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UP Madarsa Act: मदरसा एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर मायावती ने दी प्रतिक्रिया, कहा- अमल करना जरूरी

UP Madarsa Act: बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने मदरसा एक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। आइए जानते हैं कि उन्होंने क्या कहा...

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लखनऊ

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Sanjana Singh

Nov 05, 2024

Mayawati

UP Madarsa Act: उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम 2004 को सुप्रीम कोर्ट ने संवैधानिक करार दिया है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने शीर्ष अदालत के इस फैसले का स्वागत किया है। मायावती ने लिखा, सुप्रीम कोर्ट द्वारा आज एक अहम फैसले में यूपी मदरसा शिक्षा बोर्ड कानून-2004 को वैध व संवैधानिक करार दिए जाने के फैसले का स्वागत। इससे यूपी में मदरसा शिक्षा को लेकर उपजे विवाद व हजारों मदरसों की अनिश्चितता को अब निश्चय ही समाप्त होने की संभावना। इस पर सही से अमल जरूरी।

'यूपी के मदरसों को मान्यता मिलने की संभावना'

बसपा अध्यक्ष के मुताबिक इससे अल्पसंख्यकों के शैक्षिक अधिकारों की रक्षा होगी। उन्होंने आगे लिखा, "सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब खासकर यूपी के मदरसों को मान्यता मिलने और उनके सुचारू संचालन में स्थायित्व आने की संभावना है। अदालत ने कहा कि मदरसा एक्ट के प्रावधान संवैधानिक मूल्यों के अनुरूप हैं और ये धार्मिक अल्पसंख्यकों के शैक्षिक अधिकारों की सुरक्षा करते हैं।"

उत्तर प्रदेश की पूर्व सीएम रही मायावती ने आगे कहा, "सुप्रीम कोर्ट की 9-जजों की बेंच द्वारा हर निजी संपत्ति को संविधान के अनुच्छेद 39(बी) के तहत सामुदायिक संपत्ति का हिस्सा नहीं मानना व इसका अधिग्रहण करने से रोकने के फैसले का भी स्वागत। अब तक सरकार के पास आम भलाई हेतु सभी निजी संपत्तियों को अधिग्रहित करने का अधिकार था।"

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क्या है पूरा मामला?

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम को असंवैधानिक करार दिया था और विद्यार्थियों को अन्य विद्यालयों में भर्ती करने को कहा था।

सीजीआई डीवी चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने इस मामले पर सुनवाई की। अदालत ने अपने फैसले में ये भी कहा कि क्वालिटी एजुकेशन के लिए मदरसों को सरकार रेगुलेट कर सकती है। कोर्ट ने माना कि एक्ट के प्रावधान संवैधानिक मूल्यों के अनुरूप हैं और धार्मिक अल्पसंख्यकों के शैक्षिक अधिकारों की सुरक्षा करते हैं।


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