surrogacy y Kya Hai : ? सरोगेसी का मतलब क्या होता है लखनऊ में एक प्रमुख सरोगेसी सेंटर की संचालिका डॉ सुनीता चंद्रा के अनुसार कि क्या है सरोगेसी का मतलब वे कहती हैं कि कुछ महिलाओं के गर्भाशय में प्राकृतिक-तकनीकी कमी के कारण भ्रूण का पूरा विकास नहीं हो पाता है। भ्रूण के परिपक्व होने के पहले ही महिला का गर्भपात हो जाता है। ऐसी स्थिति में ऐसी महिलाएं मातृत्व सुख से वंचित रह जाती हैं। लेकिन अब आईवीएफ तकनीकी की सहायता से ऐसी महिलाओं को भी मातृत्व का सुख दिया जाना संभव होने लगा है।
डॉ चंद्रा बताती है कि सरोगेसी एक बहुत महंगी प्रक्रिया है। उत्तर प्रदेश की बात करें तो यहां 70 से ज्यादा महिलाएं हर साल अपनी कोख बेचती हैं। हर महीने 6 से आठ सरोगेट मदर बच्चे को दे रही है। सबसे खास बात ये है कि 90 प्रतिशत मामलों में सरोगेट मदर को कोख का किराया दिया जाता है। सरोगेसी प्रक्रिया में खर्च 15 -20 लाख रूपए आसानी से लग जाते हैं। वे आगे कहती हैं कि सरोगेसी का ऑप्शन चुनना गलत नहीं हैं लेकिन आपको पूरी जांच पड़ताल करनी जरूरी है।
जाने कौन सी महिलाएं होती हैं शामिल
जानवरों में भी होती है सरोगेसी प्रक्रिया अभी तक आपने सेरोगेसी प्रक्रिया सिर्फ इंसानों में ही सुनी होगी पर हम आपको जानवरों में भी सेरोगेसी प्रक्रिया के बारे में बताने जा हैं। आज से चार साल पहले यूपी सरकार ने गाय की खास नस्ल को बचाने के लिए सरोगेसी का सहारा लेने का फैसला लिया था। गाय की इस खास नस्ल का नाम ‘गंगातीरी’ है। पशुधन विकास विभाग ने 290 गंगातीरी नस्ल की गायों की कोख किराए पर लिया था । यह गायें सरोगेट मदर जैसी थी, जिनसे पैदा होने वाले बछड़े और बछिया गंगातीरी की नस्ल को आगे बढ़ाने के काम आये ।सेरोगेसी प्रक्रिया में विवाद भी होते हैं
जानिए, इन स्थितियों में बेहतर विकल्प है सरोगेसी -आईवीएफ उपचार फेल हो गया हो.
-बार-बार गर्भपात हो रहा हो.
-भ्रूण आरोपण उपचार की विफलता के बाद.
-गर्भ में कोई विकृति होने पर.
-गर्भाशय या श्रोणि विकार होने पर.
-दिल की खतरनाक बीमारियां होने पर. जिगर की बीमारी या उच्च रक्तचाप होने पर या उस स्थिति में जब गर्भावस्था के दौरान महिला को गंभीर हेल्थ प्रॉब्लम होने का डर हो.
-गर्भाशय के अभाव में.
-यूट्रस का दुर्बल होने की स्थिति में