UP Power Corporation Electricity Tariff: उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री डॉ. ए.के. शर्मा ने रविवार को स्पष्ट किया कि राज्य में बिजली वितरण व्यवस्था का निजीकरण किया जाएगा, लेकिन इससे उपभोक्ताओं को महंगी बिजली नहीं मिलेगी। उन्होंने यह भी कहा कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण की प्रक्रिया जारी है और सरकार इस दिशा में पूरी पारदर्शिता से काम कर रही है। वाराणसी दौरे के दौरान सर्किट हाउस में 'पत्रकारों ' से विशेष बातचीत में ऊर्जा मंत्री ने कई महत्वपूर्ण बातें साझा कीं।
डॉ. शर्मा ने कहा कि निजीकरण का उद्देश्य उपभोक्ताओं को बेहतर सेवा देना, तकनीकी सुधार करना और लाइन लॉस को कम करना है। उन्होंने जोर देकर कहा, "इस प्रक्रिया से बिजली की दरें नहीं बढ़ेंगी। वितरण व्यवस्था को निजी हाथों में देने का मतलब यह नहीं है कि उपभोक्ता पर आर्थिक बोझ डाला जाए। जो दरें नियामक आयोग तय करता है, वही लागू रहेंगी।"
फिलहाल सरकार ने पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम (PVVNL) और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम (DVVNL) के निजीकरण पर फोकस किया है। इन दोनों निगमों के तहत राज्य के करीब 50 जिलों में बिजली वितरण की जिम्मेदारी है।
डॉ. शर्मा के अनुसार पूर्वांचल में तकनीकी और वाणिज्यिक हानियां अपेक्षाकृत अधिक हैं। दक्षिणांचल में शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में ग्राहक सेवा में सुधार की जरूरत है। निजी कंपनियों के आने से इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत होगा और ग्राहक संतुष्टि बढ़ेगी।
ऊर्जा मंत्री ने इस सवाल पर भी विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा, "वर्तमान वितरण व्यवस्था में लाइन लॉस, बिलिंग में अनियमितता, चोरी, और ग्राहक सेवा में कमी जैसी समस्याएं हैं। सरकार ने पाया कि निजी कंपनियों के पास इन समस्याओं के समाधान के लिए बेहतर तकनीक और प्रबंधन कौशल है। इसलिए वितरण व्यवस्था के निजीकरण का फैसला लिया गया है।"
बिजली दरों को लेकर आम उपभोक्ताओं के बीच चिंता रहती है कि निजीकरण के बाद बिजली महंगी हो जाएगी। इस पर ऊर्जा मंत्री ने स्पष्ट किया, "राज्य विद्युत नियामक आयोग (UPERC) ही बिजली की दरें तय करता है। चाहे वितरण व्यवस्था सरकारी हो या निजी, दरें आयोग द्वारा अनुमोदित होंगी। निजी कंपनियों को मनमानी दर वसूलने का अधिकार नहीं होगा।"
ग्रामीण उपभोक्ताओं को लेकर भी मंत्री ने भरोसा दिलाया। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली वितरण में सुधार होगा, लेकिन सब्सिडी और दरों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। “ग्रामीण गरीबों को मिलने वाली वित्तीय सहायता, कनेक्शन की रियायतें, और सस्ती दरों में कोई बदलाव नहीं होगा।"
ऊर्जा मंत्री ने बताया कि सरकार 2025 के अंत तक पूर्वांचल और दक्षिणांचल वितरण कंपनियों के निजीकरण की प्रक्रिया को पूरी तरह लागू करना चाहती है।\इसके लिए कंसल्टेंसी एजेंसी नियुक्त की गई है।निविदा दस्तावेज (RFP) तैयार हो रहे हैं।निजी कंपनियों से प्रस्ताव (EOI) आमंत्रित किए गए हैं। जन हितैषी शर्तों को शामिल किया गया है।
सरकारी कंपनियों के कर्मचारी संगठनों के बीच आशंका है कि निजीकरण के बाद नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं। इस पर मंत्री ने कहा, "जो भी स्थायी कर्मचारी हैं, उनकी सेवा शर्तें पहले की तरह बनी रहेंगी। कोई भी कर्मचारी बेरोजगार नहीं होगा। जो भी परिवर्तन होगा, सरकारी नीति के तहत किया जाएगा।"
डॉ. शर्मा ने कहा कि इस पूरी प्रक्रिया को पूरी पारदर्शिता से किया जा रहा है। "निजीकरण कोई रहस्यमयी प्रक्रिया नहीं है। जनता, उपभोक्ता फोरम, और कर्मचारी संगठनों के साथ बातचीत चल रही है। सभी पक्षों की राय को महत्व दिया जा रहा है।"
ऊर्जा मंत्री ने अंत में कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार चाहती है कि उत्तर प्रदेश में 24x7 गुणवत्तापूर्ण बिजली आपूर्ति सुनिश्चित हो। "इसलिए वितरण व्यवस्था में बेहतर तकनीक, आधुनिक प्रबंधन और उपभोक्ता केंद्रित दृष्टिकोण लाने के लिए यह जरूरी कदम उठाया जा रहा है। हमारा लक्ष्य है कि 2026 तक यूपी देश के सर्वश्रेष्ठ बिजली आपूर्ति करने वाले राज्यों में शामिल हो।"
Published on:
10 Jun 2025 08:33 am