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लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार ने आधारभूत शिक्षा में ऐतिहासिक पहल करते हुए राज्य के 1.11 लाख सरकारी स्कूलों में यूकेजी सहित प्री-प्राइमरी शिक्षा शुरू करने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP-2020) के तहत यह प्रयास देश ही नहीं, दुनिया का सबसे बड़ा प्री-प्राइमरी शिक्षा अभियान माना जा रहा है।
शिक्षा विभाग ने प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा (ECCE) को सार्वभौमिक बनाने का प्रस्ताव रखा है। इसका उद्देश्य 5-6 वर्ष के बच्चों को कक्षा 1 में प्रवेश से पहले एक संगठित, पोषण और खेल-आधारित शिक्षा देना है।
प्रदेश सरकार ने 2026 तक सभी सरकारी स्कूलों में यूकेजी या बाल वाटिका शुरू करने का लक्ष्य तय किया है। इस समय 70,494 स्कूलों में पहले से ही आंगनवाड़ी केंद्र मौजूद हैं, जहां ECCE शिक्षकों की नियुक्ति की जा रही है। शुक्रवार को सरकार ने 8,800 स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति का आदेश जारी कर दिया है।
बाकी 41,127 स्कूलों में जहां आंगनवाड़ी नहीं हैं, वहां विशेष रूप से प्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी। जब तक नियुक्ति नहीं होती, तब तक इन स्कूलों में पैरा-टीचर (RAS) के जरिए यूकेजी कक्षाएं चलाई जाएंगी।
जहां पंजाब में 13,000 और असम में 25,000 स्कूलों में ECCE चल रही है, वहीं यूपी इसे एकसाथ 1.11 लाख स्कूलों में लागू कर रहा है। अधिकारियों के अनुसार, यह बच्चों को मजबूत शैक्षिक नींव देगा और स्कूल ड्रॉपआउट दर भी घटेगी। यह योजना शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 की धारा 11 के अनुरूप है, जो 6 वर्ष से कम आयु के बच्चों को स्कूल के लिए तैयार करने पर ज़ोर देती है।
उत्तर प्रदेश सरकार का यह प्रयास न केवल राष्ट्रीय शिक्षा नीति को जमीनी स्तर पर लागू करने का मॉडल बनेगा, बल्कि लाखों बच्चों के भविष्य को बेहतर दिशा भी देगा।
Published on:
30 Jun 2025 12:10 pm
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