मंडला

छात्रावास के छात्रों को नही दिया जा रहा पेटभर के भोजन

सिर्फ दाल चावल व कभी कभार दें रहे रोटी

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Sep 27, 2022
छात्रावास के छात्रों को नही दिया जा रहा पेटभर के भोजन

मंडला. शिक्षा का स्तर सुधारने और दूरस्थ क्षेत्रों में रहने वाले छात्र-छात्राओं को पढ़ाई की सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से छात्रावास सुविधा उपलब्ध कराई जाती है, ताकि यहां रहकर छात्र-छात्राएं आसानी से पास के स्कूल पहुंचकर अपनी पढ़ाई पूरी कर सकें। जिले में बड़ी संख्या में आदिवासी छात्रावासों का संचालन हो रहा है लेकिन इनमें कई छात्रावास ऐसे भी हैं जहां रहने वाले छात्र-छात्राओं को पेटभर भोजन तक नहीं मिल पा रहा है जबकि सरकार द्वारा छात्रावासों में रहने वाले छात्र-छात्राओं को भरपूर भोजन की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है यही नहीं नहाने का साबुन से लेकर तेल आदि के लिए छात्रवृत्ति के अतिरिक्त राशि छात्रों के खाते में डाली जाती है लेकिन कुछ छात्रावासों में अधीक्षकों की लापरवाही का खामियाजा वहां रहने वाले छात्रों को भुगतना पड़ रहा है।

रात में गायब रहते हैं अधीक्षक

सोमवार का ग्राम पंचायत कटरा अंतर्गत आदिवासी विकास विभाग द्वारा संचालित सीनियर आदिवासी बालक छात्रावास पहुंचने पर देखने को मिला कि यहां एक परिसर में संचालित सीनियर आदिवासी बालक छात्रावास 9 वीं और 10 और सीनियर आदिवासी बालक छात्रावास 11 वीं 12 वीं के साथ सीनियर आदिवासी शासकीय सेवक संतान बालक छात्रावास में किसी में भी अधीक्षक मौजूद नहीं थे। बताया गया कि अधीक्षकों की चुनाव में ड्यूटी लगाई गई है। वहीं जब छात्रावासी छात्रों से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि अधीक्षक सुबह या शाम को आते हैं और फिर चले जाते हैं। रात में सिर्फ छात्रावास के भृत्य ही रहते हैं। जबकि नियमानुसार अधीक्षक को छात्रावास में ही रहना चाहिए, यदि अचानक देर रात किसी छात्र का स्वास्थ्य खराब हो जाए, या फिर कोई अन्य अनहोनी हो जाए तो बच्चे किससे अपनी समस्या बताएंगे। जो माता-पिता अपने बच्चों को अपने से दूर छात्रावास में पहुंचाया है, जब उन्हें पता चलेगा कि जिन अधीक्षक के भरोसे उन्होंने अपने बच्चों को छात्रावास में रहने, पढ़ने के लिए भेजा है वे अधीक्षक तो यहां रहते ही नहीं है तो उनके मन में अपने बच्चों के प्रति असुरक्षा की भावना बन सकती है। कटरा स्थित बालक छात्रावास में पहुंचने पर यहां कुछ छात्र परिसर में घूमते मिले जिन्होंने बताया कि उन्हें सुबह नाश्ता नहीं मिला है वहीं भोजन में सिर्फ दाल-चावल ही दिया जा रहा है। वहीं इस संबंध में छात्रावास के रसोईया ने बताया कि छात्रावास के करीब 110 छात्रों के लिए भोजन पकाने के लिए मात्र तीन कर्मचारी है, कम समय में इतने बच्चों के लिए सभी तरह के व्यंजन बनाना मुश्किल हो जाता है। कम समय में जो बन जाता है उसे बनाकर देते हैं बताया गया कि पहले इस काम के लिए 7-8 कर्मचारी थे लेकिन धीरे-धीरे इनकी संख्या कम होती गई।

कबाड़ में तब्दील हो गया आरओ सिस्टम

छात्रावास परिसर में छात्रों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए आरओ सिस्टम लगाया गया था, लेकिन देखरेख के अभाव में ये सिस्टम अब कबाड़ में तब्दील हो चुका है और छात्रावास में रहने वाले छात्रों को आरओ सिस्टम की सुविधा के बाद भी ट्यूब बेल से मिलने वाला पानी का उपयोग दैनिक कार्यों से लेकर पीने के लिए भी करना पड़ रहा है।

परिसर में मवेशियों का डेरा

देखने में आया कि कटरा अंतर्गत इस आदिवासी बच्चों के छात्रावास परिसर में जगह-जगह आवारा मवेशी घूमते दिखाई दिए। जो इन छात्रावास में रहने वाले बच्चों के लिए दुर्घटना का कारण भी बन सकते हैं अब चूंकि यहां अधीक्षक कम ही रहते हैं ऐसे में इन अव्यवस्थाओं को देखने वाला कोई जिम्मेदार व्यक्ति ही यहां नहीं रहता।

आदिवासी विकास विभाग द्वारा संचालित छात्रावासों की दुर्दशा

आदिवासी बाहुल्य मंडला जिले में आदिवासी बच्चों की पढ़ाई की सुविधा के लिए बड़ी संख्या में आदिवासी छात्रावासों का संचालन किया जा रहा है, जिसके संचालन की जिम्मेदारी आदिवासी विकास विभाग के अधिकारियों को सौंपी गई है लेकिन ये अधिकारी इन छात्रावासों के संचालन में वहां रहने वालों बच्चों की सुविधाओं पर कितना ध्यान देर रहे हैं जिला मुख्यालय से लगे इन छात्रावासों की अव्यवस्थाओं को देखकर सहजता से अंदाजा लगाया जा सकता है।

Published on:
27 Sept 2022 03:20 pm
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