राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास के उत्तराधिकारी महंत कमलनयन दास की मानें तो 5 अगस्त तक श्रावण मास है। इस दौरान पीएम मोदी राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण की आधारशिला रख सकते हैं। जिसके लिए उन्हें ट्रस्ट के अध्यक्ष के द्वारा एक निमंत्रण निवेदन पत्र भेजा गया है। साथ ही स्पष्ट किया कि देश की स्थिति को समझते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कांफ्रेंसिंग से भी भूमि पूजन में भाग ले सकते हैं। वहीं दूसरी तरफ राम मंदिर निर्माण की तैयारी तेज कर दी गई है। कार्यशाला में रखे पत्थरों की साफ सफाई के लिए दिल्ली की केएलए कंपनी के 2 दर्जन से अधिक वर्कर लगाए गए हैं। राम जन्मभूमि परिसर में एलएण्डटी कंपनी के 11 नए अधिकारी भी पहुंच चुके हैं, जो मृदा परीक्षण के साथ निर्माण की तैयारी में जुटे हुए हैं।
संतों को अखर रही देरी वहीं दूसरी तरफ लंबी जद्दोजहद और कानूनी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट से आए फैसले के बाद भी राम मंदिर निर्माण में देरी लोगों को अखर रही है। साधु-संत इससे नाराज दिख रहे हैं। उनका कहना है कि भूमि के समतलीकरण और भार उठाने की क्षमता का आकलन करने के बाद भी राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन आखिर क्यों नहीं हो पा रहा है। यही कारण है कि अब अयोध्या के साधु-संत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेजकर उनसे अपनी इच्छा जता रहे हैं। उनकी इच्छा है कि राम मंदिर के लिए भूमि पूजन कार्यक्रम में शामिल होने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द अयोध्या आएं। जिससे योजना के अनुसार 2022 में रामनवमी का त्यौहार रामलला के भव्य राम मंदिर में मनाई जाए।
इतिहास में दर्ज हो भूमि पूजन हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास ने कहा कि अयोध्या के साधु-संतों की हार्दिक इच्छा है कि मोदी जी आएं और भूमि पूजन करें. जिससे यह इतिहास के पन्ने में दर्ज हो। वहीं महंत नृत्य गोपाल दास के शिष्य और उत्तराधिकारी महंत कमल नयन दास ने कहा कि प्रधानमंत्री जी तो आने के लिए बोले ही थे, लेकिन इस महामारी को देखते हुए बच रहे हैं। वैसे सीएम आदित्यनाथ योगी भी पीएम मोदी को इस बारे में पत्र लिख चुके हैं। अब एक और पत्र श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष की तरफ से प्रधानमंत्री को भेजा जा रहा है। हम तो चाहते हैं कि श्रावण महीने में ही रामलला का मंदिर बनना शुरू हो जाए। श्रावण मास सबसे अच्छा समय है। रामलला के प्रधान पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि आज से नहीं बहुत दिनों से संतों की मांग रही है कि प्रधानमंत्री एक बार यहां आयें और राम लला का दर्शन करें। यह मांग तब से हो रही है जब रामलला त्रिपाल में विराजमान थे और उनकी सरकार सत्ता में आई थी।