
2027 के विधानसभा चुनावों में अभी समय है लेकिन राजनीतिक हलचल तेज हो चुकी है। सभी दल अपनी रणनीतियों को धार दे रहे हैं और इसी क्रम में सपा ने दद्दू प्रसाद जैसे अनुभवी नेता को अपने साथ जोड़कर एक अहम कदम उठाया है।
दद्दू प्रसाद की राजनीतिक यात्रा वर्ष 1982 में डीएस-4 से शुरू हुई थी। वे तीन बार विधायक रह चुके हैं और चित्रकूट जिले की मानिकपुर (सुरक्षित) सीट से तीन बार जीत हासिल की है। साल 2007 में जब प्रदेश में बसपा की सरकार बनी, तो उन्हें ग्राम विकास मंत्री बनाया गया। इसके अलावा, मायावती ने उन्हें जोनल कोऑर्डिनेटर जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी भी दी थी। एक समय पर दद्दू प्रसाद को मायावती के सबसे करीबी नेताओं में गिना जाता था।
हालांकि बाद में बसपा और दद्दू प्रसाद के बीच रिश्तों में खटास आ गई और उन्होंने पार्टी से दूरी बना ली। अब उन्होंने सपा में शामिल होकर अपनी नई सियासी पारी की शुरुआत की है। दद्दू प्रसाद से पहले भी कई प्रमुख बसपा नेता जैसे इंद्रजीत सरोज और बाबू सिंह कुशवाहा सपा में शामिल हो चुके हैं।
समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव इस समय पीडीए (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) समीकरण को मजबूत करने में जुटे हैं। इसी रणनीति के तहत सपा में दलित नेताओं की भागीदारी बढ़ाई जा रही है। सोमवार को दद्दू प्रसाद के साथ सलाउद्दीन (नगर पालिका अध्यक्ष), देवरंजन नागर (बुलंदशहर) और जगन्नाथ कुशवाहा जैसे नेता भी पार्टी में शामिल हुए।
अखिलेश यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सभी नए साथियों का स्वागत किया और भरोसा जताया कि ये नेता पार्टी को मज़बूती देंगे और पीडीए की लड़ाई को मजबूती से आगे बढ़ाएंगे। सपा का यह कदम दलित वोट बैंक को साधने की दिशा में एक बड़ी पहल माना जा रहा है।
Updated on:
07 Apr 2025 05:17 pm
Published on:
07 Apr 2025 05:13 pm
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