7 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

इस इत्र की कीमत है 90 लाख, जानना चाहेंगे यूपी में कहां बनता है ये

इस इत्र की कीमत है 90 लाख, जानना चाहेंगे यूपी में कहां बनता है ये

2 min read
Google source verification

लखनऊ

image

Ruchi Sharma

Nov 03, 2017

kannauj

Kannauj

कन्नौज. जब बात खुशबू अौर महक की होती है तो सबसे पहले नाम कन्नौज का आता है। महक चाहे वो फ़ूल की हो या फिर इत्र की, तन और मन को स्फूर्ति और रोमांच से भर देती है। एेसे ही कन्नौज के खुशबूदार सेंट की मांग सिर्फ देश में ही नहीं बल्की विदेशों में भी है।


इत्र का इतिहास

कहते है कन्नौज में बनने वाले इत्र का इतिहास काफी पुराना है, इस इत्र की मांग खाड़ी देशों में काफी ज्यादा है। कन्नौज को इत्र बनाने का तरीक़ा और नुस्खा फारस के कारीगरों से मिला था। ये कारीगर मलिका ए हुस्न नूरजहां ने एक विशेष प्रकार के इत्र जो गुलाब से बनाया जाता था, के निर्माण के लिए बुलाये थे। उस समय से लेकर आज तक इत्र बनाने के तरीकों में कोई विशेष अंतर नहीं आया है। आज भी अलीगढ़ में उगाये दमश्क गुलाब का, कन्नौज की फैक्ट्री में बना इत्र पूरी दुनिया में मशहूर है। इसके अलावा गेंदा, गुलाब और मेहँदी का इत्र विशेष रूप से प्रसिद्ध है। कन्नौज के इत्र किसी जमाने में उसी तरह से पसंद किए जाते थे, जैसे आज फ्रांस के ग्रास शहर के इत्र पसंद और उपयोग में लाये जाते हैं।

बीमारियों में इत्र की खुश्बू रामबाण का करती है काम

कन्नौज की डिस्टेलेरी में तैयार इत्र पूरी तरह से प्राकृतिक गुणों से भरपूर और एल्कोहल मुक्त रखा जाता है। इसी कारण एक दवा के रूप में कुछ रोग जैसे एंग्जाइटी, नींद न आना और स्ट्रैस जैसे बीमारियों में इत्र की खुश्बू रामबाण का काम करती है। 1990 तक कन्नौज में लगभग 770 से अधिक कारखाने थे जिनकी संख्या अब बहुत कम हो गई है। लेकिन इत्र की खुश्बू को पसंद करने वालों की संख्या में कोई कमी नहीं आई है । आज भी परंपरागत इत्र की खुश्बू जिसमें गुलाब, केवड़ा, बेला,केसर, कस्तूरी, चमेली, मेंहंदी, कदम, गेंदा खुशबूएं तो पहले वाली शिद्दत से ही पसंद की जाती रही है। इसके अलावा कुछ नाम ऐसे भी हैं, जिन्हें कोई शायद पहचानता भी नहीं है। इन नामों में शमामा, शमाम-तूल-अंबर और मास्क-अंबर जैसे इत्र प्रमुख हैं। सबसे कीमती इत्र अदर ऊद है, जिसे असम की विशेष लकड़ी ‘आसामकीट’से बनाया जाता है। बाजार में इसकी कीमत 90 लाख प्रति किलो है। इसी प्रकार गुलाब का इत्र भी 12 हज़ार से लेकर साढ़े तीन लाख रुपए, प्रति किलो के हिसाब से खरीदा जा सकता है।

ये है सबसे महंगे इत्र


कन्नौज में बनाने वाले कुछ इत्र ऐसे भी हैं जिन्हें कोई शायद ही पहचानता हो। इन नामों में शमामा,शमाम तूल- अंबर और मास्क अंबर जैसे इत्र प्रमुख है। सबसे कीमती इत्र अदरऊद है, जिसे असम की विशेष लकड़ी आसामकीट से बनाया जाता है। बाजार में इसकी कीमत ₹90000 प्रति किलो है। इसी प्रकार गुलाब का इत्र भी 12000 से लगभग लेकर 3:30 लाख रुपए प्रति किलो के हिसाब से खरीदा जा सकता है। शहर में इत्र बनाने की करीब 200 से ज्यादा फैक्ट्रियां हैं यहां तैयारी पूरी तरह से प्राकृतिक गुणों से भरपूर और एल्कोहल मुक्त रखा जाता है।