
एनकाउंट पर योगी सरकार को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस, दो हफ्तों में मांगा जवाब
लखनऊ. उत्तर प्रदेश में पुलिस मुठभेड़ में प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार घिर गयी है। देश से सर्वोच्च न्यायालय ने पुलिस एनकाउंटर पर सरकार से 2 हफ्ते में जवाब मांगा है। पुलिस मुठभेड़ों के खिलाफ स्वयंसेवी संगठन पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबटी ने याचिका दायर की है। याचिका में कई मुठभेड़ों के फर्जी होने का आरोप है।
याचिका पर सोमवार को सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा,न्यायाधीश ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड की खंडपीठ ने नोटिस जारी की। अधिवक्ता संजय पारिख ने याचिका में आरोप लगाया है कि हाल के दिनों में उत्तर प्रदेश में कम से 500 मुठभेड़ हुई हैं जिनमें 58 लोग मारे गए हैं। पीठ ने इस मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) को भी पक्षकार बनाने के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया।
दस माह में 1142 एनकाउंटर
गौरतलब है कि योगी आदित्यनाथ सरकार ने बीती फरवरी में अपने दस माह के कार्यकाल में पुलिस और अपराधियों के बीच 1142 एनकाउंटर की सूची जारी की थी। इसमें बताया गया था कि इस दौरान मुठभेड़ में 2744 अपराधी गिरफ्तार हुए हैं। पुलिस ने दस महीने में 34 को मुठभेड़ में ढेर किया था। फरवरी के बाद भी उत्तर प्रदेश पुलिस का सूबे में अपराध पर नियंत्रण के लिए मुठभेड़ जारी है। अभी तक 500 पुलिस मुठभेड़ में जिनमें 58 अपराधी मारे गए हैं। सर्वाधिक मुठभेड़ पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हुई है। मेरठ जोन में ही 449 इनकाउंटर हुए। इनमें 985 की गिरफ्तारी हुई, जबकि 22 अपराधी मारे गए और 155 घायल हुए। इनमें 128 पुलिसकर्मी घायल भी हुए, जिनमें से एक शहीद हुआ।
विपक्ष का आरोप, एनकाउंटर में मुस्लिम-दलित निशाने पर
लखनऊ. उप्र में एनकाउंटर में एक जाति विशेष और धर्म विशेष के लोगों को मारे जाने का आरोप विपक्ष हमेशा से लगाता रहा है। जब योगी सरकार के 10 माह हुए तब 1100 से अधिक पुलिस एनकाउंटर हुए थे। इनमें 35 से अधिक कथित अपराधियों की मौत हुई थी। तब विधान परिषद में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसका श्रेय भी लिया था। और चेतावनी दी थी कि राज्य में अपराध पर नियंत्रण के लिए पुलिस एनकाउंटर जारी रहेंगे। तब मुख्यमंत्री ने दावा किया था कि 1200 एनकाउंटर में 40 ख़तरनाक अपराधी मारे गए हैं।
यह था सपा का आरोप
एनकाउंटर पर विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी का कहना है कि योगी सरकार हर मोर्चे पर नाकाम रही इसलिए अपनी कमियों को छिपाने के लिए एनकाउंटर का सहारा लिया। समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी का कहना था कि सत्तारुढ़ नेता संविधान को ताक पर रखकर काम कर रहे हैं। उन्होंने राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि एनकाउंटर में आम लोगों के अलावा अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है। साथ ही बदले की भावना से काम हो रहा है। चिन्हित करके लोगों के साथ अन्याय हो रहा है और उन्हें दंडित किया जा रहा है। पिछड़ी जाति, दलितों, अल्पसंख्यकों और किसानों को निशाना बनाया जा रहा है।
एनकाउंटर पर क्या कहते हैं अफसर
-पुलिस एनकाउंटर अधिकतर राज्य प्रायोजित होते हैं और 90 फ़ीसदी एनकाउंटर फर्जी होते हैं। जब राजनीतिक रूप से प्रायोजित एनकाउंटर होते हैं तो उनमें उस तबके के लोग होते हैं जो सत्ताधारी दल के लिए किसी काम के नहीं हैं या जिन्हें वो दबाना चाहते हैं।
एस.आर. दारापुरी,रिटायर्ड आईपीएस और उप्र पुलिस के पूर्व आईजी
-अपराधी जब निरंकुश हो जाएं तो ऐसे कदम उठाना आवश्यक हो जाता है और जब पुलिस पर ही हमला होने लगे तो गोली का जवाब गोली से ही देना पड़ता है। अपराध को समाप्त करने के लिए बहुत से काम करने होते हैं। और यह कहना गलत होगा कि सारे एनकाउंटर फर्जी थे।
प्रकाश सिंह, पूर्व डीजीपी, उत्तर प्रदेश
Updated on:
02 Jul 2018 04:44 pm
Published on:
02 Jul 2018 04:34 pm
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