
योगी जी, क्या एनकाउन्टर इतना ही जरूरी है...?
लखनऊ. उत्तर प्रदेश पुलिस एनकाउंटर का इतिहास काफी पुराना है। अक्सर कई एनकाउंटर को लेकर यूपी पुलिस पर सवाल भी खड़े होेते रहे हैं। वहीं अब जबसे यूपी में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनी है तब से एनकाउंटर का सिलसिला एक बार फिर शुरू हो गया है। जिसको लेकर यूपी पुलिस और यूपी सरकार दोनों अक्सर चर्चा में रहते हैं। सरकार ने जो आंकड़े पेश किए हैं उसके मुताबिक यूपी में अब तक कुल 1150 एनकाउंटर हो चुके हैं। इन एनकाउंटर में 39 अपराधियों को मारा गिराया गया है जबकि 270 अपराधी गंभीर घायल हुए हैं। अब तक कुल 2750 अपराधियों की गिरफ्तारियां भी हो चुकी है। लेकिन इन सब के वाबजूद पुलिस के इन एनकाउंटर पर कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं। सरकार और पुलिस दोनों पर ये सवाल खड़ा हो रहा है कि आखिर किस मजबूरी में ताबड़तोड़ एनकाउंटर करने की जरूरत पड़ गई।
क्राइम फ्री स्टेट बनाने का दबाव
आपको बता दें कि यूपी के विधानसभा चुनाव के पहले बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में ये वादा किया था कि प्रदेश को क्राइम फ्री बनाएंगे। बीजेपी सरकार बनने के बाद जब योगी आदित्यनाथ ने यूपी के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली तो उन्होंने भी कहा कि यूपी को अपराध मुक्त बनाकर रहेंगे। लेकिन यूपी में अपराध थमने के बजाए बढ़ रहे थे। ऐसे में योगी सरकार कानून व्यवस्था के मसले पर भारी दबाव से घिर गई। सरकार बनने के बाद यूपी के कई जिलों ने कई बड़े अपराध होने लगे। जिसके चलते योगी सरकार सवालों के घेरे में आने लगी।
बीजेपी खुद बन रही विरोधियों का निशाना
बीजेपी सरकार यूपी में पहले की सपा और बसपा सरकारों के दौरान खराब लॉ एंड ऑर्डर को हमेशा मुद्दा भी बनाती रही। लेकिन उसकी सरकार आने के बाद भी हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे। योगी सरकार के कार्यकाल का करीब एक साल पूरा होने वाला है लेकिन राज्य की कानून व्यवस्था बद से बद्तर होती जा रही है। ऐसे में विरोधियों ने अब बीजेपी सरकार को ही कटघरे में खड़ा करना शुरू कर दिया है। आए दिन सपा के मुखिया अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती कानून व्यवस्था को लेकर योगा सरकार पर निशाना साध रहे हैं। जो बीजेपी के लिए 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए शुभ संकेत नहीं हैं। बीजेपी की चुनौती हर दिन बढ़ती जा रही है। इसलिए सरकार यूपी में अपराधियों के ताबड़तोड़ एनकाउंटर करवा रही है। लेकिन पुलिस भी दबाव में अक्सर कई ऐसी गलतियां कर रही है जिसके चलते उसके एनकाउंटर की सच्चाई पर लोग सवालिया निशान लगाने लगे हैं।
अच्छी नहीं बन रही सरकार की इमेज
आपको बता दें कि यूपी पुलिस ने जो एनकाउंटर किये हैं उसमें कई बेगुनाह लोग भी मारे गए हैं। चाहे वह नोएडा में दारोगा द्वारा एक बेकसूर को शिकार बनाना हो या बाकी ऐसे ही कई संदेहास्पद एनकाउंटर हों। पुलिस पहले तो उसे एनकाउंटर दिखाती है। लेकिन बाद में जब पोल खुलती है तो चलता है कि बिना किसी आपराधिक रिकॉर्ड के ही किसी पर कार्रवाई हो गई। जिसके बाद सरकार और पुलिस दोनों को ही काफी फजीहत का सामना करना पड़ता है।
इन्हीं सब बातों को मुद्दा बनाकर विपाक्षी दलों को सरकार को घेरने का मौका मिल जाता है। जिससे जनता का बीच सरकार की इमेज अच्छी नहीं बन रही है।
एनकाउंटर से नहीं हो सकता क्राइम कंट्रोल
दरअसल पुलिस के एनकाउंटर स्टाइल से प्रदेश को क्राइम फ्री बनाने की रणनीते पर उसके ही कई पूर्व आलाधिकारी सवाल खड़े करते रहे हैं। हालही में उत्तर प्रदेश के डीजीपी पद से रिटायर हुए सुलखान सिंह की मानें तो अपराधियों में सजा का ज्यादा डर होता है। सजा, ट्रायल और मुकदमों पर ध्यान देकर हम ज्यादा क्राइम कंट्रोल कर सकते हैं। एनकाउंटर से क्राइम पर पूरी तरह से लगाम नहीं लगाई जा सकती। उनके अंदर सजा का ज्यादा खौफ होता है। जानकारों की मानें तो पुलिस के कई अधिकारी अपनी कमियों को छिपाने और प्रमोशन पाने के चक्कर में 99 फीसदी एनकाउंटर फर्जी कर देते हैं।
बीजेपी बनाएगी क्राइम फ्री स्टेट
वहीं योगी सरकार के मुताबिक कोई भी एनकाउंटर पहले से तय करके नहीं किया जाता। अगर कोई अपराधी पुलिस पर गोलियों की बौछार कर रहा है तो पुलिस को मजबूरन उसपर भी गोलियां चलानी पड़ती है। अभी तक की सपा-बसपा सरकारों में यूपी के अंदर अपराधियों का बोलबाला रहा है। सरकारें अपराधियों को संरक्षण देती रही हैं जिसके चलते उत्तर प्रदेश में आज कानून व्यवस्था का ये हाल है। लेकिन अब बीजेपी की सरकार में ये सब नहीं चलेगा। हम किसी भी कीमत पर यूपी को क्राइम फ्री स्टेट बनाकर रहेंगे।
Published on:
19 Feb 2018 10:18 am
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