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बोले संदीप पाण्डेय – अधिकारियों से बेहतर है भीख मांगने वाले

भीख मांगने के काम में लगे 80 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो मजबूरी में इस काम से जुड़े हैं ।

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लखनऊ

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Laxmi Narayan

Jan 04, 2018

badlav ngo

लखनऊ. भीख मांगने के काम में लगे 80 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो मजबूरी में इस काम से जुड़े हैं जबकि 20 प्रतिशत लोग इस धंधे को छोड़ना ही नहीं चाहते। भिक्षावृत्ति मुक्ति अभियान से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ताओं ने लखनऊ के गांधी भवन पुस्तकालय में एक बैठक कर इस कुप्रवृत्ति से जुड़े लोगों को मुख्यधारा में लाने की रणनीति पर चर्चा की गई।

मजबूरी में भीख मांगते हैं लोग

भिक्षावृत्ति मुक्ति अभियान के संयोजक शरद पटेल ने अभियान की समीक्षा करते हुए कहा कि राजधानी लखनऊ में 02 अक्टूबर 2014 से समाज के वंचित समुदाय के लोगों और भिक्षुकों को पुनर्वासित करके समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए इस अभियान की शुरूआत की गई। भिक्षुक समाज के सबसे वंचित समुदाय के लोग हैं, जो दर-दर भटकने के बाद अपना पेट पालने के लिए अपना स्वाभिमान व सम्मान दांव पर रखकर भीख मांगने को मजबूर होते हैं। तीन सालों भिक्षुक साथियों को पुनर्वासित करने के लिए कार्य करने के दौरान यह बात निकल कर सामने आई है कि 80 प्रतिशत भिक्षुक मजबूरी में भीख मांग रहे हैं। इन्हें पुनर्वास की कोई सुविधाएं व अवसर दिया जाए तो ये लोग समाज की मुख्यधारा में आ जायेंगे। शरद ने बताया कि 20 प्रतिशत भिक्षुक ऐसे हैं, जो व्यवसाय के रूप में इस काम में लगे हैं और वे भीख मांगना छोड़ना नहीं चाहते। जिला प्रशासन से लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय तक भिक्षुकों को पुनर्वासित किए जाने के सम्बन्ध में पत्र प्रेषित करने के साथ-साथ बैठकों का सिलसिला लगातार जारी रहा है लेकिन सरकार ने इनके पुनर्वास के लिए अभी तक कोई भी सकारात्मक कदम नहीं उठाया है। संस्था के प्रयास द्वारा विभिन्न सरकारी योजनाओं जैसे-वृद्धावस्था पेंशन, विकलांग पेंशन, निराश्रित पेंशन, समाजवादी पेंशन, खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत राशन कार्ड बनवाने एवं आधार कार्ड बनवाने का कार्य किया गया है।इसके अलावा 130 बीमार भिक्षुकों साथियों का इलाज कराया गया। संस्था के प्रयास से 27 भिक्षुकों ने भीख मांगना छोड़कर कार्य करने लगे हैं और 30 भीख मांगने वाले बच्चे भी अब पढ़ाई कर रहे हैं। शरद ने कहा कि जल्द ही संस्था पुनर्वास केन्द्र की शुरुआत करेगी जहां पर उन्हें सभी मूलभूत सुविधाओं के साथ रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा और पुनर्वासित करके समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का कार्य किया जायेगा।

अफसरों पर भ्रष्टाचार के आरोप

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता डॉक्टर सन्दीप पाण्डेय ने कहा कि सरकार कितनी संवेदनहीन है जो भिक्षुकों के पुनर्वास के लिए नियुक्त अधिकारियों व कर्मचारियों को 40 लाख रूपये प्रतिमाह केवल वेतन के रूप में दे रही है लेकिन अधिकारी और कर्मचारी भिक्षुकों के पुनर्वास के लिए बिना कोई काम किए वेतन ले रहे हैं। यह बहुत ही गम्भीर भ्रष्टाचार है जो पूरे समाज को कलंकित कर रहा है। डॉक्टर पाण्डेय जी ने कहा कि मांग कर खाने वाले लोग इन सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों से लाख गुना बेहतर हैं क्योंकि यह किसी का हक नहीं खा रहे हैं। समाज कल्याण विभाग के कर्मचारी व अधिकारी तो बिना किसी काम के वेतन ले रहे हैं और भिक्षुक पुनर्वास की बाट जोह रहे हैं। भीख मांगना अपराध नहीं, एक सामाजिक बुराई है क्योंकि जब व्यक्ति के पास पेट पालने का कोई उपाय नहीं बचता है तो वह भीख मांगने को मजबूर होता है।

भिक्षुकों को बांटे गए कंबल

बैठक में मौजूद टाटा कन्सलटेंसी सर्विसेज लखनऊ की काव्या ने कहा कि भिक्षुकों को पुनर्वासित करके समाज की मुख्यधारा से जोड़ना एक सराहनीय कार्य है। इस पहल से ये लोग आत्मनिर्भर बनकर अपने पैरों पर खडे़ होंगे और सम्मानित व गरिमापूर्ण जीवन जियेंगे, जिससे समाज में समानता व स्थायित्व का विकास होगा। बैठक में शुभम सिंह चौहान, मनोज कुमार, रामजी वर्मा, प्रियंक वर्मा, दिवाकर सिंह, मोहम्मद शफीक, रोहित सक्सेना, श्रवण सिंह और लगभग 100 भिक्षुक मौजूद रहे। बदलाव संस्था द्वारा भिक्षुकों को पुनर्वासित करके समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए चलाए जा रहे भिक्षावृत्ति मुक्ति अभियान की समीक्षा बैठक के दौरान टाटा कंसल्टेंसी के सदस्यों ने भिक्षुकों को सर्दी से बचने के लिए गर्म कपड़े व कम्बल वितरित किए।