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दाल-रोटी खाएं, टमाटर के साथ अन्य सब्जियों के नखरे बढ़े

लेकिन टमाटर के आलावा अन्य रोज़मर्रा की सब्जियों के दाम पिछले दो हफ़्तों में लगभग दुगने हो गए हैं।सितम्बर से पहले इनकी कीमतों में गिरावट आना मुश्किल है।

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Jul 31, 2017

Tomato

Tomato

लखनऊ। अगर
आप आम आदमी है तो फिलहाल दाल रोटी खा कर ही काम चलाएं। जिस तरह सब्जियों
के भाव पिछले दो हफ़्तों में बढ़ रहे हैं जेब पर बोझ लगातार बढ़। पिछले साल
इसी समय एक किलो अरहर की दाल एक दाम 200 रूपए तक छुए थे लेकिन फिलहाल इस
साल ये 55 के आस पास हैं। लेकिन टमाटर के आलावा अन्य रोज़मर्रा की
सब्जियों के दाम पिछले दो हफ़्तों में लगभग दुगने हो गए हैं।सितम्बर से पहले इनकी कीमतों में गिरावट आना मुश्किल है।

हरी
सब्ज़ियों की खरीद से आपके पूरे महीने के बजट को 60 प्रतिशत तक बढ़ा सकता
है। टमाटर के दामों की मार तो पहले ही आम आदमी झेल रहा है लेकिन प्याज,
बैगन, भिंडी, तोरई, करेला जैसी सब्जियों के दाम भी बढ़ते जा रहे हैं।

प्याज के दाम बढे

प्याज की खरीद पिछले हफ्ते के मुकाबले लगभग दुगनी हो गई है।
प्याज का थोक मूल्य 6-8 रुपये प्रति किग्रा से बढ़कर 15-18 रूपए प्रति किग्रा हो गया है। इसके चलते सब्ज़ी मंडियों में प्याज की कीमत 20 रूपए तक है। व्यापारियों के अनुसार यह वृद्धि महाराष्ट्र में लगातार बारिश के कारण हुई है क्यूंकि वहीँ से शहर को अधिकतम आपूर्ति मिलती है।

एक अन्य प्रमुख कारण जीएसटी (माल और सेवा कर) है "ज्यादातर परिवहन कंपनियों ने जीएसटी के तहत अपने सिस्टम को संशोधित नहीं किया है इसलिए बहुत कम ट्रक चल रहे हैं। डबैगगा के एक थोक सब्जी डीलर अरविंद ने कहा, "गाड़ी का अभाव, आपूर्ति में कमी आई है और बदले में लागत" है।

अन्य सब्जियों के भी ऊँचे दाम

ऊंची कीमत पर बेचने के साथ, कच्ची सब्जियों की कुल लागत भी शहर
में आसमानी हो गई है। बैगन,

भिंडी, करेला, अरबी, आलू, टमाटर के दाम भी बढ़ आ गये हैं। बैगन की कीमत 40 रूपए से बढ़कर 60 रूपए, भिंडी 20 रूपए से 40 रूपए, करेला 40 रूपए से 80 रूपए, अरबी 25 रूपए से 40 रूपए, आलू 7 रूपए से 10 रूपए और टमाटर 80 रूपए से 120 रूपए तक पहुँच गया है।

दुबग्गा
सब्जी मंडी के थोक विक्रेता अंशुल ने कहा कि मानसून वजह से, परिवहन का
समय तीन से पांच दिनों से बढ़ गया है। इससे प्याज बासी हो जाता है।
साथ ही 40 प्रतिशत गुणवत्ता के कारण खारिज कर दिए जाते हैं। प्रदेश में भी बारिश के चलते हरी समझ्यां महंगी हो गयी हैं। साथ ही जीएसटी के चलते परिवहन की भी समस्या बढ़ गयी है।

वहीँ गृहिणी सीमा शर्मा कहती हैं कि सब्जियां जस तरह तेजी से महंगी हो रही हैं शाकाहारी के मुक़ाबले मांसाहारी खाना सस्ता लग रहा है। लेकिन प्याज के लिए कोई विकल्प नहीं है।