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Saryu Canal Project साल के अंत पूरी हो जाएगी सरयू नदी परियोजना, इन 9 जिलों के किसानों को होगा लाभ

चार दशक से चली आ रही लाखों किसानों की आस ( Saryu Canal Project ) वर्ष 2022 के शुरू में पूरी होने जा रही है। इस नदी से घाघरा, राप्ती, रोहिन और बाणगंगा के जुड़ने के बाद पूर्वांचल के लाखों किसानों की बाढ़ और सूखे की समस्या का स्थाई हल हो जाएगा।

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लखनऊ

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shivmani tyagi

Jul 06, 2021

सरयू नदी में बढ़ी ऑक्सीजन की मात्रा, पीने योग्य हुआ जल

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पत्रिका न्यूज नेटवर्क

लखनऊ ( Lucknow ) पूर्वांचलन के किसानों के लिए अच्छी खबर है। लाखों किसानों का पिछले चार दशकों का इंतजार खत्म होने जा रहा है। अगले वर्ष 2022 की शुरूआत में सरयू नहर परियोजना शुरू होने जा रही है। पूर्वांचल के 9 जिलें बहराईच, श्रावस्ती, बलरामपुर, गोंडा, सिद्धार्थनगर, बस्ती, संतकबीर नगर, गोरखपुर और महराजगंज के किसानाें काे इस याेजना का लाभ मिलेगा। इस योजना के शुरू होने के बाद इन किसानों की बाढ़ और सूखेे जैसी समस्याएं हमेशा के लिए खत्म हाे जाएंगी।

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आपकाे बता दें कि पिछले दिनों गोरखपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा था कि उत्तर प्रदेश में अगले तीन-चार महीनों में उत्तरप्रदेश की करीब 22 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित हो जाएगी। सरयू नहर, मध्य गंगा और अर्जुन सहायक नहर जैसी परियोजनाएं इसमें मददगार साबित होंगी। इनमें से सरयू नहर परियोजना लगभग पूरी होने को है। उम्मीद जताई जा रही है कि अगले साल वर्ष 2022 की शुरूआत में लाखों किसान इस परियोजना का लाभ ले सकेंगे।

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अक्टूबर-2018 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ( UP CM Yogi Adityanath ) ने 500 करोड़ रुपए से ऊपर की जिन परियोजनाओं की समीक्षा की थी उसमें सरयू नहर भी शामिल थी। उस समय मुख्यमंत्री ने हर सप्ताह काम के प्रगति की निगरानी करने का निर्देश अधिकारियों को दिया था। तीन जून को मुख्य सचिव आरके तिवारी की अध्यक्षता में हुई बैठक में भी सरयू नहर को लेकर चर्चा हुई थी। तब बताया गया था कि इसे मार्च 2022 तक पूरा किया जाना प्रस्तावित है। ऐसा होने पर सरकार किसानों के हितों के साथ 44 साल से निर्माणाधीन नहर को पूरा कर काम के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का भी प्रमाण देने में सफल होगी।

14 लाख हेक्टेयर भूमि होगी सिंचित
इस नहर के पूरा होने से प्रदेश के अपेक्षाकृत पिछड़े पूर्वाचल के नौ जिलों को लाभ होगा। करीब 14.04 लाख हेक्टेयर रकबे की सिंचाई के साथ ही बाढ़ की समस्या का भी स्थाई समाधान निकलेगा। इसमें घाघरा, सरयू, राप्ती, बाणगंगा और रोहिन नदी पर गिरिजा, सरयू, राप्ती, और वाणगंगा के नाम से बैराज बनाकर इससे मुख्य और सहायक नहरें निकाली जाएंगी।

1982 में परियोजना विस्तार के साथ बदल गया था नाम

1982-83 में इस याेजना का विस्तार पूर्वांचल के ट्रांस घाघरा-राप्ती-रोहिणी क्षेत्र में करते हुए नौ और जिलों को भी इसमें शामिल किया गया था। भारत सरकार ने इसका नाम बदलकर सरयू परियोजना रख दिया था। तय हुआ था कि इसमें घाघरा के साथ राप्ती, रोहिन को भी नहर प्रणाली से जोड़ा जाएगा।

