Monsoon Alert : मौसम विभाग ने यूपी में मानसून आने की तारीखी का अनुमान लगाया है। विभाग के अनुसार, इस महीने के अंत तक मानसून की एंटी उत्तर प्रदेश में हो जाएगी।
Monsoon Alert: यूपी में लगातार मौसम में बदलाव देखने हो रहा है। पिछले दिनों हुई बारिश से लोगों को गर्मी से राहत मिली है। इस बीच भारतीय मौसम विभाग ने उत्तर प्रदेश में मौसम के शुष्क रहने की संभावना है। हालांकि, यूपी के कुछ एक स्थानों पर बारिश की उम्मीद जताई है।
इस बार मानसून के आगमन में और देर होने के आसार हैं। मौसम विभाग ने चार दिन के विलंब के साथ चार जून को केरल में दस्तक देने की भविष्यवाणी की थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। विभाग बंगाल की खाड़ी में मानसून की गतिविधियों पर नजर रखे हुए है। अगले दो-तीन दिनों के भीतर ही मानसून की प्रगति को लेकर स्थिति साफ हो पाएगी।
दक्षिण पश्चिमी मानसून आमतौर पर एक जून को केरल में दस्तक देता है। रविवार को मौसम विभाग ने कहा कि मानसून अंडमान निकोबार द्वीप समूह पार कर चुका है तथा बंगाल की खाड़ी में श्रीलंका के मध्य तक पहुंच चुका है। मानसून में प्रगति हुई है, पर यह दो से चार जून के बीच जरा भी आगे नहीं बढ़ पाया है। विभाग के मुताबिक, मानसून को अभी केरल में पहुंचने में कम से कम दो-तीन दिन लग सकते हैं। इसके इस बार हफ्ता भर विलंब से केरल पहुंचने के आसार हैं।
अन्य हिस्सों में भी देरी मुमकिन
केरल में मानसून के देरी से पहुंचने से यह खतरा भी पैदा हो गया है कि यूपी में भी मानसून के पहुंचने में विलंब हो सकता है। हालांकि, विभाग का कहना है कि यह जरूरी नहीं है। यह आगे की स्थितियों पर निर्भर करता है। कई बार केरल में मानसून समय पर पहुंचता है, लेकिन इसके उत्तर-पश्चिम भारत पहुंचने में विलंब हो जाता है। कई बार ऐसा भी हुआ है।
लखनऊ में पारा और चढ़ेगा
उत्तर प्रदेश में गर्मी अभी अपने तेवर और तीखे करेगी। दिन का तापमान और बढ़ेगा और मंगलवार छह जून से विंध्य और बुन्देलखंड में लू चलेगी। इन इलाकों में पारा 45 डिग्री सेल्सियस के ऊपर जा सकता है। आंचलिक मौसम विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक अतुल कुमार सिंह ने बताया कि लखनऊ और आसपास के इलाकों में भी अगले दो तीन दिनों के भीतर दिन का तापमान 40 डिग्री के पार जा सकता है।
अल नीनो की आशंका
इस बार अल नीनो की आशंका जाहिर की जा रही है। प्रशांत महासगार में विषुवत रेखा के इर्द-गिर्द समुद्र के तापमान में बढ़ोतरी हो रही है। यह बढ़ोतरी मानसूनी हवाओं को कमजोर करती है। प्रशांत महासागर में अल नीनो पैटर्न विकसित होने की संभावना 90 फीसदी है। पहले भी अल नीनो के कारण औसत से कम बारिश हो चुकी है। इसका असर दुनिया पर पड़ता है।