
आगामी विधानसभा चुनाव में जिसका खामियाजा पार्टी को उठाना पड़ सकता है।
पत्रिका न्यूज नेटवर्क
लखनऊ. मार्च 2021 तक त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव हो सकते हैं। शासन-प्रशासन ने तैयारियां तेज कर दी हैं, लेकिन राजनीतिक दल उहापोह की स्थिति में हैं। सभी दल खुद को ग्राम प्रधान चुनाव से दूर रख रहे हैं, उनका फोकस जिला पंचायत सदस्य के चुनाव पर है। इसकी वजह जातीय समीकरणों को माना जा रहा है। पार्टियों को डर है कि ग्राम प्रधान के चुनाव में एक ही जाति के कई प्रत्याशी चुनाव मैदान में होते हैं। ऐसे में एक प्रत्याशी का समर्थन उस जाति के तमाम दूसरे लोगों के विरोध का कारण बन सकता है, आगामी विधानसभा चुनाव में जिसका खामियाजा पार्टी को उठाना पड़ सकता है।
उत्तर प्रदेश में अभी तक कभी भी दलीय आधार पर पंचायत चुनाव नहीं हुआ है। अभी तक राजनीतिक दल जिला पंचायत सदस्य और अध्यक्ष के चुनाव में खुलकर समर्थित प्रत्याशी देते रहे हैं। इसके अलावा बीडीसी चुनाव में भले ही पार्टियों का कभी सीधा दखल नहीं रहा, लेकिन समर्थित ब्लॉक प्रमुख बनाने के लिए सब दांव-पेंच चलते रहे हैं। लेकिन, इस बार राजनीतिक सरगर्मी ने गांवों के चुनाव की तपिश बढ़ा दी है। बीजेपी, सपा, बसपा और कांग्रेस के अलावा तमाम छोटे दल भी पंचायत चुनाव में दो-दो हाथ करने को तैयार हैं, लेकिन सिर्फ जिला पंचायत चुनाव तक। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मंत्री ओम प्रकाश राजभर का कहना है कि उनका मोर्चा सिर्फ जिला पंचायत सदस्य के लिए प्रत्याशी देगा। मोर्चे में शामिल दल गांव की राजनीति में पार्टी नहीं बनेंगे।
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भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस जैसी तमाम बड़ी पार्टियां पहले ही पंचायत चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी हैं। इसके अलावा ओम प्रकाश राजभर की अगुआई में भागीदारी संकल्प मोर्चा में शामिल नौ दल, शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया, हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम और अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी पंचायत चुनाव के जरिये यूपी में पैठ बनाने की कोशिश में हैं।
जिला पंचायत सदस्य चुनाव पर फोकस क्यों?
गांवों में जिला पंचायत सदस्य चुनाव को 'मिनी विधायक' का चुनाव भी कहा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि एक पंचायत सदस्य की सीट के लिए करीब 20 से 22 ग्राम पंचायतों के लोग वोट करते हैं। भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष व पंचायत चुनाव प्रभारी विजय बहादुर पाठक कहते हैं कि पार्टी ने अभी तक सिर्फ जिला पंचायत सदस्य के 3000 से अधिक सीटों पर ही प्रत्याशी उतारने की तैयारी की है। ग्राम प्रधान व बीडीसी सदस्य पर पार्टी चुनाव में जाएगी इस पर कोई फैसला अभी नहीं हुआ है। सपा भी जिला पंचायत सदस्य चुनाव तक सीमित है। मायावती के जन्मदिन पर बसपा भी पंचायत चुनाव को लेकर कोई फैसला ले सकती है।
Published on:
27 Dec 2020 04:17 pm
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