
लखनऊ. यूपी में विधानपरिषद की 13 सीटों के लिए चुनाव होने वाला है। इसमें से 11 सीटों पर भाजपा की जीत तय है तो वहीं दो सीटों पर सपा और बसपा अब मिलकर लड़ेगे। पहले सपा दो एमएलसी सीटों पर चुनाव लडऩे वाली थी, लेकिन सपा अब एक सीट पर चुनाव लड़ेगी। सपा ने बसपा के लिए एक सीट छोड़ दी है। अब बसपा को एक सीट पर जीत आसान हो जाएगी।
बतादें कि समाजवादी पार्टी ने पिछले दिनों राज्यसभा चुनाव में बसपा के उम्मीदवार भीमराव अंबेडकर को अपना समर्थन दिया था लेकिन उसके बाद भी भाजपा ने अपने नौंवे उम्मीदवार को जोड़-तोड़ कर जिता लिया था। अब सपा ने एमएलसी चुनाव में बसपा के लिए एक सीट छोड़ दिया है।
गोरखपुर और फुलपुर लोकसभा उप चुनाव में सपा को बसपा ने समर्थन दिया था और सपा को दोनों ही सीटों पर जीत मिली थी। वहीं इसके बदले में सपा ने राज्यसभा चुनाव में बसपा के उम्मीदवार को अपना समर्थन दिया था, लेकिन जोड़तोड़ की गणित में भाजपा ने अपने नौंवें उम्मीदवार को जीता लिया, उसके बाद से अखिलेश यादव ने शायद यह तय कर दिया था कि अब बसपा को वे एमएलसी चुनाव में समर्थन देंगे और एक सीट उन्होंने आज बसपा के लिए छोड़ देने का एलान कर दिया।
इसलिए आ रहे हैं साथ
सपा और बसपा अगले लोकसभा का चुनाव गठबंधन कर लड़ेंगे। ऐसे में भाजपा की मुश्किलें बढऩा तय है। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा को यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से 71 सीटें मिली थीं और 2 पर उसके सहयोगी जीते थे। सपा को पांच और कांग्रेस को दो सीटें तो बसपा को एक भी सीट नहीं मिली थी। वहीं 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में भाजपा ने प्रचंड बहुमत प्राप्त कर सूबे में सरकार बनाई। भाजपा और उसके सहयोगी दलों ने 325 सीटों पर जीत दर्ज की। इसके बाद से ही राजनीतिक गलियारों में इस बात के कयास लगाए जाने लगे थे कि सपा और बसपा अब साथ आ सकते हैं। इसका संकेत उस समय मिला जब सपा के उपचुनाव में दोनों उम्मीदवारों को बसपा ने अपना समर्थन दे दिया। गोरखपुर और फुलपुर उप चुनाव में जीत के बाद सपा मुखिया अखिलेश यादव ने बसपा सुप्रीमो मायावती के घर जाकर उन्हें जीत में सहयोग के लिए बधाई दी थी। उसके बाद से ही यह कयास लगाए जाने लगे थे कि सपा-बसपा अगला लोकसभा चुनाव मिल कर लड़ेंगे। अब सपा ने इस गठबंधन को मजबूती देने के लिए सपा ने एक एमएसली सीट को बसपा के लिए छोड़ दिया है।
Published on:
11 Apr 2018 07:48 pm
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