बारिश के साथ काम में लग जाएगा ब्रेक
मंडला. अमृत तुल्य जल उपलब्ध कराने, मछली पालन से रोजगार उपलब्ध कराने, सिंचाई आदि की सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्यों को लेकर शुरू हुए अमृत सरोवरों का निर्माण जिले में धीमी गति से चल रहा है। मानसून के आगमन की उल्टी गिनती शुरू हो गई है यदि समय रहते इन सरोवरों का निर्माण पूरा हो जाता तो इस बरसात से ये तालाब लबालब हो जाते और इनका लाभ मिलना भी शुरू हो जाता। लेकिन एक साल में महज 68 तालाबों का निर्माण ही पूरा किया जा सका है। वहीं निर्माण की गुणवत्ता को लेकर भी लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं।
एक ही ठेकेदार कई तालाबों का करा रहे निर्माण
सूत्रों के अनुसार जिले में अमृत सरोवर बनाने का काम अलग ठेकेदारों को मिला है लेकिन यह काम पेटी कांट्रेक्ट में कुछ राजनीतिक रसूख रखने वाले ठेकेदार ने अपने हाथ में ले लिया है। इससे निर्माण कार्य में लेटलतीफी हो रही है वहीं दूसरी ओर सरोवर के बनने के बाद इसका लाभ लेने की आश लगाए ग्रामीण इसके जल्द पूरे होने की राह देख रहे हैं। गुणवत्ता को भी नजर अंदाज किया जा रहा है। कई स्थानें में मजदूरों की जगह सिर्फ मशीनों से काम कराए जाने की सूचना मिल रही है।
जिले में बनाए जाने हैं 105 सरोवर
जिला पंचायत से मिली जानकारी अनुसार जिले में कुल 105 अमृत सरोवर निर्माण का लक्ष्य मिला है इसके एवज में अब तक मात्र 68 सरोवरों का निर्माण ही पूरा हो सका है। हालांकि अधिकारियों का दावा है कि मई समाप्ति तक 80 सरोवरों का निर्माण पूरा करा लिया जाएगा। गौरतलब है कि अमृत सरोवर योजना का शुभारंभ आजादी के अमृत महोत्सव अंतर्गत 24 अप्रेल 2022 को गई थी। प्रत्येक जिलों को लक्ष्य दे दिया गया। जानकारी अनुसार बनाए जा रहे अमृत सरोवरों में करीब 10 हजार घनमीटर पानी सहेजने की क्षमता होगी। वहीं एक सरोवर के निर्माण में करीब 14 से 15 लाख रुपए का व्यय होना है। इतनी राशि खर्च करने के बाद भी न तो समय में इनका निर्माण पूरा हो पा रहा है और जहां निर्माण पूर्व में हो चुका है उसमें गुणवत्ता को लेकर लापरवाही भी उजागर हो चुकी है।
अमृत सरोवर का उद्देश्य
अमृत सरोवर इस योजना के माध्यम से प्रत्येक जिले में तालाबों का निर्माण कराया जाना है जिससे कि गर्मी के समय में होने वाले भूजल की कमी को दूर किया जा सके, इस तालाब में मछली पालन हो सकेगा जिससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, तालाब से आसपास के क्षेत्रों में पेयजल सहित सिंचाई की सुविधा भी उपलब्ध हो सकेगी। जानकारी अनुसार इन सरोवरों का निर्माण जिला पंचायत द्वारा आरईएस के माध्यम से कराया जा रहा है। वहीं संबंधित ठेकेदारों द्वारा तालाब निर्माण में गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा जा रहा है।