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युद्ध के कारण यूक्रेन से लौटे छात्र-छात्राओं के भविष्य का फैसला अब सुप्रीम कोर्ट करेगी। देश में ही दाखिला लेने की मांग कर रहे छात्रों को जब नेशनल मेडिकल काउंसिल (एनएमसी) और भारत सरकार के अधिकारियों से निराशा लगी तो उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट ने छात्रों की इस याचिका को शुक्रवार को स्वीकार कर लिया है। छात्रों ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करने के साथ ही पांच सितंबर को एनएमसी और भारत सरकार के अधिकारियों को अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है।
यूक्रेन में स्थित मेडिकल व इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी से देशभर के सैकड़ों छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश से करीब 1175 से अधिक छात्र-छात्राएं यूक्रेन से पढ़ाई कर रहे हैं। मार्च में रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया। अचानक युद्ध शुरू होने से सैकड़ों छात्र-छात्राएं यूक्रेन में फंस गए, तब भारत सरकार की ओर से चलाए गए रेसक्यू से सभी को सुरक्षित वापस लाया गया। यूक्रेन में अब भी रूस लगातार हमला कर रहा है। ऐसे में छात्र-छात्राएं भारत सरकार और एनएमसी से देश में ही दाखिला दिलाने की मांग कर रहे थे।
क्या बोले छात्र
कानपुर के छात्र दिव्यम तिवारी, तुषार निगम, विशाल श्रीवास्तव, अर्पित कटियार, आकांक्षा कटियार ने बताया कि कहीं सुनवाई नहीं हुई तो उन लोगों ने देशभर के अन्य छात्रों के साथ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। जिसे शुक्रवार को न्यायाधीश हेमंत गुप्ता व विक्रम नाथ की कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। दिव्यम ने बताया कि कोर्ट ने पांच सितंबर को सुनवाई की तारीख दी है। छात्रों ने अपने भविष्य को लेकर अपना पक्ष रखा है। इस केस में देशभर के करीब 55 छात्र-छात्राएं शामिल हैं।
Published on:
27 Aug 2022 11:42 am
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