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Yogi बोले – क्रांतिकारियों का उत्तर प्रदेश से बहुत गहरा रिश्ता, क्रांति यहीं से शुरू हुई

उत्तर प्रदेश में सोन चिरईया कार्यक्रम में योगी आदित्यनाथ ने क्रांतिकारियों को याद करते हुए उनका और उत्तर प्रदेश से रिश्ता बहुत गहरा होने की बात कही।

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लखनऊ

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Dinesh Mishra

Jul 02, 2022

File Photo of Yogi Adityanath

File Photo of Yogi Adityanath

उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ संगीत नाटक अकादमी में आयोजित मुक्तिगाथा में कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। इस दौरान राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा कि, देश की आत्मा उसकी लोक संस्कृति में बसती है। लोक गीत किसी भी समाज की आत्मा होते हैं, जो सीधे जनमानस से सम्बन्ध रखते हैं। आजादी की लड़ाई में लोक गीतों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। देश स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव मना रहा है। दमन और अत्याचार के बाद भारत में लोकतंत्र स्थापित हुआ। पराधीनता के उस कठिन समय में हमारे पूर्वजों ने जिस प्रकार हमारी संस्कृति के महत्वपूर्ण प्रतीकों और लोकचित्त में बसे चरित्रों का गाथा गायन कर जन-जागरण का दायित्व सम्भाला, वह नमन करने योग्य है।

बिना भक्ति के शक्ति नहीं मिलती - सीएम योगी आदित्यनाथ
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि संगीत एक साधना है, बिना भक्ति के शक्ति नहीं मिलती है। इन दोनों के समन्वय ने क्रान्तिकारियों को प्रोत्साहित किया। यदि क्रान्तिकारी नहीं होते तो स्वतंत्रता का संघर्ष और भी जटिल हो सकता था। प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में पूरे देश में आजादी का अमृत महोत्सव उत्साह के साथ आयोजित हो रहा है। यह हम सभी का सौभाग्य है कि आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में मुक्तिगाथा कार्यक्रम का आनन्द ले रहे हैं।

चौरी चौरा की घटना हमारा इतिहास

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2022 चौरी-चौरा की ऐतिहासिक घटना का शताब्दी वर्ष भी है। 04 फरवरी, 2021 को गोरखपुर से चौरी-चौरा शताब्दी महोत्सव को प्रारम्भ किया गया था। 04 फरवरी, 1922 को चौरी-चौरा की क्रान्ति हुई थी। इस घटना ने अंग्रेजों के चूलें हिला दी थीं। अंग्रेज शान्तिपूर्ण ढंग से क्रान्तिकारियों की मांगें मानने को तैयार नहीं थे, जिसके परिणामस्वरूप यह घटना घटित हुई। चौरी-चौरा की घटना के पूर्व भी अनेक ऐसी क्रान्तिकारी घटनाएं हुईं, जिससे देश को एक नई दिशा मिली। अंग्रेजों की गुलामी की मानसिकता वाले इतिहासकारों ने इन घटनाओं को विद्रोह के रूप में प्रस्तुत किया, लेकिन वीर सावरकर ने अपनी लेखनी के माध्यम से इसे देश की आजादी के प्रथम स्वातंत्र्य समर के रूप में परिभाषित किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के अनगिनत वीरों ने स्वतंत्रता संघर्ष में अपना बलिदान दिया। हम सभी की यह जिम्मेदारी बनती है कि देश की आजादी को अक्षुण्ण रखने के लिए अपने स्तर से प्रयास करें। प्रत्येक व्यक्ति यदि अपने-अपने क्षेत्र में कर्तव्यों का निर्वहन करेगा तो भारत फिर से सोने की चिड़िया बन सकेगा। भारत को पहले सोने की चिड़िया कहा जाता था।

उन्होंने सोन चिरैया संस्था की स्थापना के लिए प्रख्यात गायिका मालिनी अवस्थी को बधाई देते हुए कहा कि सोन चिरैया का शाब्दिक अर्थ सोने की चिड़िया है। स्वातंत्र्य समर के दौरान जिन लोक गीतों को अंग्रेजों ने प्रतिबंधित कर दिया था, उनको मुक्तिगाथा जैसे- कार्यक्रमों के माध्यम से जीवन प्रदान किया जा रहा है। हमारी लोक परम्परा का सौन्दर्य मुक्तिगाथा में प्रतिबिम्बित होता दिखायी देता है। ऐसे कार्यक्रम भविष्य में भी आयोजित होने चाहिए।

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