ओबीसी में शामिल होने की मांग रहा है। अभी यह दोनों सामान्य वर्ग में आते हैं। संसद के मौजूदा मानसून सत्र में मोदी सरकार 127वां संविधान संशोधन विधेयक पेश करने जा रही है। अनुच्छेद 342-ए और 366 (26) सी के संशोधन पर मुहर लगते ही यूपी सहित अन्य राज्यों के पास ओबीसी सूची में अपनी मनमुताबिक जातियों को अधिसूचित करने का अधिकार मिल जाएगा। इसके बाद उत्तर प्रदेश अपनी ओबीसी लिस्ट जारी कर सकेगा। प्रदेश की कई जातियां लंबे समय से ओबीसी में शामिल होने की मांग कर रही हैं। केंद्र सरकार के इस फैसले को अगले साल होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है।
उत्तर प्रदेश में 234 जातियां ओबीसी में आती हैं। इनके लिए 27 फीसदी आरक्षण है। योगी सरकार इसे तीन पिछड़ा, अति पिछड़ा और अत्यंत पिछड़ा तीन भागों में बांटने की तैयारी में है। माना जाता है कि यूपी में ओबीसी आरक्षण का सबसे ज्यादा फायदा यादव, कुर्मी, कुशवाहा और जाट समुदाय को मिल रहा है। इसकी वजह से ओबीसी की अन्य दूसरी जातियां लंबे समय से आरक्षण में बंटवारे की मांग उठाती रही हैं। बीते दिनों को प्रदेश के पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री अनिल राजभर ने कहा था कि पिछली सरकार में पिछड़े वर्ग को मिलने वाले 27 फीसदी आरक्षण में से 67.56 फीसदी का लाभ एक जाति विशेष को मिला लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। अब मोदी सरकार के बिल पर मुहर लगती ही राज्यों को अधिकार होगा कि वह अपने हिसाब से ओबीसी आरक्षण में जातियों को शामिल कर सकेंगे और आबादी व सामाजिक व आर्थिक आधार पर उन्हें आरक्षण दे सकेंगे।
वीपी सिंह ने लागू की थी मंडल कमीशन की सिफारिशें
वर्ष 1980 में मंडल कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में उस समय के कोटा में बदलाव करते हुए 22 फीसदी से 49.5 फीसदी करने की सिफारिश की थी। 1990 में विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार ने सरकारी नौकरियों में मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू कर दिया था। सु्प्रीम कोर्ट के मुताबिक, किसी भी सूरत में आरक्षण 50 फीसदी से अधिक नहीं दिया जा सकता है। कुछ राज्यों ने इसे ज्यादा का प्रस्ताव रखा है।
17 जातियों को एससी में शामिल करना चाहती है योगी सरकार
योगी आदित्यनाथ सरकार ने बीते महीनों एक निर्देश जारी किया था, जिसमें 17 जातियों को अनुसूचित जाति (एससी) में शामिल करने की बात कही थी। उनमें कहार, कश्यप, केवट, मल्लाह, निषाद, कुम्हार, प्रजापति, धीवर, बिंद, भर, राजभर, धीमर, बाथम, तुरहा, गोडिया, मांझी व मछुआ शामिल हैं। सरकार का तर्क था कि ये 17 जातियां सामाजिक और आर्थिक आधार पर बहुत ही पिछड़ी हैं, इसलिए इन्हें एससी का लाभ मिलना चाहिए। इससे पहले अखिलेश यादव की सरकार ने भी ओबीसी को अनुसूचित जाति में शामिल करने का आदेश जारी किया था।
Published on:
09 Aug 2021 06:18 pm
बड़ी खबरें
View Allलखनऊ
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
