
OP Rajbhar file Photo with CM Yogi Adityanath and Bihar CM Nitish Kumar on Savdhan Yatra
सुभासपा अध्यक्ष और पूर्व कैबिनेट मंत्री ओपी राजभर की सावधान यात्रा के अपने अलग ही मायने हैं। जिससे आगामी लोकसभा चुनावों में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। इसमें पूर्वाञ्चल के लगभग सभी जिलों को जोड़ते हुए 17 महारैलियाँ की जाएंगी। इसके अलावा लगभग एक दर्जन से अधिक रैली पश्चिमी यूपी को जोड़ते हुए रैली होंगी। जिसके बाद ओपी राजभर की ये यात्रा बिहार पहुंचेगी।
नई राजनीति की नींव रखकर भविष्य की योजना
ओम प्रकाश ने दावा किया कि अब वो नई रणनीति पर काम शुरू करने का प्रयास कर रहे हैं। जिससे एक नई और साफ सुथरी राजनीति की जा सके। सावाधान रैली का मकसद वर्तमान सरकार से जनता को सावधान करना ही है। सत्ता पक्ष की जगह विपक्षी पार्टियों से लोगों को सावधान करेंगे।
26 सितंबर को लखनऊ से सावधान यात्रा की शुरुआत होगी। 27 को वाराणसी के मुनारी में सावधान यात्रा महारैली होगी, पूर्वांचल में 17 महारैलियां, यूपी के 75 जिलों में सभाओं के बाद इस यात्रा का समापन बिहार की राजधानी पटना के गांधी मैदान में प्रस्तावित है।
योगी की खिलाफत करने वाले राजभर बिहार में किसको चैलेंज करेंगे?
उत्तर प्रदेश में कभी भाजपा के साथ रहकर योगी आदित्यनाथ की खिलाफत करके चर्चा में आए राजभर अब बिहार में प्रवेश करने का मन बना चुके हैं, हालांकि बिहार में उनका मुक़ाबला किसके साथ होगा, अभी ये कहने में बहुत जल्दबाज़ी होगी। जबकि वहाँ तो भाजपा का विरोध करके ही आरजेडी और जेडीयू ने सरकार बनाई है। ऐसे में ओपी राजभर का बिहार कूच वाकई में दिलचस्प होगा।
सावधान यात्रा का क्या है महत्व, कितना होगा असर
जातिगत राजनीति करने वाले ओपी राजभर का मकसद सभी राजनीतिक दलों को अपनी ताकत दिखाना है। जिससे आगामी लोकसभा चुनावों में उन्हें ज्यादा से ज्यादा सीटों पर गठबंधन हासिल हो सके। ओपी राजभर जातिगत गिनती कराने के लिए तेजी से मांग कर रहे हैं। उनकी जातिगत गणना के आसपास ही ये पूरी राजनीति चल रही है।
क्यों हो रही है जातिगत गणना की मांग
यूपी में वर्ष 2022 विधानसभा चुनाव से पहले अखिलेश यादव भी जातीय जनगणना की बात कर रहे थे, उस दौरान अखिलेश यादव लगातार भाषण में कह रहे थे कि, भाजपा सरकार को जातिगत जनगणना और आरक्षण से डर लगता है।
अखिलेश यादव ने सीधे कहने के बजाए अपने सहयोगी दूसरी छोटी पार्टियों के नाम लगाते हुए कहा कि, हमारी साथ छोटी सहयोगी पार्टियां चाहती हैं कि 'आरक्षण खत्म नहीं होना चाहिए, आबादी के हिसाब से सम्मान और अधिकार मिलना ही चाहिए।" इसलिए सपा भी उनका समर्थन कर रही है।
Published on:
13 Sept 2022 12:47 pm
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