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कौन बनेगा उत्तर प्रदेश बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष? अब होली के बाद होगा ऐलान, जातीय समीकरण में कौन-कौन फिट?

उत्तर प्रदेश भाजपा के संगठन चुनाव में तारीख पर तारीख मिल रही है और जिला अध्यक्षों के नामों की घोषणा लगातार टलती ही जा रही है। अब खबर आ रही है कि होली के बाद जिला अध्यक्षों के नाम का ऐलान होगा। साथ ही प्रदेश अध्यक्ष की भी घोषणा हो जाएगी।

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UP Politics News

उत्तर प्रदेश में बीजेपी संगठन चुनाव की तारीखें लगातार आगे बढ़ रही हैं। पहले महाकुंभ, फिर मिल्कीपुर उपचुनाव और अब होली तक इंतजार करने को कहा गया है। सूत्रों के मुताबिक, होली के बाद जिलेवार अध्यक्षों के नामों की घोषणा होगी, साथ ही प्रदेश अध्यक्ष का भी ऐलान किया जाएगा।

जिला अध्यक्षों की घोषणा में देरी क्यों?

बीजेपी में जिला अध्यक्षों के चयन को लेकर असमंजस बना हुआ है। पार्टी में कई जिलों में एक ही पद के लिए कई दावेदारों के नाम सामने आने से मंथन जारी है। संगठन इस प्रक्रिया में जातीय समीकरणों को भी ध्यान में रख रहा है, ताकि 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले सभी वर्गों को साधा जा सके। हालांकि, पार्टी आधिकारिक रूप से इस देरी को लेकर कुछ नहीं कह रही है।

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष की रेस में कौन-कौन?

उत्तर प्रदेश बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए कई नाम चर्चा में हैं। पार्टी ऐसे नेता को आगे लाना चाहती है जो 2027 के चुनाव में भाजपा को फिर से सत्ता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सके। इस रेस में प्रमुख नाम और उनका जातीय समीकरण इस प्रकार है-

जातीय समीकरण और 2027 की रणनीति

बीजेपी जातीय संतुलन को ध्यान में रखते हुए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति करेगी। उत्तर प्रदेश की राजनीति में ओबीसी और दलित वोटर्स का महत्वपूर्ण योगदान है, इसलिए पार्टी पिछड़ी जातियों या अनुसूचित जाति से अध्यक्ष चुन सकती है। हालांकि, ब्राह्मण समुदाय को भी साधना बीजेपी के लिए जरूरी होगा, क्योंकि यह वर्ग पारंपरिक रूप से पार्टी का कोर वोट बैंक माना जाता है।

ओबीसी कार्ड: अगर बीजेपी ओबीसी समुदाय से अध्यक्ष बनाती है तो स्वतंत्र देव सिंह, धर्मपाल सिंह, हरीश वर्मा, या अमरपाल मौर्य का नाम सबसे आगे रहेगा।

दलित समीकरण: अनुसूचित जाति से किसी नेता को आगे लाने के लिए विद्यासागर सोनकर सबसे मजबूत दावेदार हो सकते हैं।

ब्राह्मण फैक्टर: ब्राह्मणों की नाराजगी को दूर करने के लिए दिनेश शर्मा को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है।

फिलहाल, सबकी निगाहें होली के बाद बीजेपी की आधिकारिक घोषणा पर टिकी हैं। देखना होगा कि पार्टी 2027 के चुनाव को ध्यान में रखते हुए किस जातीय समीकरण को तरजीह देती है और संगठन की बागडोर किसे सौंपती है।