वन कर्मियों के सम्मान में मनाया जाएगा पार्क डे
मंडला. कान्हा नेशनल पार्क में विंटर सीजन के पक्षियों का सर्वेक्षण किया गया। 25 व 26 फरवरी को हुए दो दिवसीय सर्वे में देशभर के 72 प्रतिभागियों ने भाग लिया। सर्वेक्षण में शामिल होने वाले वॉलिंटियर को पहले प्रशिक्षित किया गया। इस बीच वन मंत्री विजय शाह ने सर्वेक्षण में शामिल वॉलिंटियर्स से अपने अनुभव साझा किए है। बताया गया कि कान्हा पार्क में प्रवासी और स्थानीय पक्षियों की गणना के लिए पक्षियों का सर्वेक्षण मार्च 2017 से शुरू किया गया था। वर्ष 2022 से दो सीजन में भी पक्षियों का सर्वेक्षण किया गया। इस वर्ष विंटर सीजन में पक्षियों का सर्वेक्षण 26 फरवरी तक किया किया गया। सर्वेक्षण के लिए सुबह से वॉलिटियर जंगल में पक्षियों की पहचान करने पहुंचे। पक्षियों को सर्वेक्षण करने वाली टीम ने रात भी जंगल में गुजारी। जंगल के अंदर चौकी दारों के लिए बनाए गए भवन में रहने की व्यवस्था की गई थी। ताकि रात्रि के समय बाहर निकलने वाले पक्षियों का भी सर्वे हो सके। कान्हा नेशनल पार्क के क्षेत्र संचालक एसके सिंह ने बताया कि सर्वे का उद्देश्य कान्हा नेशनल पार्क में पाई जाने वाली पक्षियों की जानकारी एकत्रित करना है। प्रतिभोगियों ने सुबह शाम तक 36 स्थानो पर पक्षियों की जानकारी ली। आवाज रिकार्डिंग के साथ फोटो कलेक्ट की गई। प्रारंभिक रूप में 290 के आसपास पक्षियों की प्रजाति कान्हा नेशनल पार्क में मिली है। अभी इनकी सूची संकलन रिपोर्ट तैयार की जाएगी। तथ्य के आधार पर सूची में शामिल किया जाएगा। रिपोर्ट जारी करने में लगभग 15 दिन का समय लग सकता है। कान्हा नेशनल पार्क काफी बढ़ा क्षेत्र है जिसके कारण यहां पक्षियों की प्रजातियां भी अधिक हैं।
गौरतलब है कि कान्हा नेशनल पार्क में वर्ष 2022 के समर सीजन का सर्वेक्षण 10 से 12 जून को किया गया था, जिसमें 10 राज्यों के 55 वालंटियर शामिल हुए थे। इसमें 282 प्रजाति के पक्षी पार्क में देखे गए थे। जिसमें ड्रॉन्गो कुकू, ग्रे बेलीड कुकू, इंडियन कुकू, ब्राउन हॉक कुकू, स्केली बेलीड वुडपीकेर, पेलेसेस फिश ईगल, वाइट रम्प मुनिया, टॉनी ईगल, रूडी ब्रेस्टेड क्रेक, पफ थ्रोटेड बब्बलर, एमरल्ड डव, ब्लैक हेडेड कुकू श्राइक, क्रिमसन सनबर्ड, ब्लू बेयरडेड बी ईटर, लेसर यलो नेप वुडपीकेर, ग्रीन मुनिया, सिरकीर मल्कोहा समेत अन्य पक्षी दिखे थे। इस इनकी संख्या बढ़ने की उम्मीद है। साथ ही ऐसे पक्षी भी सामने आ सकते हैं जो चार-पांच साल से कान्हा में देखने को नहीं मिले हैं।