
Mandi Price
देश में यूपी से लेकर गुजरात, महाराष्ट्र, एमपी और कर्नाटक जैसे प्रमुख दलहन उत्पादक राज्यों में इस बार फसल कमजोर हुई है। जिन देशों से दालें आयात होती हैं वहां भी मौसम की मार से उत्पादन प्रभावित हुआ है जिससे वहां भी दालों की कीमतें बढ़ी हैं। रही सही कसर डॉलर की बढ़ती कीमतों ने पूरी कर दी है। इसके कारण पूरे देश में दाल की कीमतें तेजी से बढ़ी हैं।
दाल एवं राइस मिलर संगठन के अध्यक्ष भारत भूषण गुप्ता कहते हैं कि जहां से आयात होती है वहां भी तेजी है, लिहाजा यहां तेजी स्वाभाविक है। खाद्य तेलों के मूल्य में पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष स्थिरता देखी जा रही है। यूपी तेल मिलर्स एसोसिएशन के महामंत्री कैलाश अग्रवाल कहते हैं कि तिलहन के समर्थन मूल्य में भारी वृद्धि से तेल का बाजार कमजोर होता जा रहा है, इसलिए इसमें तेजी कम है।
उत्पाद पहले (रु/किलो अब (रु/किलो)
सोयाबीन तेल 108 120
पाम तेल 90 95
सरसों तेल 150 180
अरहर दाल 105 165
उरद दाल 108 132
मसूर दाल 65 80
चना दाल 60 72
इस प्रकार दालों और तेलों की कीमतों में वृद्धि का मुख्य कारण कमजोर फसल, मौसम की मार और डॉलर की बढ़ती कीमतें हैं। वहीं, तिलहन के समर्थन मूल्य में वृद्धि से तेल बाजार में स्थिरता देखी जा रही है।
Published on:
28 Jun 2024 08:35 am
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