
अखिलेश यादव और सपा के वरिष्ठ नेता व उत्तर प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी के बयान से चाचा-भतीजे के बीच की दूरियां खत्म होने के कयासों को और बल मिलता है
लखनऊ. समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया (प्रसपा) के अध्यक्ष शिवपाल यादव के रिश्तों पर जमी बर्फ पिघल रही है। शिवपाल की विधानसभा सदस्यता रद करने को भेजी गई याचिका वापस लेने के बाद एक बार फिर परिवार में एका की अटकलें शुरू हो गई हैं। अखिलेश यादव और सपा के वरिष्ठ नेता व उत्तर प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी के बयान से चाचा-भतीजे के बीच की दूरियां खत्म होने के कयासों को और बल मिलता है।
नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने कहा कि समाजवादी पार्टी में शिवपाल यादव की वापसी होगी। अभी वह पार्टी विधायक और सपा के विधानमंडल दल के सदस्य हैं, उन्हें दल से निकाला नहीं गया है। उन्होंने कहा कि यूपी विधानसभा अध्यक्ष के यहां शिवपाल सिंह यादव की सदस्यता निरस्त करने को लेकर दी गई याचिका तकनीकी कमियों के कारण वापस ले ली गई है। सपा प्रमुख के कहने पर रामगोविंद चौधरी ने 04 सितंबर, 2019 को दल-बदल कानून के तहत शिवपाल की विधानसभा से सदस्यता समाप्त करने की याचिका दायर की थी। बाद में 23 मार्च को सपा ने प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर शिवपाल यादव के खिलाफ दायर याचिका वापस करने की मांग की थी, जिसे विधानसभा स्पीकर हृदयनारायण दीक्षित ने स्वीकार कर शिवपाल यादव की विधायकी पर मंडरा रहे खतरे को टाल दिया है।
एडजेस्टमेंट को तैयार अखिलेश यादव
शिवपाल सिंह यादव को लेकर अखिलेश ने कहा कि जसवंत नगर विधानसभा सीट पर उनके साथ एडजस्टमेंट हो सकता है। वैसे भी सपा एक ही पार्टी है। सपा प्रमुख ने कहा कि पार्टी 2022 के विधानसभा चुनाव में किसी भी बड़े दल से गठबंधन नहीं करेगी, लेकिन छोटे दलों से जरूर समझौता हो सकता है। उन्होंने कहा कि यूपी में समाजवादी पार्टी अकेले काम कर रही है। पार्टी बीजेपी-कांग्रेस दोनों से दूरियां बनाकर चल रही, क्योंकि कभी-कभी लगता है कि कांग्रेस और बीजेपी का रास्ता एक जैसा ही है।
Updated on:
30 May 2020 04:41 pm
Published on:
30 May 2020 10:44 am
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