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यूपी की इन 20 शख्सियतों पर रहेगी देश की नजर, 2020 में इनके सामने हैं कई चुनौतियां

राजनेताओं के अलावा क्रिकेटर, गायक, एक्टर, आईएएस और कई आईपीएस अफसर हैं, जिन पर 2020 में सबकी नजर रहेगी

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लखनऊ

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Hariom Dwivedi

Jan 04, 2020

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हर क्षेत्र में महारत हासिल करने वाले सूबे के कई बड़े चेहरे हैं

लखनऊ. राजनीति की बात हो या फिर खेल-खिलाड़ी की। शिक्षा हो या फिर कला-संस्कृति। एक्टिंग हो या फिर सिंगिग, 2020 में सबकी नजर उत्तर प्रदेश की प्रतिभाओं पर रहेगी। हर क्षेत्र में महारत हासिल करने वाले सूबे के कई बड़े चेहरे हैं, जो अभी तक देश-दुनिया में यूपी का नाम रोशन करते रहे हैं और आगे भी करेंगे। इन्हीं शख्सियतों का प्रदर्शन निर्भर करेगा कि 2020 में उत्तर प्रदेश दशा और दिशा क्या होगी। राजनीति की बात करें तो यहां करीब दो दर्जन ऐसे नाम हैं, जिनकी देश की राजनीति में सीधी दखल है। 2020 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, स्वतंत्र देव सिंह, अखिलेश यादव, शिवपाल यादव, प्रियंका गांधी, मायावती, अजय कुमार लल्लू, आकाश आनंद, जयंत चौधरी और ओम प्रकाश राजभर जैसे नेताओं का प्रदर्शन तय करेगा कि 2022 में राजनीतिक ऊंट किस करवट बैठेगा। राजनेताओं के अलावा क्रिकेटर, गायक, एक्टर, आईएएस और कई आईपीएस अफसर हैं, जिन पर 2020 में सबकी नजर रहेगी। तो आइए जानते हैं कि 2020 में कौन सी वो शख्सियत हैं जो देश में यूपी का नाम रोशन करेंगी।

1- योगी आदित्यनाथ
योगी आदित्यनाथ गोरखपुर के प्रसिद्ध गोरखनाथ मन्दिर के महन्त तथा राजनेता हैं और वर्तमान में उत्तर प्रदेश के मुख्यमन्त्री हैं। गोरखपुर से पांच बार सांसद रह चुके योगी आदित्यनाथ 26 वर्ष की उम्र में पहली बार सांसद चुने गये थे। विधानसभा चुनाव में बीजेपी की बड़ी जीत के बाद 19 मार्च 2017 को योगी ने राज्य के 21वें मुख्यमन्त्री पद की शपथ ली थी। उनकी सरकार एक ओर जहां हिंदुत्ववादी एजेंडे के सहारे आगे बढ़ रही है, वहीं 'सबका साथ-सबका विकास' की थीम पर सभी वर्गों को लेकर भी चल रही रही है। मुख्यमंत्री बनने के बाद से योगी आदित्यनाथ सुर्खियों में हैं और इस पूरे साल भी रहेंगे।

2- स्वतंत्र देव सिंह
स्वतंत्र देव सिंह उत्तर प्रदेश में भाजपा के अध्यक्ष हैं। 2019 के लोकसभा से ठीक पहले इन्हें यूपी अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई थी। इससे पहले वह योगी आदित्यनाथ सरकार में परिवहन और प्रोटोकॉल मंत्री (राज्‍यमंत्री स्‍वतंत्र प्रभार) थे। बिना किसी राजनीतिक बैकग्राउंड के स्वतंत्र देव सिंह इस पद पर पहुंचे। 2020 में भी उन पर नजर रहेगी। स्वतंत्र देव सिंह यूं तो मूलरूप से मिर्जापुर के रहने वाले हैं लेकिन वर्षों पहले बड़े भाई की सरपरस्ती में पढ़ाई के लिए कालपी में ऐसे दाखिल हुए कि कुछ ही वर्षों में वह 'मिर्जापुरिया' की जगह 'जालौनी' बन गए।

3- अखिलेश यादव
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर 2020 में सबकी नजर रहेगी। 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद अखिलेश यादव के लिए यह वर्ष बेहद अहम रहने वाला है। उनके सामने सत्तारूढ़ दल बीजेपी के अलावा बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस की मजूबत चुनौती है। 2020 में ही त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव अखिलेश यादव की परीक्षा लेने को तैयार हैं।

