
लखनऊ. उत्तर प्रदेश सबसे ज्यागा जनसंख्या वाला राज्य है। यहां जनसंख्या को काबू में करने और सीमित परिवार की अवधारणा को कानूनी जामा पहनाने की ओर योगी सरकार (Yogi Adityanath) ने बड़ा कदम उठाया है। उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग ने उत्तर प्रदेश जनसंख्या (नियंत्रण, स्थिरीकरण व कल्याण) विधेयक 2021 (UP Population Control Bill) का प्रारूप सीएम योगी आदित्यनाथ को सौंप दिया। जिसमें एक बच्चे वाले सीमित परिवार को अलग से लाभ दिए जाने की कई अहम सिफारिशें भी शामिल हैं।
दो से ज्यादा बच्चों पर छिनेंगी ये सुविधाएं
दो बच्चों वाले परिवार को सब्सिडी समेत दूसरी योजनाओं के लाभ से लेकर प्रमोशन की हिमायत की गई है, जबकि दो से ज्यादा बच्चे पैदा करने वालों के लिए सरकारी नौकरी में आवेदन से लेकर प्रमोशन में रोक रहेगी। ऐसे लोग स्थानीय निकाय का चुनाव भी नहीं लड़ सकेंगे। जबकि 45 साल की उम्र तक एक ही बच्चा रखने वाली सभी महिलाओं को एक लाख रुपये की विशेष प्रोत्साहन राशि मिलेगी। वहीं उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग के सुझावों पर मंथन के बाद आयोग के अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति एएन मित्तल के निर्देशन में प्रारूप को आखिरी रूप दिया गया है। जानकारी के मुताबिक योगी सरकार मानसून सत्र में जनसंख्या नियंत्रण कानून के विधेयक को विधान मंडल में ला सकती है।
किये गये ये बदलाव
आयोग ने विधेयक का प्रारूप तैयार कर उस पर सुझाव मांगे थे। करीब 8500 में 99.5 फीसदी लोगों ने कानून बनाने के पक्ष में मत दिया है। उनका मानना है कि आने वाली पीढ़ी को बेहतर स्वास्थ्य, शिक्षा व अन्य सुविधाएं देने के लिए जनसंख्या पर नियंत्रण बेहद जरूरी है। सुझाव पर मंथन के बाद कुछ बदलाव भी किए गए हैं। आयोग के मुताबिक साल 2001 से 2011 के बीच उत्तर प्रदेश की जनसंख्या 20.23 फीसदी बढ़ी है। आंकड़ों पर अगर नजर डालें तो अकेले गाजियाबाद में 25.82% जनसंख्या बढ़ोतरी हुई है। इसके अलावा लखनऊ, मुरादाबाद, सीतापुर और बरेली में जनसंख्या वृद्धि 23 से 25.82 के बीच रही है।
आयोग की नईं सिफारिशें
- दो बच्चे वालों को ग्रीन और एक बच्चे वालों को गोल्ड कार्ड दिया जाए। जिससे किसी योजना का लाभ पाने के लिये बार-बार कहीं कागजात न दिखाने पड़ें।
- 45 साल की उम्र तक एक ही बच्चा रखने वाली सभी महिलाओं को एक लाख रुपये की विशेष प्रोत्साहन राशि मिलेगी।
- ट्रांसजेंडर बच्चे को दिव्यांग के रूप में देखा जाएगा। यानी दो बच्चों में एक के ट्रांसजेंडर होने पर परिवार को एक बच्चे के दिव्यांग होने की तरह ही तीसरे बच्चे की छूट होगी।
- दंपती में तलाक के बाद जो बच्चा पति और पत्नी की कस्टडी में रहेगा, वह उसकी यूनिट में ही जोड़ा जाएगा।
- नसबंदी कराने की कोई पाबंदी नहीं होगी। अगर एक परिवार में महिला की उम्र 45 साल है और उसके सबसे छोटे बच्चे की उम्र 10 वर्ष है तो ऐसे दंपती के लिए नसबंदी की जरूरत नहीं होगी।
- वहीं किसी को प्रेरित करके उसकी स्वेच्छा से नसबंदी कराने की दशा में संबंधित आशा वर्कर को अलग से मानदेय दिया जाएगा।
खास सुविधाएं
- एक संतान वाले दंपती को सरकारी नौकरी में चार इन्क्रीमेंट तक मिल सकते हैं।
- एक बच्चा होने पर उसकी शिक्षा के लिए अतिरिक्त लाभ मिलेंगे। वहीं बेटी होने पर उच्च शिक्षा के लिए स्कालरशिप भी मिलेगी।
इन सुविधाओं में होगी कटौती
- दो से ज्यादा बच्चे वालों को सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में अध्यक्ष या प्रबंध निदेशक या किसी दूसरे प्रबंधन से जुड़े पद पर नियुक्ति नहीं मिलगी।
- स्थानीय प्राधिकरण में भी सदस्य या किसी दूसरे पद पर नामित नहीं किए जा सकेंगे।
- सरकारी सेवा के लिए भी आवेदन नहीं कर सकेंगे।
- सरकारी सेवा में प्रमोशन पर भी रोक रहेगी।
- सरकार को कानून लागू कराने के लिए राज्य जनसंख्या कोष बनाना होगा।
- स्कूल के पाठ्यक्रम में जनसंख्या नियंत्रण का भी पाठ होगा।
- केवल चार यूनिट तक राशनकार्ड सीमित होगा।
Updated on:
17 Aug 2021 11:34 am
Published on:
17 Aug 2021 11:18 am
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