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डीजे से फैल रही नफरत, पुलिस बना रही सांप्रदायिक गीतों की सूची

पुलिस का मानना है कि इन गीतों के बजने के बाद हिंसक झड़प, आगजनी और पत्थरबाजी की घटनाएं हो सकती हैं...

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लखनऊ

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Nitin Srivastva

Aug 17, 2018

UP police prepare Communal songs list

डीजे से फैल रही नफरत, पुलिस बना रही सांप्रदायिक गीतों की सूची

पत्रिका इनडेप्थ स्टोरी

लखनऊ. गीत-संगीत प्रेम और भाईचारा कायम करने का माध्यम रहे हैं। गीत नफरत कम करने और तनाव को रोकने का भी काम करते रहे हैं। लेकिन, अब गीतों के बोल समाज में जहर घोल रहे हैं। यह दो संप्रदायों में नफरत पैदा कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश पुलिस को खुफिया विभाग से मिली सूचनाओं के मुताबिक कई डीजे कंपनियां ऐसे गीत-संगीत बजा रही हैं, जो न केवल सांप्रदायिक हैं बल्कि इनसे दंगे भी भडक़ सकते हैं। इस सूचना के बाद पुलिस विभाग सर्तक हो गया है। उन सांप्रदायिक गीतों की सूची बनायी जा रही है जो कांवड़ यात्रा, शोभायात्रा और रामनवमी आदि मौकों पर डीजे वाले बजाते हैं। पुलिस का मानना है कि इन गीतों के बजने के बाद दो समुदायों के बीच हिंसक झड़प, आगजनी और पत्थरबाजी की घटनाएं हो सकती हैं। यह दंगों का कारण भी बन सकती हैं।

डीजे वाले घोल रहे जहर

पुलिस का कहना है कि धार्मिक शोभा यात्राओं में अब डीजे बहुत जरूरी हो गया है। शोभा यात्राओं में लोग मस्ती में नाचते गाते हैं। ऐसे समय में इस तरह के गाने बजाने या नारे लगाने का चलन बढ़ा है जिसमें एक समुदाय विशेष को टारगेट किया जाता है। डीजे पर धार्मिक गानों के बजाय भडक़ाऊ गाना बजता है तो भीड़ को संभालना मुश्किल हो जाता है। खासकर जब इस तरह के गीत मुस्लिम बहुल इलाकों में बजते हैं तो स्थिति तनावपूर्ण हो जाती है। अक्सर गानों में जय श्री राम के नारे का उद्घोष होता है और पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाए जाते हैं। तब प्रशासन को स्थिति संभालना मुश्किल हो जाता है।

तकनीक ने किया काम आसान

तकनीक ने काम आसान कर दिया है। ऐसे में मिक्सिंग आदि के जरिए हर दिन नए टोन और अंदाज के गाने इजाद हो जाते हैं। विभिन्न जिलों की पुलिस ने करीब 70 से ज्यादा गानों को सार्वजनिक रूप से बजाने पर बैन किया है। लेकिन इस तरह के गाने अब कस्बों में भी डाउनलोड हो जा रहे हैं। इन्हें रोक पाना संभव नहीं होता। पुलिस तो सिर्फ एडवाइजरी ही जारी कर सकती है।

यू ट्यूब पर कैसे लगे रोक

पुलिस का कहना है कि आज यूट्यूब पर तमाम ऐसे गाने पड़े हैं जो दंगा फैलाने, साम्प्रदायिक हिंसा फैलाने के लिए पर्याप्त हैं। कुछ गानों के बोल तो बहुत ही आपत्तिजनक हैं। इनको रोक पाना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती है। बहुत सारे मिक्स फ्री में ऑनलाइन उपलब्ध हैं। लोग उन्हें डाउनलोड कर लेते हैं।

धर्म कोई मायने नहीं रखता

पुलिस का कहना है कि ऐसा नहीं है कि डीजे पर बजने वाले गाने सिर्फ हिंदू ही बना रहे हैं। तमाम डीजे के संचालक मुस्लिम हैं। उनके डीजे पर भी सांप्रदायिक गाने बजते हैं। उनके लिए धर्म कोई मायने नहीं रखता है। युवाओं को जल्द नाम और दाम चाहिए। इसलिए वे कुछ भी रच रहे हैं, गा रहे हैं।

नफरत बिकती है, भक्ति नहीं

उत्तेजक देशभक्ति और धार्मिक संदेशों से जुड़े हुए यह गीत, अधिकांश हिन्दू विशिष्टता की घोषणा करने वाले होते हैं। राजनीतिक रूप से भडक़ीले गाने उनके पैरोकारों के लिए एक व्यापार है। एक डीजे के लिए गीत कहने वाले का तो यह कहना है कि नफरत बिकती है, भक्ती नहीं। इसीलिए हिंदू और मुसलमान दोनों के लिए संगीत बनते हैं। उद्देश्य सिर्फ पैसा कमाना होता है। धर्म की सेवा करना नहीं। एक गीत पर डीजे से कम से कम 500 से 800 रूपए से अधिक की कमाई हो जाती है। जो गीत जितना सांप्रदायिक होता है उस पर उतने ही ज्यादा नोट लुटाए जाते हैं।

पुलिस के लिए चुनौती, कैसे कसे लगाम

अमूमन हर बड़े जिले में 200 से लेकर 300 डीजे हैं। डीजे पर राम नवमी,गणेश चतुर्थी जैसे त्योहारों पर बेहिचक धमाकेदार गाने बजाए जाते हैं। प्रत्येक डीजे में लगभग चार से पांच सहायक लडक़े होते हैं जो रोड शो के दौरान मिक्सिंग, डिस्ट्रीब्यूटिंग में मदद कर इसे बजाते हैं। इनमें पाकिस्तान विरोधी संवादों वाले गीतों की मांग बेहद अधिक है। पुलिस के लिए यह चुनौती है कि आखिर वह कैसे इन सब पर नजर रखे। तब यह चुनौती और बढ़ जाती है जब जनता की डिमांड पर इस तरह के गीत गाए जाते हैं।

इस तरह के गाने....

- मैं हिन्दू जगाने आया हूं, मैं हिन्दू जगाकर जाऊंगा। मरते दम तक अपने मुख से जय श्री राम गाऊंगा।

- मैं तुम्हारी हुकूमत को गिरा कर अपनी हुकूमत की बुनियाद रखूंगा, जय श्री राम।

- जलते हुए दिए को परवाने क्या बुझाएंगे...जो मुर्दों को नहीं जला पाते वो जिंदों को क्या जलाएंगे

- ...जो हमारे देश में राम का नहीं वो हमारे किसी काम का नहीं