
यदि आप दुविधा में फंस जाएं तो किस के पास जाएंगे? आपका जवाब हो सकता है कि मैं अपने दोस्त को फोन मिलाऊंगा। जी हां, यह सही है कि दोस्तों और परिजनों की मदद से हर दुविधा से बाहर निकलते हैं। पर अब आप खुद भी अपनी समस्या सुलझा सकते हैं। एक नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया है कि वर्चुअल रियलिटी से इंसान खुद से बात कर सकता है, मानो वहां कोई और इंसान बैठा हो। इस तरह वह खुद से बात करके समस्या को सुलझा सकता है।
खुद से बात कर जान सकते हैं अपनी खूबियां
जर्नल ‘साइंटिफिक रिपोट्र्स’ में छपी अध्ययन की रिपोट्र्स के मुताबिक जब इंसान खुद के साथ बात करता है तो बेहतर महसूस करता है। पूर्व में हुए कई शोध बताते हैं कि जब व्यक्ति एकांत में खुद से उच्च स्वर में बात करता है तो उसे अपने बारे में नई बातें पता लगती हैं। वह अपनी सही राह तय कर पाता है। नए शोध में शोधकर्ताओं ने वर्चुअल रियलिटी से खुद से बात करने के आइडिया को टेस्ट करने के लिए तुलनात्मक अध्ययन किया। एक ग्रुप को पहले खुद से बात करने के लिए कहा गया।
वर्चुअल असिस्टेंट से बात करने का है जमाना
इसके बाद एक वर्चुअल सिगमंड फ्रायड (साइकोएनालिसिस के फाउंडर) से शरीर की अदला-बदली की गई। दूसरे ग्रुप को वर्चुअल फ्रायड से बात करने के लिए कहा गया। फ्रायड ने प्री-स्क्रिप्टेड सवालों का जवाब दिया (यहां पर शरीर की अदला-बदली नहीं की गई)। शोधकर्ताओं ने इसके बाद उस इंसान को स्कैन किया और 3डी जैसे इंसान का अवतार तैयार किया गया। प्रतिभागी निजी समस्या डॉ. फ्रायड को समझा सकते थे और इसके बाद फ्रायड के रूप में समाविष्ट हो गए।
जब उन्होंने खुद को देखा तो उन्हें खुद की जगह फ्रायड का शरीर दिखा। एक बार फ्रायड में समाविष्ट होने और उनके जैसी अनुभूति होने के बाद जब समस्या बताई तो उन्होंने फ्रायड की तरह प्रतिक्रिया दी। यह प्रयोग पूरा होने के एक महीने के बाद 80 प्रतिशत से ज्यादा प्रतिभागियों ने अपनी समस्या में बदलाव के बारे में बताया। यूनिवर्सिटी ऑफ बार्सिलोना के इस अध्ययन के प्रमुख लेखक मेल स्लेटर बताते हैं कि प्रयोग के दौरान जिस ग्रुप ने शरीर की अदला-बदली की, उनमें बेहतर समझ दिखाई दी।
Published on:
15 Jan 2021 04:01 pm
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