
पर्यावरण संरक्षण पर घिरी योगी सरकार, न गंगा निर्मल हुईं, न ताज हुआ साफ, खनन पर हो रहा सिर्फ मनन
लखनऊ. डेढ़ साल पीछे चलते हैं। तब उप्र में चुनावी शोर था। भारतीय जनता पार्टी ने सदा नीरा मां गंगा को निर्मल करने के नाम पर वोट मांगा था। चुनाव में सूबे की नदियों का सीना छलनी कर रहे अवैध बालू-मौरंग खनन माफियाओं पर शिकंजा कसने की भी बात कही गयी थी। भाजपा की सरकार बन गयी। लेकिन, बारिश के इस महीने में भी जबकि, सभी नदियां उफना रहीं हैं, तब भी उनकी निर्मलता संदिग्ध है। पिछले पांच-छह महीनों में अधिकांश नदियों के मुहानों और तटों की इतनी खुदाई की गयी कि वे अब तबाही मचा रही हैं। एक बात और। योगी आदित्यनाथ के मु यमंत्री बनने के बाद एकाएक आगरा का ताजमहल चर्चा में आ गया था। सरकार ने इसके संरक्षण के लिए कोई बजटीय प्रावधान नहीं किया था। इसके बाद सरकार को सफाई देनी पड़ी। अब हालत यह है कि गंगा, अवैध खनन और ताज तीनों मामलों पर देश का सर्वोच्च न्यायालय और एनजीटी योगी सरकार को कठघरे में खड़ा कर रहा है। इन तीनों मुद्दों पर जुलाई माह में सरकार से सवाल दागा गया कि वह बताए, पर्यावरण संरक्षण के मुद्दे पर संजीदा है या नहीं।
नोटिस लगाएं गंगा का पानी पीने लायक नहीं
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल गंगा के प्रदूषण पर उप्र सरकार की लगातार खिंचाई कर रहा है। 27 जुलाई को एनजीटी ने राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के कार्यों पर नाराजगी जतायी थी। एनजीटी ने कहा कि उप्र सरकार लोगों को यह बताए कि हरिद्वार से उन्नाव तक कहां-कहां गंगा का जल पीने और नहाने लायक नहीं है। एनजीटी ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि गंगा जल का उपयोग करने वालों के लिए डिसप्ले बोर्ड पर नोटिस चस्पा कर बताएं कि यहां गंगा जल पीने लायक नहीं है। यही नहीं एनजीटी ने गंगा में कचरा फेंकने पर 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाने का आदेश दिया था। लेकिन अब तक किसी पर ाी यह जुर्माना नहीं लगा है।
गोरखपुर की नदियां भी नहीं बचा पाए योगी
मु यमंत्री योगी आदित्य नाथ के गृह जनपद गोरखपुर की नदियां भी प्रदूषित हैं। इसीलिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने प्रदेश सरकार पर एक लाख व नगर निगम गोरखपुर पर पांच लाख रुपए जुर्माना ठोका है। साथ ही प्रदूषण के मसले पर गंभीरता न दिखाने पर प्रदेश सरकार को फटकार भी लगाई है। मामला गोरखपुर की आमी, राप्ती, रोहिन नदी एवं रामगढ़ ताल के प्रदूषण से जुड़ा है।
खनन पर सबसे बड़ा जुर्माना
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 24 जुलाई को ही देश के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा जुर्माना उप्र में ही लगाया। अवैध खनन पर सुनवाई के बाद एनजीटी ने गोंडा की तरबगंज तहसील के कई गांवों में रेल लाइन के आस-पास अवैध बालू खनन के मामले में खनन के दोषियों पर 212 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया। बुंदेलखंड, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और दिल्ली एनसीआर जैसे इलाकों में भी अवैध खनन अबाध रूप से जारी है। योगी सरकार की शीर्ष प्राथमिकताओं में गंगा और उसकी सहायक नदियों को बचाना रहा है। लेकिन, सूबे की तकरीबन सभी नदियों में इतना अवैध खनन हुआ है कि वे आज तबाही मचा रही हैं। लेकिन राष्ट्रीय हरित अभिकरण के इतने बड़े जुर्माने के बाद भी योगी सरकार अभी खनन पर मंथन कर रही है कि आखिर जुर्माने की राशि कैसे वसूली जाए।
...तो बंद कर दो ताज को
जुलाई महीने में ही ताजमहल की सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार पर जमकर फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा, ताज को सरंक्षण दो या बंद कर दो या ध्वस्त कर दो। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि टीटीजेड (ताज ट्रैपेजयि़म जोन) एरिया में उद्योग लगाने के लिए लोग आवेदन कर रहे है और उनके आवेदन पर विचार हो रहा है, ये आदेशों का उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उप्र सरकार ने ताज पर विजन डाक्यूमेंट जारी किया। लेकिन इसको लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
Published on:
04 Aug 2018 04:23 pm
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