
Mulayam singh yadav
आगरा। मुलायम सिंह यादव के बारे में आपने बहुत कुछ सुना होगा, लेकिन आज आपको कुछ ऐसी बात उनके बारे में बताने जा रहे हैं, जो आपने कभी नहीं सुनी होंगी। इटावा के एक छोटे से गांव सैफई के मुलायम सिंह किस तरह नेता बने। मुलायम परिवार के बेहद करीबी माने जाने वाले नरेन्द्र सिंह यादव ने बताया कि किस तरह मुलायम सिंह यादव ने मैनपुरी को अपना गढ़ बनाया। यहां पढ़िये पूरी कहानी ....
ये है कहानी
मैनपुरी के कुसमरा के रहने वाले नरेन्द्र सिंह यादव ने बताया कि नेता जी अन्याय और भ्रष्टाचार के खिलाफ हमेशा संघर्ष करते रहे। ये बात उस समय की है, जब सामाजिक व्यवस्थायें छिन्न भिन्न थीं, ऊंच नीच की बहुत बड़ी खाई थी। सवर्ण समाज के लोग ओबीसी और एससी के लोगों को अच्छी निगाह से देखते नहीं थी। उस समय मुलायम सिंह ने एससी समाज के लोगों को जोड़ने का काम किया, उनको साथ लेकर चले। एससी ही नहीं, बल्कि ओबीसी के लोगों के हक की लड़ाई लड़ने के लिए हमेशा तत्पर रहे।
ये है मुलायम सिंह यादव की खासियत
नरेन्द्र सिंह यादव ने बताया कि मुलायम सिंह यादव की मैमोरी इतनी तेज है कि जो उन से एक बार जुड़ गया, उसे हमशा वे नाम से पुकारते हैं। नरेन्द्र सिंह ने बताया कि उन्होंने 1984 से राजनीति शुरू की। एक बार बलिया के राष्ट्रीय सम्मेलन में नेता जी आ रहे थे, दूसरी ओर से नरेन्द्र सिंह अपने साथियों के साथ जा रहे थे, तो नेता जी ने उन्हें सीधे नाम से पुकारा, इससे नेताजी से उनका दिल से लगाव हो गया। मुलायम सिंह यादव मैनपुरी को अपना घर मानते हैं, जब भी कोई मैनपुरी के नाम से पर्ची जाती है, तो नेता जी उसे हर हालत में मिलते हैं।
इस तरह बने यादवों के नेता
नरेन्द्र सिंह ने बताया कि ये उस समय की बात है, जब यादवों का उत्पीड़न होता था। क्योंकि उस समय कई एक बड़े डाकू हुये, जो यादव समाज के थे, जिसमें छबिराम जैसों का नाम काफी प्रसिद्ध है। ये गिरोह मैनपुरी में सक्रिय रहता था। पुलिस को शक रहता था, कि यादव समाज के लोग इन गिरोह को शरण देते हैं, जिसके चलते पुलिस किसी भी यादव परिवार के सदस्य को गिरफ्तार कर जेल में डाल देती थी। यादवों को इस उत्पीड़न से मुक्ति दिलाने के लिए मुलायम सिंह यादव सामने आये, बड़ा संघर्ष किया और इस तरह मुलायम सिंह यादव यादव समाज के नेता बने।
Published on:
08 Oct 2018 12:45 pm
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