4- मायावती
बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती के सामने सत्तापक्ष के अलावा प्रमुख प्रतिद्वंदी दलों की मजूबत चुनौती है। समाजवादी पार्टी के अलावा कांग्रेस और भीम आर्मी बसपा के मुश्किल का सबब बन रही है, जो हर पल बसपा के वोटबैंक में सेंध लगाने की जुगत कर रही हैं। इस बीच कई प्रमुख नेता भी पार्टी से किनारा कर गये। मायावती चार बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं, पाचवीं बार के लिए वह प्रयास कर रही हैं। 2022 में बसपा का प्रदर्शन कैसा रहेगा, 2020 में मायावती की रणनीति से तय होगा।

5- प्रियंका गांधी
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को पुनर्जीवित करने में जुटी हैं। सूबे में वह लगातार सक्रिय हैं। कांग्रेसियों को एकजुट कर हर छोटे-बड़े मुद्दे पर वह बीजेपी को घेर रही हैं। उनकी अगुआई में कांग्रेसी जमीन पर उतरकर जनता की आवाज उठा रहे हैं। प्रियंका की कोशिश पार्टी को मुख्य विपक्षी दल की भूमिका में लाने का। अपने इस मकसद में कामयाब होते भी दिख रही हैं, मौजूदा वक्त में यूपी में सपा-बसपा से ज्यादा सक्रिय कांग्रेस दिख रही है। 2022 में सबकी नजर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी पर रहेगी।

6- शिवपाल यादव
समाजवादी पार्टी से अलग होकर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया नाम से नया दल बनाने वाले शिवपाल यादव के लिए 2020 बेहद अहम रहने वाला है। भले ही वह सपा से अलग हैं, लेकिन वह अभी भी इटावा के जसवंतनगर से समाजवादी पार्टी के ही विधायक हैं। 2022 से पहले शिवपाल यादव सपा से गठबंधन करने को आतुर हैं। मुलायम के जन्मदिन के बहाने उन्होंने सैफई परिवार में एका की पूरी कोशिश भी की थी, लेकिन भतीजे अखिलेश की उदासीनता ने चाचा शिवपाल की सारी प्लानिंग पर पानी फेर दिया। 2020 शिवपाल की अगली प्लानिंग क्या होगी, सभी को इसका इंतजार है।

7- आकाश आनंद
2022 में बहुजन समाज पार्टी के नेशनल कॉर्डिनेटर आकाश आनंद पर विशेष नजर रहेगी। लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान मायावती के साथ हर मंच पर नजर आने वाले आकाश आनंद उनके भाई आनंद कुमार के बेटे हैं। 2019 में वह बसपा के स्टार प्रचारक थे। चुनाव से पहले मायावती ने संकेत दे दिए थे कि आकाश उनके उत्तराधिकारी हो सकते हैं। लंदन के एक बड़े कॉलेज से एमबीए का कोर्स करने वाले आकाश के कहने पर ही मायावती ट्विटर पर सक्रिय हुई हैं। तबसे वह हर छोटी-बड़ी घटना को लेकर ट्विटर पर ही बयानबाजी करती हैं।

8- जयंत चौधरी
लंदन स्कूल ऑफ इकोनोमिक्स से स्नातक करने वाले जयंत चौधरी पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के पौत्र व रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजित सिंह के पुत्र हैं। राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व जनरल सचिव जयंत चौधरी मथुरा लोकसभा सीट से सांसद रहे हैं। जयंत पर पार्टी को उंचाइयों पर ले जाने की बड़ी जिम्मेदारी है। बीते लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा से गठबंधन के बावजूद परिणाम सकारात्मक नहीं रहे। बसपा से गठबंधन टूटने के बावजूद अभी वह समाजवादी पार्टी संग मिलकर चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं। 2022 में उनकी रणनीति क्या होगी, सभी की नजर रहेगी।

9- ओम प्रकाश राजभर
भाजपा से बगावत कर मंत्रीपद गंवाने वाले सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने भागीदारी संकल्प मोर्चा का गठन किया है। इस मोर्चे में पांच छोटे-छोटे दलों को शामिल किया गया है। इनमें जन अधिकार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बाबू सिंह कुशवाहा, राष्ट्र उदय पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बाबू रामपाल, राष्ट्रीय उपेक्षित समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रेमचंद प्रजापति और जनता क्रांति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल सिंह चौहान शामिल हैं। ओम प्रकाश राजभर योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री थे, लेकिन पिछड़ों के लिए अलग से आरक्षण और सरकार विरोधी बयानबाजी के चलते उन्हें मंत्रिपद गंवाना पड़ा। 2022 में उन पर सबकी नजर रहेगी।

