सरकार के पास एक ऐसा हथियार है। जो किसी भी सरकारी कर्मचारी को हड़ताल करने पर जेल पहुंचा सकता है। जानिए इस कानून से क्यों डरते हैं कर्मचारी ?
यूपी में पिछले चार दिनों से बिजली कर्मी अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर थे। सरकार और बिजली कर्मचारियों के समूह के बीच तनातनी का माहौल था। सरकार बिजली कर्मियों की मांग पर राजी होने को तैयार नहीं थी। हालांकि बाद में ऊर्जा मंत्री और बिजली निगम के चेयरमैन से बातचीत के बाद यह हड़ताल समाप्त हो गई, लेकिन क्या आप जानते हैं कि सरकार के पास एक हथियार ऐसा भी है। जिससे हड़ताल कर रहे कर्मचारी जेल जा सकते हैं। आइए हम आपको इस कानून की बारीकियां बताते हैं।
6 माह की सजा का है प्रावधान
सरकारी कर्मचारी के हड़ताल करने पर इस्तेमाल किए जाने वाले कानून में छह महीने की सजा का प्रावधान है। इससे पहले अगर सरकार ने यह कानून सक्रिय कर दिया तो आप हड़ताल कर ही नहीं पाएंगे। यदि कोई इस कानून के खिलाफ जाएगा तो यह अपराध की श्रेणी में आएगा। इसमें 6 माह तक की जेल की सजा हो सकती है। इसके अलावा जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
सरकार बिना वारंट कर सकती है गिरफ्तार
राज्य सरकार के तरफ से यह कानून अगर लागू किया गया तो सरकारी कर्मचारी के पास बचने का कोई रास्ता नहीं रहेगा। जानते हैं क्यो? इसलिए कि इस कानून के लगते ही सरकारी कर्मचारियों की हड़ताल प्रतिबंधित हो जाती है। यदि इसके बावजूद हड़ताल जारी रहे तो सरकार बिना वारंट कर्मचारी नेताओं को गिरफ्तार कर सकती है।
सरकार को आखिर क्यों पड़ी इस कानून की जरूरत?
कई बार अपनी मांगों को लेकर सरकारी कर्मचारी हड़ताल पर चले जाते हैं। ऐसे में जरूरी सेवाएं बाधित होने से लोगों को तमाम मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। मसलन, एंबुलेंस सेवा, बिजली, पेयजल, परिवहन, बैंक आदि अति आवश्यक सेवाओं से जुड़े कर्मचारियों की हड़ताल के दौरान लोगों को ज्यादा दिक्कतें होती हैं। ऐसे में सरकार को यह कानून लाना पड़ा। जिससे आएदिन कर्मचारी हड़ताल पर न जा सकें।
जानिए क्या है एस्मा (ESMA) एक्ट ?
एस्मा (ESMA) का फुल फार्म एसेंशियल सर्विसेज मैनेजमेंट एक्ट होता है और यह 1968 में पहली बार लागू किया गया था। यह कानून कोई भी कर्मचारी हड़ताल को रोकने व अनिवार्य सेवा बाधित न हो इसके लिए राज्य सरकार के द्वारा प्रयोग में लाया जाता है। आपको बता दें इस कानून को लागू करने के बाद कर्मचारी हड़ताल पर नहीं जा सकते। एस्मा (ESMA) लागू करने से पहले इससे प्रभावित होने वाले कर्मियों को समाचार पत्र या किसी भी माध्यम से सूचित करना आवश्यक होता है। यदि इसके बावजूद कोई हड़ताल पर जाता है तो वह अवैध और अपराध की श्रेणी में गिना जाता है।