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पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान से मचा सियासी बवाल, बदरीनाथ, केदारनाथ और रामेश्वरम को बताया बौद्ध मठ

उत्तर प्रदेश की राजनीति इन दिनों मंदिर-मस्जिद के मुद्दे को लेकर गरमाई हुई है। ऐसे में राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के एक बयान ने प्रदेश में राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है।

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स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि देश के कई प्रमुख हिंदू मंदिर, जैसे बदरीनाथ, केदारनाथ और रामेश्वरम, वास्तव में पहले बौद्ध मठ थे। उनके अनुसार, 11वीं और 12वीं शताब्दी में जो मंदिर बनाए गए, वे पहले बौद्ध मठ थे। मौर्य का कहना है कि इतिहास को खंगालने का जो सिलसिला बीजेपी ने शुरू किया है वह उसी पर भारी पड़ेगा। उन्होंने कहा, "बीजेपी सत्ता में आने के बाद देश का माहौल खराब कर रही है। हर मस्जिद में मंदिर खोजने का फैशन चल पड़ा है।"

मंदिर-मस्जिद विवाद पर गरमाई राजनीति

संभल की शाही जामा मस्जिद और जौनपुर की अटाला मस्जिद जैसे मुद्दों पर राजनीतिक बयानबाजी पहले से ही हो रही थी। अब स्वामी प्रसाद मौर्य के इस बयान ने इस विवाद को और तूल दे दिया है। मौर्य ने बीजेपी पर देश में धार्मिक ध्रुवीकरण और समाज को बांटने का आरोप लगाया।

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बसपा और सपा पर भी साधा निशाना

मौर्य ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) पर भी कड़े हमले किए। उन्होंने कहा कि सपा विपक्ष की भूमिका निभाने में विफल रही है और उसे सत्ताधारी पार्टी की तरह काम करते देखा जा रहा है। बसपा पर टिप्पणी करते हुए मौर्य ने कहा कि पार्टी का मिशन खत्म हो चुका है। मायावती ने कांशीराम के आदर्शों को छोड़ दिया है और वह बसपा के बुरे दिनों के लिए पूरी तरह जिम्मेदार हैं।

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उन्होंने बसपा को बीजेपी की "बी टीम" करार दिया और स्पष्ट किया कि उनका बसपा में शामिल होने का कोई इरादा नहीं है। उन्होंने इस अफवाह को झूठा बताते हुए खारिज कर दिया। स्वामी प्रसाद मौर्य के इस बयान ने उत्तर प्रदेश की सियासत में एक नया मोड़ ला दिया है। स्वामी प्रसाद मौर्य के तीखे शब्द और विवादित बयान राजनीतिक पार्टियों के लिए नए मुद्दे बन गए हैं।