हर काम में भागीदार बनें
संस्थान में बॉस की भूमिका को समझने का प्रयास करें। इस बात का पता लगाएं कि बॉस की आपसे क्या अपेक्षाएं हैं। आगे बढऩे के लिए हर काम में भागीदार बनें और पहल करें। इससे नई स्किल्स तो सीखते ही हैं, साथ ही बॉस की सफलता में भी भागीदार बनते हैं।
अपनी सीमा में रहें
बॉस के साथ बेहतर संबंध बनाने की दिशा में आपको अपनी सीमाओं के बारे में भी पता होना चाहिए। ऐसा न हो कि आपकी किसी बात का बॉस बुरा मान जाए। आपको बॉस की प्राथमिकताओं के अनुरूप कार्य करना चाहिए। बॉस के पर्सनल स्पेस का भी खयाल रखना चाहिए।
विश्वास जीतें
वर्कप्लेस पर अपनी भूमिका इस तरह से तैयार करनी चाहिए कि बॉस को कोई परेशानी है तो वह सबसे पहले आपसे संपर्क करें। मुश्किल घड़ी में किसी भी तरह बॉस को परेशानी से निकालने का प्रयास करना चाहिए। आपको बॉस का विश्वास जीतना चाहिए।
अकेले में दें सुझाव
कहावत है कि ‘बॉस इज ऑलवेज राइट’, पर यदि लगता है कि कुछ गलत हो रहा है तो बॉस को बताना चाहिए। अपने विचारों को बॉस के सामने रखने से आपकी भूमिका का विस्तार होता है। बॉस की बात सबके सामने नकारने के बजाय अकेले में सुझाव देने चाहिए।