2012 में मिला राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा
इस परियोजना की महत्ता और उपयोगिता काे देखते हुए केंद्र ने 2012 में इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित कर दिया। इसके तहत पूर्वांचल के नौ जिलों में 14.04 लाख हेक्टेयर रकबे में सिंचन क्षमता का विस्तार कर वहां के लाखों किसानों को लाभान्वित करने कि याेजना बना दी गई थी। इस बावत सरयू मुख्य नहर, राप्ती मुख्य नहर और गोला पंप कैनाल, डुमरियागंज पंप कैनाल अयोध्या पंप कैनाल और उतरौला पंप कैनाल के कुल 6590 किमी लंबाई में नहर प्रणाली का विस्तार किया जाना है।

लंबे समय से उपेक्षित थी परियाेजना
सरयू नहर ( Saryu Canal ) राष्ट्रीय परियोजना सिंचाई विभाग ( National Project Irrigation Department ) के साथ-साथ भारत सरकार की महत्वाकांक्षी नदी घाटी जोड़ो परियोजना से भी जुड़ती है। इसके जरिए घाघरा, सरयू, राप्ती, बाण गंगा और रोहिन नदी को भी जुड़ना है। इससे इन जिलों में हर साल आने वाली बाढ़ की समस्या भी काफी हद तक स्थाई हल हो जाएगी। पूर्वांचल के नौ जिलों के लाखों किसानों की तकदीर और खेतीबाड़ी का कायाकल्प हाे जाएगा। पिछले दशकों में इस यह याेजना उपेक्षित रही जिससे किसानाें काे इसका लाभ देर मिलेगा। 2017 में इस परियोजना में तेजी आई। नहरों के अवशेष कार्यों को पूर्ण करने के लिए उच्च स्तर से निर्गत आदेशों के क्रम में स्थानीय प्रशासन के सहयोग से विशेष अभियान चलाया गया।

परियोजना की नहर प्रणाली एक नजर में
बहराइच में घाघरा नदी पर निर्मित गिरजापुरी बैराज के बाएं से बैक से 360 क्यूसेक क्षमता की सरयू योजक नहर ( 17.035 किलोमीटर ) निकाली गई है। इससे सरयू नदी पर निर्मित सरयू बैराज के अपस्ट्रीम दाएं किनारे में पानी लाया जाएगा। सरयू बैराज के बाएं बैक से 360 क्यूसेक क्षमता की 63. 15 किलोमीटर की सरयू नहर निकाली गई है। सरयू मुख्य नहर के 21.4 किलोमीटर के दाएं बैक से इमामगंज शाखा प्रणाली निकाली गयी है। सरयू मुख्य नहर के 34.70 किलोमीटर के बाएं किनारे से राप्ती योजक नहर 21.4 किलोमीटर लम्बाई में निर्मित कराई गई है। यह राप्ती नदी पर निर्मित राप्ती बैराज के अपस्ट्रीम में राप्ती नदी को पानी उपलब्ध कराएगी। इसका उपयोग 125.682 किलोमीटर लम्बी राप्ती मुख्य नहर के लिए किया जाएगा। सरयू मुख्य नहर के 63.150 किलोमीटर से दो शाखा प्रणाली बस्ती व गोंडा निकाली गई हैं। बस्ती शाखा से 4.20 लाख हेक्टेयर एवं गोंडा शाखा से 3.96 लाख हेक्टेयर सिंचाई होगी। राप्ती के मुख्य नहर के टेल से कैम्पियरगंज शाखा राप्ती मुख्य नहर प्रणाली से 3.27 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा प्रदान किया जाना भी प्रस्तावित है। इसी क्रम में श्रावस्ती में लक्ष्मनपुर कोठी के निकट निर्मित राप्ती बैराज के बाएं तट से राप्ती मुख्य नहर का निर्माण कार्य प्रगति पर है। इसकी कुल लंबाई 125.682 किलोमीटर है। उक्त नहर के दोनों किनारों पर आठ-आठ मीटर चौड़ा सेवा मार्ग बनेगा। यह श्रावस्ती बलरामपुर सिद्धार्थनगर को जाएगी। बाद में इसे बॉर्डर रोड के रूप में विकसित किया जा सकेगा।

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