मंडला। शनिवार को भाजपा ने बची हुई मंडला सीट के लिए भी अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है। सम्पतिया उइके को मंडला विधानसभा के लिए टिकट दिया गया है। इसी के साथ पिछले कई दिनों से मंडला विधानसभा के लिए टिकट किसे मिलेगा, इस सवाल का जवाब शनिवार को भाजपा द्वारा 92 उम्मीदवारों की पांचवीं सूची में मिल ही गया है।
इसी के साथ अब जिले की तीन विधानसभा सीट के लिए दो बड़ी राजनैतिक पार्टियों के प्रत्याशियों के नाम सामने आ चुके हैं। बिछिया से भाजपा के विजय आनंद मरावी उम्मीदवार बनाए गए हैं। वहीं कांग्रेस ने यहां से नारायण सिंह पट्टा को उम्मीदवार बनाया है।
निवास विधानसभा के लिए भाजपा ने केन्द्रीय मंत्री एवं सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते को टिकट दिया है तो कांग्रेस ने चैन सिंह बरकड़े को उतारा है। मंडला विधानसभा के लिए कांग्रेस की ओर से डॉ अशोक मर्सकोले प्रत्याशी हैं। उनका सामना भाजपा की सम्पतिया उइके से होगा। मंडला विधानसभा सीट के लिए कई दावेदार कतार में थे, जिसमें शिवराज शाह, देव सिंह सैयाम जो वर्तमान में मंडला से विधायक भी हैं वर्तमान विधायक को इस बार संगठन ने मौका नहीं दिया है। इसके अलावा डॉ मुकेश तिलगाम ने भी मंडला विधानसभा सीट के लिए काफी प्रयास किए थे।
कांग्रेस प्रत्याशी ने दी बधाई
भाजपा द्वारा प्रत्याशी घोषित किए जाने के बाद कांग्रेस प्रत्याशी डॉ अशोक मर्सकोले ने बधाई देते हुए कहा कि भाजपा सरकार के कुशासन का जबाब जिले की जनता देगी। हम एक बेहतर भविष्य के लिए जनता के बीच में जा रहे हैं। भाजपा द्वारा जनता को बार-बार गुमराह किया जाता रहा है।
पार्टी नेतृत्व का जताया आभार
गुरूवार शाम मंडला विधानसभा सीट के लिए कांग्रेस ने डॉ अशोक मर्सकोले को अपना उम्मीदवार बनाया वहीं शनिवार शाम को मंडला विधानसभा के लिए भाजपा ने भी सम्पतिया उइके को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है। संपतिया उइके राज्यसभा सांसद एवं 3 बार जिला पंचायत अध्यक्ष भी रह चुकी हैं। टिकट मिलने के बाद उन्होंने केंद्रीय नेतृत्व के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि पार्टी ने मुझ पर जो भरोसा जताया है उस पर संगठन के सभी साथियों के साथ मिलकर खरा उतरने का पूरा प्रयास करेंगी।
मजदूर से लेकर राज्यसभा सांसद तक का सफर
सम्पतिया उइके राज्यसभा से सांसद रही हैं, जिनका कार्यकाल कुछ माह पूर्व ही समाप्त हुआ है। इसके साथ ही संपतिया उइके का राजनैतिक कैरियर काफी संघर्षों के बीच से गुजरा। उन्होंने गरीबी को बहुत पास से महसूस किया है। राजनीति में आने से पहले वे मजदूरी कर परिवार का भरण पोषण करती थी इसके बाद उन्होंने ग्राम पंचायत टिकरवारा से सरपंच का चुनाव लड़ा, और बड़ी जीत अपने नाम दर्ज कराई। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुडकऱ नहीं देखा।