17 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Pulwama Attack: यार के लिए मौत को गले लगाने वाला दोस्त, हमले की कहानी जो आखें नम कर देगी

Pulwama Attack: पुलवामा अटैक Pulwama Attack की तीन साल बाद भी देश की जनता भूल नहीं पाई है। इस हमले में 40 सीआरपीएफ के जवान शहीद हो गए थे। हमले की गूंज पूरे देश में सुनाई दी थी। आज भी उस दिन का याद करने पर आखें नम हो जाती हैं। पुलवामा अटैक ने किसी से उसका बेटी, पति, पिता तो किसी से दोस्त छीन लिया। हम आज अटैक की तीन साल बाद आप को दोस्ती की ऐसी दास्तां बताने जा रहे हैं, जिसमें एक दोस्त ने दूसरे के लिए अपनी जान दांव पर लगा दी, ये कहानी है शहीद जयमाल सिंह की।

2 min read
Google source verification

लखनऊ

image

Prashant Mishra

Feb 14, 2022

jawan.jpg

pulwama attack आज से ठीक तीन साल पहले आज के ही दिन पुलवामा में हुए हमले ने पूरे देश को झंकझोर दिया था। आज पुलवामा हमले की तीसरी बरसी है। इस हमले में यूपी के 12 जवान शहीद हो गए थे। आज इस मौके पर हम आपको पुलवामा अटैक Pulwama Attack से जुड़ी एक कहानी बाताने जा रहे हैं जो दोस्ती की मिसाल है।

दोस्ती की मिसाल

तीन साल पहले पुलवामा में हुए आतंकी हमले में बस के ड्राइवर जयमाल सिंह सहित 40 सीआरपीएफ के जवान शहीद हो गए थे। हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया था। हमले के दौरान जिस बस में विस्फोट हुआ वह बस जयमाल सिंह चला रहे थे, जबकी जयमाल सिंह की रोस्टर में ड्यूटी नहीं लगी थी। जयमाल सिहं ने दोस्ती निभाते हुए किरपाल सिंह की जगह खुद बस को चलाने का फैसला लिया था। जिसके बाद हमले के दौरान विस्फोट में जयमाल सिंह की मौत हो गई थी। जयमाल सिंह की दोस्ती व दोस्त के लिए दिए गए बलिदान को आज भी फोर्स में याद किया जाता है। फोर्स में लोग जयमाल सिंह को याद करते हुए भावुक हो जाते हैं। यह बलिदान किसी फिल्म की कहानी सा लगता है लेकिन ये सच है जिसमें एक बाप को अपनी बेटी की शादी में भेजने के लिए दोस्त ने मौत को गले लगा लिया।

आईपीएस अधिकारी ने किए कई खुलासे

पुलवामा में हुए हमले से जुड़े कई खुलासे आईपीएस अधिकारी दानेश राणा ने अपनी पुस्तक में किए हैं। राणा वर्तमान में जम्मू और कश्मीर पुलिस में एडिशनल डायरेक्टर के पद पर तैनात हैं। इन्होंने पुलवामा हमले से जुड़े तमाम अधिकारी और कर्मचारियों के इंटरव्यू, चार्जशीट व तथ्यों के आधार पर अपनी पुस्तक के माध्यम से जानकारियां सार्वजिक की हैं।

ये भी पढ़ें: Holy Special: होली पर 60 से अधिक स्पेशल ट्रेने, तुरंत सीट करें बुक नहीं हो जाएगी देर, घर आना जाना हुआ आसान

किरपाल सिंह को चलानी थी बस

अपनी पुस्तक में दानेश राणा ने लिखा है कि जिस बस में हमला हुआ था उसे किरपाल सिंह को चलानी थी लेकिन कुछ दिन बाद किरपाल सिंह की बेटी की शादी थी। अधिकारियों की ओर से उनकी छुट्टी को भी मंजूर कर लिया गया था। यात्रा के बाद उन्हें जम्मू से लौटकर घर जाने की अनुमति दे दी गई थी। लेकिन जाने से पहले यह आशंका थी कि मौसम बिगड़ने व बर्फबारी के चलते श्रीनगर में फोर्स फंस सकती है। लिहाजा शहीद जयमाल सिंह ने आगे बढ़कर किरपाल सिंह की जगह खुद बस चलाने का फैसला लिया था। जयमाल सिंह ने 13 फरवरी की रात को आखरी बार अपने परिवार से बातचीत की थी।

ये भी पढ़ें: महिला नेता व नेताओं की पत्नियां भी हैं असलहों की शौकीन, जानें किसके पास हैं कितने और कौन से हथियार