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Start Up: टेक्नोलॉजी बेस्ड लेबर सर्विस का स्टार्टअप है फायदे का सौदा, ऐसे करें शुरू

Start Up: ऑटोमेटिक ऑर्डर प्लेसिंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने वाले रेस्टोरेंट ऑर्डर लेने के लिए टेबलेट या अन्य सिमिलर डिवाइस का इस्तेमाल कर रहे हैं। रेस्टोरेंट के वो सेक्शन जहां से कस्टमर ऑर्डर प्लेस करता है वहां इन डिवाइस को रखा जाता हैं।

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जयपुर

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Sunil Sharma

Jul 07, 2019

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Start Up: रेस्टोरेंट बिजनेस में फूड और फिक्स्ड कॉस्ट को मैनेज करने के अलावा जो एक ओर महत्वपूर्ण चैलेंज है वह है लेबर कॉस्ट को अंडर बजट रखना। कार्नेल स्कूल ऑफ होटल एडमिनिस्ट्रेशन की स्टडी के अनुसार अमरीका सहित कई देशों के रेस्टारेंट बिजनेस को लेबर कॉस्ट का खामियाजा भुगतना पड़ा है। अमरीका में तो औसतन एक रेस्टोरेंट को एक अनुभवी लेबर के रिप्लेसमेंट या नौकरी छोडऩे के कारण प्रतिदिन 3 लाख से अधिक का नुकसान उठाना पड़ता है। इंडियन रेस्टोरेंट इंडस्ट्रीज में 20 लाख से अधिक रेस्टोरेंट हैं जो इस समस्या का सामना कर रहे हैं।

ऑटोमेटिक ऑर्डर प्लेसिंग
लेबर कॉस्ट टेक्नोलॉजी में जिस सिस्टम का उपयोग सबसे अधिक किया जा रहा है वह है ऑटोमेटिक ऑर्डर प्लेसिंग। इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने वाले रेस्टोरेंट ऑर्डर लेने के लिए टेबलेट या अन्य सिमिलर डिवाइस का इस्तेमाल कर रहे हैं। रेस्टोरेंट के वो सेक्शन जहां से कस्टमर ऑर्डर प्लेस करता है वहां इन डिवाइस का रखा जाता है। जिसमें मैन्यू के अलावा उसके इंग्रीडिएंट्स व प्रिपरेशन से सबंधित सभी सूचनाएं उपलब्ध रहती है। ऑर्डर लेने के लिए प्रयोग में लाए जा रहे ऐसे डिवाइस की औसत वैल्यू एक वेटर या लेबर से काफी कम आती है।

प्रिपरेशन और टेक्नोलॉजी
कस्टमर के ऑर्डर देने के बाद यह सर्वर की जिम्मेदारी होती है कि वह किचन ऑर्डर टिकिट जनरेट कर उसे मुख्य किचन के डिस्पले बोर्ड पर शो करें। टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से यह प्रक्रिया महज कुछ सैकेंड की रह जाती है। इसका फायदा यह है कि कस्टमर का ऑर्डर जल्द पहुंचता है और उस ऑर्डर में क्या कस्टमाइजेशन है उसको लेकर कोई कंफ्यूजन भी नहीं होता है।

इन्वेंटरी तकनीक पर
इसके जरिए स्वयं या फिर आपका एक एम्प्लॉई रेस्टोरेंट की पूरी इन्वेंटरी को आसानी से मैनेज कर सकता है। आधुनिक पोओएस सिस्टम में नोटिफिकेशन, मैसेज जैसी सर्विस भी उपलब्ध है जो आपके कार्य का आसान बनाती है। वहीं यदि आपके रेस्टारेंट्स के आउटलेटस है तो पीओएस आपके लिए अधिक फायदेमंद होगा।

एम्प्लॉई मैनेजमेंट
एम्प्लॉई की परफॉर्मेंस या उसे डायरेक्शन देने का काम भी इस सिस्टम का है। कस्टमर से जो आपको डिजिटली फीडबैक मिल रहा है उसे बेस बनाकर आप अपने एम्प्लॉई को गाइड कर सकते है कि वह किस प्रकार कस्टमर सर्विस को बेहतर करे।