लखनऊ

Digvijay Singh: संघ और गोडसे के विचार से नहीं चलेगा देश तो क्या कहा बुद्धिजीवियों ने

कांग्रेस के नेता और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह अपने बयानों के चलते विवादों में रहे हैं। एकबार फिर से उन्होंने प्रयागराज आगमन पर उकसाने वाला बयान देकर माहौल गर्म कर दिया है।

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Jul 11, 2023
गांधी-गोडसे प्रतीक चित्र

Digvijay Singh: संघ परिवार के कार्यकर्ताओं के सर्वाधिक निशाने पर रहने वाले मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने फिर एक बार बयान देकर मामला गर्मा दिया है। दिल्ली से मिर्जापुर जाते समय प्रयागराज के बमरौली एयरपोर्ट पर उन्होंने भडक़ाउ बयान दे दिया। उन्होंने पत्रकारों से कहा कि यह देश संघ और गोडसे के विचार से नहीं चलेगा बल्कि देश गांधीवादी और नेहरूवादी विचारधारा से चलेगा। यूनिफार्म सिविल कोड पर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को कुछ मालूम ही नहीं है, पहले कानून ले आएं उसके बाद बात होगी।

विवादों से रहा है नाता
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह का शुरू से विवादों से नाता रहा है। चाहे हिंदू आंतकवाद का उनका बयान हो या संघ परिवार पर टिप्पणियां जिसकी आलोचना होती रही है। यहां तक कि एक बयान में उन्होंने आतंकी ओसामा बिन लादेन के नाम में जी शब्द जोडक़र ओसामा बिन लादेन जी कहा था जिसकी खूब आलोचना की गई थी। देश में सेकुलर तानेबाने को लेकर मुखर रहने वाले दिग्विजय सिंह को लेकर बुद्धिजीवियों और संघ परिवार से जुड़े लोगों ने तीखी प्रतिकिया दी है।

गांधी की हत्या के बाद पीएम को सूचना देने में घंटो क्यों लगे
प्रयाग विश्वविद्यालय के छात्र रहे सामाजिक कार्यकर्ता और इतिहास के शोधार्थी अवनीश कुमार पाण्डेय कहते हैं कि गोडसे हत्यारे थे हम सबको बताया गया लेकिन उनकी देशभक्ति पर सवाल तो कम से कम दिगिजिवय सिंह जैसे नेता नहीं उठा सकते। जिन परिस्थितियों में गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या की और हत्या के बाद जिस प्रकार हत्या का न्यायिक ट्रायल हुआ वह बहुत से प्रश्रों को जन्म देता है।

गांधी की हत्या का आभास क्या तत्कालीन पीएम को नहीं था? उनकी सुरक्षा के उपाय क्यों नहीं किए गए? उस समय की खुफिया एजेंसियां क्या कर रही थी ? हत्या के बाद जब गोडसे को वायसराय के सुरक्षाकर्मियों ने पकड़ लिया तो प्रधानमंत्री को सूचना देने में कई घंटे क्यों लग गए ? प्रधानमंत्री को क्यों कहना पड़ा कि बापू का हत्यारा कोई और नहीं बल्कि महाराष्ट्र का चित्तपावन ब्राम्हण नाथूराम गोडसे है।

क्या उनकी जाति और धर्म बताना जरुरी था ? 30 जनवरी 1948 को हत्या हुई और 15 नवंबर 1949 को फांसी दे दी गई, इतने कम समय में किसी हाई प्रोफाईल केस में सजा हुई? गोडसे को सर्वोच्च न्यायालम में अपील का मौका दिया गया? आखिर इतने बड़े घटनाक्रम की जांच ठीक से क्यों नहीं की गई ? कहीं इस हत्या में तत्कालीन सत्ता लोलुप नेताओं की भूमिका तो नहीं थी?

गांधी और गोडसे दोनों देश प्रेमी थे
शिक्षाविद् और सामाजिक कार्यकर्ता विनय प्रताप कहते हैं कि गोडसे की देशभक्ति पर संदेह नहीं किया जा सकता। गांधी और गोडसे दोनों देशभक्त थे। गांधी भारत को एक सर्व समावेशी देश की तरह देखते थे और उसके लिए मुस्लिम समाज को किसी भी हद तक जा कर मनाने के लिए तैयार थे, तो वहीं गोडसे पाकिस्तान बनने के बाद कांग्रेस और गांधी के न प्रयासों से सहमत न होने के कारण उनके विरोधी हो गए थे।

गोडसे और गांधी दोनों का गैर राजनैतिक प्रोपेगेंडा से हटकर विश्लेषण होना चाहिए। यदि गोडसे गांधी की हत्या के कारण गलत थे तो गांधी भी भारत तोडक़र बने पाकिस्तान को खुश करने के लिए किसी भी हद तक झुकने को तैयार होने के कारण गलत थे। मेरे विचार से दोनो आज होते तो एक दूसरे को क्षमा कर देते।

दिग्विजय सिंह को गंभीरता से नहीं लेना चाहिए
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के बयान को लेकर भाजपा के नेता और संघ के कार्यकर्ता अनुराग पाण्डेय कहते हैं कि उनके बयान को उनकी पार्टी के लोग ही गंभीरता से नहीं लेते। वह भाजपा प्रत्याशी साध्वी प्राची ठाकुर से चुनाव हार कर अब अपनी राजनीति बनाए रखने के लिए उल्टे सीधे बयान देते हैं।

तो वहीं विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय पदाधिकारी आशुतोष श्रीवास्तव कहते हैं कि कांग्रेस अब उल्टे सीधे काम कर रही है। इनके नेता पुराने ढर्रे को छोड़ नहीं पा रहे हैं कोई खेत में जाकर धान बोने लगता है तो कभी बाईक मिस्त्री का काम करने लगता है। पूरी पार्टी ही भ्रमित और हताशा में डूबी हुई है। अब देश की जनता जाग चुकी है और सनातन भारत राष्ट्र को विश्व में नंबर वन बनने से कोई रोक नहीं सकता।

Published on:
11 Jul 2023 01:56 pm
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