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Uttar Pradesh Assembly elections 2022: बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व यूपी के सांसदों के साथ दिल्ली में कर रहा है मंथन

locationलखनऊPublished: Jul 28, 2021 09:29:04 pm

Uttar Pradesh Assembly elections 2022: दिल्ली में यूपी के भाजपा सांसदों के साथ अमित शाह और जेपी नड्डा बैठक ले रहे हैं और सीएम योगी भी मौजूद हैं। 2017 के नतीजे दोहराने की चुनौती और आगे की रणनीति पर हो रहा है मंथन।

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योगी आदित्यनाथ जेपी नड्डा

पत्रिका न्यूज नेटवर्क

लखनऊ.

Uttar Pradesh Assembly elections 2022 भारतीय जनता पार्टी 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में भी 2017 जैसी ऐतिहासिक जीत को दोहराने की कवायद में जुट गया है। चुनाव के मुद्दों से लेकर जीत तक की रणनीति तय की जा रही है। इसी कवायद को आगे बढ़ाते हुए दिल्ली में भाजपा का केन्द्रीय शीर्ष नेतृत्व यूपी के सभी सांसदों के संग बैठक कर चुनाव की रणनीति पर मंथन कर रहा है। कार्यकर्ताओं को एक्टिव करने के बाद अब सांसदों की भी मिशन यूपी के लिये जिम्मेदारियां तय की जा रही हैं।


इस बात पर खास जोर है कि केन्द्र और राज्य सरकार के कामकाज, विकास कार्यों और आम जनता के हित के लिये चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं को आम जनता तक कैसे पहुंचाया जाए। बैठक में केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह के अलावा बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा सांसदों से फीडबैक ले रहे हैं। यूपी से खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, यूपी बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्र देव, प्रदेश संगठन मंत्री सुनील बंसल और उत्तर प्रदेश के प्रभारी राधामोहन सिंह शामिल हो रहे हैं। बैठक में काशी, गोरखपुर, कानपुर, बुंदेलखंड, ब्रज, अवध और कानपुर क्षेत्र सभी सांसद मौजूद होंगे। 28 जुलाई को कानपुर, बुंदेलखंड, पश्चिम व ब्रज क्षेत्र तो 29 जुलाई को अवध काशी और गोरखपुर के सांसद बुलाए गए हैं।


संसद सत्र चलने के चलते सभी सांसद दिल्ली में ही हैं, इसलिये उन सबको दिल्ली ही रुकने को कहा गया है। बैठक में सांसदों से उनके जिले में योजनाओं को लेकर फीडबैक लेने के साथ ही उनके क्षेत्र की वर्तमान सियासी फिजा को भी समझने की कोशिश होगी। इसी के आधार पर आगे की रणनीति पर मंथन होगा। जिस तरह मंत्री जिलों के प्रभारी बनाए गए हैं उसी तर्ज पर सांसदों को विधानसभा की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।


इस बैठक में पार्टी द्वारा टिकट काटे जाने पर बगावत की स्थिति को संभालने को लेकर भी रणनीति बनेगी। माना जा रहा है कि बीजेपी अपने कुछ सिटिंग विधायकों के टिकट काट सकती है। ऐसे में बगावत की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। शीर्ष नेतृत्व इस स्थिति से निपटने के लिये भी और इसे हैंडल करने में चूक नहीं करना चाहता।

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