10- अजय कुमार लल्लू
उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के बेहद करीबी नेता माने जाते हैं। भाजपा की प्रचंड लहर के बावजूद अजय कुमार लल्लू ने 2017 के विधानसभा चुनाव में तमकुहीराज की सीट बचाने में सफल रहे। इससे पहले 2012 में ने बीजेपी प्रत्याशी को हराया था। सूबे में कांग्रेस को सम्मानजनक स्थिति पर लाने के लिए वह लगातार प्रयासरत हैं। भले ही पुराने दिग्गज कांग्रेसी उनके अंडर में काम करने को तैयार नहीं दिख रहे हैं, लेकिन वह हर जिले में मजबूत संगठन तैयार करने के प्रयास में हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले पिछड़ी जाति के अजय कुमार लल्लू के सामने 2020 में कड़ी चुनौतियां हैं।

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11- रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया
कुंवर रघुराज प्रताप सिंह को राजाभैया के नाम से भी जाना जाता है। वर्ष 1993 से लेकर वह अब तक छह बार उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले की कुंडा विधानसभा क्षेत्र से लगातार निर्दलीय विधायक चुने जाते रहे हैं। सपा-भाजपा की सरकारों में वह विभिन्न विभागों के मंत्री भी रहे। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले राजा भैया ने अपनी एक नई पार्टी 'जनसत्ता दल लोकतांत्रिक' बनाई है। क्षत्रिय वोटरों पर उनकी मजबूत पकड़ मानी जाती है। 2020 में उन पर भी सबकी नजर रहेगी।

12- अक्षदीप नाथ
सुरेश रैना, मोहम्मद कैफ के बाद उत्तर प्रदेश का एक और बल्लेबाज भारतीय टीम में दस्तक देने को तैयार है। 26 वर्षीय अक्षदीप नाथ मौजूदा समय में यूपी टीम में मध्यक्रम के अहम बल्लेबाज हैं। 2018-19 में उत्तर प्रदेश की ओर से खेलते हुए राइट हैंड बैट्समैन अक्षदीप ने चार शतक और आठ अर्धशतक जमाये हैं। दो अर्धशतकों के साथ सत्र 2019-20 की भी धमाकेदार शुरुआत की है। आइपीएल के 10वें संस्करण में अक्षदीप बैंगलुरू रॉयल चैलेंजर्स टीम का हिस्सा थे। इस वर्ष अक्षदीप के प्रदर्शन पर सभी की नजर रहेगी।

13- पूनम यादव
महिला क्रिकेटर पूनम यादव भले ही कद में छोटी हैं, लेकिन उन्होंने गेंदबाजी में बड़ी-बड़ी दिग्गज खिलाड़ियों के विकेट उखाड़े हैं। उत्तर प्रदेश के आगरा की रहने वाली पूनम यादव ने 12 अप्रैल 2013 में बांग्लादेश के खिलाफ वनडे में डेब्यु किया था। वह दाएं हाथ की ऑफ-ब्रेक बॉलर हैं। उन्होंने अब तक भारत के लिए अब तक 46 वनडे, 62 टी-20, एक टेस्ट मैच खेला है। वनडे में उन्होंने अब तक 72, टी-20 में 85 विकेट लिये हैं। बेस्ट 4/9 है। 2020 में उनके प्रदर्शन पर सबकी नजर रहेगी।

14- अपर्णा कुमार
यूपी कैडर की 2002 बैच की आइपीएस अफसर अपर्णा कुमार देश की उन चुनिंदा पर्वतारोहियों में शामिल हो गई हैं, जिन्होंने सात पर्वतमालाओं पर तिरंगा फहराया है। अपर्णा ने जिन पर्वतों के शिखर पर झंडा फहराया है, उनमें माउंट एवरेस्ट, माउंट किलिमंजारो, माउंट एल्ब्रुस, कार्सटेंस पिरामिड, विन्सन मैसिफ व माउंट एकांकागुआ शामिल हैं। अपने हौसले और जज्बे की वजह से ऐसा करने वाली वह देश की पहली महिला आइपीएस अफसर हैं। अपर्णा कुमार मूल रूप से केरला की रहने वाली हैं, लेकिन फिलहाल यूपी की राजधानी लखनऊ में रह रही हैं। उनकी शादी आइएएस संजय कुमार से हुई है। 2020 में वह क्या कमाल करने वाली हैं, इस पर सबकी नजर रहेगी।

15- पेड़ वाले बाबा के नाम से मशहूर हैं चंद्रभूषण तिवारी
आचार्य चंद्रभूषण तिवारी पेड़ वाले बाबा के नाम से मशहूर हैं। पर्यावरण को और बेहतर बनाने के लिए उनके जैसे ईमानदार प्रयास की जरूरत है। 26 जनवरी 2006 में उन्होंने प्रण लिया था कि एक लाख पेड़ लगाएंगे, जिसे 15 अगस्त 2015 को पूरा भी कर लिया। उन्होंने पीजीआई, सरस्वतीपुरम योजना, मानसरोवर योजना, मोहनलालगंज जेल सहित कई जगह पर वृक्षारोपण किया है। आचार्य चन्द्र भूषण तिवारी मूल रूप से देवरिया जि़ले के भटपर्रानी ब्लॉक के भटवा तिवारी गांव के रहने वाले हैं। बचपन से ही उन्हें पेड़-पौधों से ही लगाव था। आचार्य चन्द्र भूषण तिवारी बताते हैं कि मैं जब किसी के यहां पेड़ लगाता हूं तो उन्हें अपनी बेटी कहकर देता हूं कि मेरी बेटी है इसे बेटी की तरह रखना।

