डीजीपी सुलखान सिंह के कार्यकाल में यूपी पुलिस विभाग में आए बड़े बदलाव।
लखनऊ. उत्तर प्रदेश के डीजीपी सुलखान सिंह के सेवा विस्तार और रियाटरमेंट को लेकर असमंज की स्थिति बनी हुई है। एक ओर उत्तर प्रदेश सरकार ने डीजीपी सुलखान सिंह के सेवा विस्तार के लिए केंद्र सरकार को फाइल भेजी है। वहीं दूसरी ओर डीजीपी मुख्यालय उनकी विदाई की तैयारियों में जुट गया है। यूपी सरकार डीजीपी सुखलान सिंह के कार्यकाल में मिली उपलब्धियों के चलते उन्हें कुछ समय और यूपी पुलिस की कमान संभालने की जिम्मेदारी देना चाहती है।
सरकार की मंशा के अनुरूप खरे उतरे
उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनने के बाद कानून-व्यवस्था को लेकर बड़ा दबाव था। इसलिए पूर्व सपा सरकार में डीजीपी पद पर तैनात जावीद अहमद को हटा दिया गया। इसके बाद 21 अप्रैल को डीजीपी पद पर वरिष्ठ व ईमानदार आईपीएस सुलखान सिंह का चयन किया गया। जो कि इससे पहले डीजी ट्रेनिंग के पद पर तैनात थे। यूपी की सत्ता संभाल रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूपी पुलिस को अपराध और अपराधियों से निपटने की छुट्ट दी। वहीं डीजीपी सुलखान सिंह के नेतृत्व में यूपी पुलिस से पूरे प्रदेश में इस मौक का भरपूर सदुपयोग किया। यूपी में संगठित अपराध और अपराधियों से निपटने के लिए बड़ी मुहिम एक बार फिर प्रदेश में शुरू हुई। वो थी मुठभेड़ और कुख्यात बदमाशों का एनकाउंटर। पिछले सात-आठ सालों में यूपी के किसी भी कोने में पुलिस द्वारा बदमाशों के मारे जाने या मुठभेड़ की खबर सुनने को कम मिली। लेकिन गत अप्रैल से अब तक यूपी पुलिस 450 से ज्यादा मुठभेड़ को अंजाम दे चुकी है, करीब18 कुख्यात मार गिराए गए हैं। वहीं यूपी पुलिस की एटीएस, एसटीएफ और क्राइम विंग ने भी काफी काम किया।
दबाव को ना, काम में दिखा फर्क
हमेशा दबाव में काम करने वाली यूपी पुलिस को नए डीजीपी सुलखान सिंह और सरकार का साथ मिला। असर रहा कि हर बड़े अपराध के बाद यूपी पुलिस पर आने वाला दबाव काम हो गया। अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होते दिखी। वहीं पुलिस के खराब व्यवहार को लेकर कई बार विवाद खड़ा हो चुका है। लेकिन डीजीपी पद संभालते ही सुलखान सिंह ने पहले पुलिसकर्मियों और पुलिस अधिकारियों को अपने व्यवहार में तब्दीली लाने के लिए कहा था। इसका काफी असर हुआ। पांच महीने में ही पुलिस का व्यवहार भी थाने में आने वाले पीड़ितों के प्रति काफी बदला।
ट्रांसफर-पोस्टिंग में आई पारदर्शिता
पूर्व की सरकारों में यूपी पुलिस विभाग के सभी ट्रांसफर और पोस्टिंग में गृह विभाग का दखल काफी ज्यादा रहता था। लेकिन वर्तमान सरकार में डीजीपी सुलखान सिंह ने इस ओर भी काफी काम किया। उन्होंने पुलिसिंग को बेहतर बनाने के लिए जुगाड़ की जगह बेहतर काम करने वाले सिपाही से लेकर वरिष्ठ आईपीएस को तबज्जों दिया। अब तक के कार्यकाल में जितने भी ट्रांसफर और पोस्टिंग हुई, उनमें ज्यादातर डीजीपी मुख्यालय की भूमिका रही। बेहतर पुलिसिंग के लिए डीजीपी सुलखान सिंह ने ट्रांसफर-पोस्टिंग को अपनी निगरानी में रखा।
कम समय में ज्यादा काम़
जब सुलखान सिंह को यूपी डीजीपी पद पर नियुक्त किया गया तो उनके रिटायरमेंट को महज पांच महीने कुछ दिन ही बचे थे। ऐसे में इतने कम समय के लिए उन्हें डीजीपी पद पर नियुक्त किए जाने को लेकर कई सवाल खड़े हुए थे। लेकिन इतने कम समय में ही डीजीपी सुलखान सिंह ने कानून-व्यवस्था ही नहीं कायम की, बल्कि विभाग में कई बड़े और अहम बदलाव भी किए। इसी का असर है कि योगी सरकार रिटामरमेंट के बाद भी डीजीपी सुलखान सिंह को पद पर बरकरार रखना चाहती है।