16- रितु कारिधाल
रितु कारिधाल अभी किसी परिचय का मोहताज नहीं हैं। उनकी पहचान एक रॉकेट विमेन के रूप में है। लखनऊ विवि से स्नातकोत्तर की शिक्षा ग्रहण करने वाली रितु ने भारत के दूसरे चंद्रयान मिशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाकर पूरे देश में लखनऊ का और मान बढ़ाया है। उनकी इस उपलब्धि के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय ने रितु कारिधाल को 'मानद उपाधि' से सम्मानित किया। यह उपाधि उन्हें खुद राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने दी। 2020 में भी उन पर देश की नजर है।

17- मालिनी अवस्थी
मालिनी अवस्थी एक भारतीय लोक गायिका हैं। वह हिन्दी भाषा की बोलियों जैसे अवधी, बुंदेली भाषा और भोजपुरी में गाती हैं। ठुमरी और कजरी में भी प्रस्तुत करती है। यूपी के कन्नौज में जन्मीं मालिनी को भारत सरकार की ओर से वर्ष 2016 में नागरिक सम्मान पद्म श्री नवाजा जा चुका है। उनकी शादी वरिष्ठ आइएएस अधिकारी अविनीश अवस्थी से हुई है। मालिनी ने इंग्लैंड, अमेरिका, मॉरिशस और फिजी के साथ-साथ पाकिस्तान जैसे देशों में भी लोक संगीत को पहुंचाया। वर्ष 2014 में मतदाताओं को जागरूक करने के लिए चुनाव आयोग ने मालिनी अवस्थी को अपना ब्रांड एंबेसडर बनाया था।

18- आलोक कुमार राय
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज के प्रोफेसर आलोक कुमार राय को लखनऊ विश्वविद्यालय का नया प्रोफेसर बनाया गया है। अगले तीन साल तक वह इस पद पर रहेंगे। प्रोफेसर आलोक मार्केटिंग मैनेजमेंट, कस्टमर रिलेशनशिप और एंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट मामलों के विशेषज्ञ हैं। विवि का आर्थिक संकट उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती है। गौरतलब है कि लविवि को प्रदेश सरकार से अनुदान फ्रीज होने की वजह से हर वर्ष सिर्फ 34 करोड़ रुपए की एकमुश्त राशि ही मिलती है, जबकि विवि में वेतन मद पर ही हर साल करीब 160 रुपए खर्च होते हैं।

19- ओम प्रकाश सिंह
ओम प्रकाश सिंह 31 जनवरी को उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक पद से रिटायर हो रहे हैं। बावजूद वह चर्चा में रहेंगे, क्योंकि उन्होंने सूचना आयुक्त के पद के लिए आवेदन किया है। राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी 16 फरवरी 2020 को रिटायर हो रहे हैं। ओपी सिंह 1983 बैच के आइपीएस अफसर हैं। वह 31 जनवरी 2020 को रिटायर हो रहे हैं। अगर वह इस पद के लिए चयनित कर लिये जाते हैं, अगले तीन वर्ष तक वह उत्तर प्रदेश के मुख्य सूचना आयुक्त की भूमिका निभाते नजर आएंगे।

20- हितेश चंद्र अवस्थी
ओपी सिंह 31 जनवरी डीजीपी के पद से रिटायर हो रहे हैं। वरिष्ठता के आधार पर हितेश चंद्र अवस्थी उत्तर प्रदेश के नये डीजीपी हो सकते हैं। 1985 बैच के डीजी विजिलेंस हितेश चंद्र अवस्थी सबसे वरिष्ठ आईपीएस हैं। पहले राज्य सरकार अपने स्तर से डीजीपी पद पर चयन का फैसला लेती थी पर अब नई व्यवस्था के तहत सरकार को अधिकारियों के नामों का पैनल संघ लोक सेवा आयोग को भेजना होगा। ऐसे में हितेश चंद्र अवस्थी के अलावा 1986 बैच के जवाहर लाल त्रिपाठी व सुजानवीर सिंह और 1987 बैच के आरपी सिंह के नाम पैनल में भेजे जा सकते हैं। हालांकि केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर तैनात कुछ अफसरों के नामों को लेकर भी चर्चा है।


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