प्रशासन से इस परियोजना को निरस्त करने की मांग कर रहा है
मंडला. बसनिया बांध निरस्त कराने ग्रामीण लामबंद हो गए हैं, बसनिया प्रभावितों द्वारा लगातार शासन प्रशासन से इस परियोजना को निरस्त करने की मांग कर रहा है लेकिन मांग पूरी नहीं की जा रही है। जिसके कारण ग्रामीणों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। अब बसनिया प्रभावितों ने बांध निरस्त ना होने की स्थिति में चुनाव बहिष्कार का मन बना लिए हैं। उन्होंने चुनाव बहिष्कार की चेतावनी देते हुए कहां है कि बसनिया बांध निरस्त नहीं किया गया तो सभी प्रभावित चुनाव बहिष्कार करेंगे।
जानकारी अनुसार नर्मदा नदी पर प्रस्तावित बसनिया बांध भूअर्जन के लिए कलेक्टर कार्यालय मंडला द्वारा विगत 31 अगस्त को अधिसूचना प्रकाशित होने के बाद ग्रामीण आक्रोशित हैं। इस अधिसूचना को लेकर गांव- गांव में प्रभावितो की बैठक की जा रही है। विगत 4 सितंबर को बांध प्रभावितों द्वारा गांव चकदेही में करीब 20 गांव की बैठक आयोजित की। बैठक में मंडला कलेक्ट्रेट और नर्मदा विकास विभाग का अधिसूचना के खिलाफ घेराव करने का निर्णय लिया गया था। जिसके लिए सैकड़ों की संख्या में बसनिया प्रभावित महिला पुरूष प्रदर्शन में शामिल होकर शासन के नाम जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन में बताया गया कि बसनिया बहुउद्देशीय परियोजना से प्रभावित सभी ग्राम संविधान के पांचवीं अनुसूचि के अन्तर्गत अधिसूचित है। मध्यप्रदेश सरकार भू अर्जन पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम 2013 के क्रियान्वयन के लिए 3 सितंबर 2015 को नियम को अधिसूचित किया है। इस नियम की कंडिका-(16) में लिखा गया है कि ग्राम सभा की सहमति संविधान की पांचवीं अनुसूची के अनुसूचित क्षेत्रों में भूमि अर्जन के सभी मामलों में सबंधित ग्राम सभा की पूर्व सहमति ली जाए।
पारदर्शी और निष्पक्ष प्रक्रिया अपनाएं
बसनिया (औढारी) बांध विरोधी संघर्ष समिति अध्यक्ष बजारी लाल सर्वटे ने कलेक्टर से मांग की है कि अलग-अलग प्रभावित गांव से सहमति, असहमति का संकल्प प्राप्त करने के लिए पारदर्शी और निष्पक्ष प्रक्रिया अपनाया जाए। उन्होंने कहा कि इस प्रारूप में ग्राम सभा का संकल्प लेने के लिए आने वाले पदाभिहित अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि ग्राम सभा को इसकी सूचना लिखित में और डोंढी पीटकर एक सप्ताह पूर्व दिया जाए। ग्राम सभा की बैठक ग्राम पंचायत भवन या सार्वजनिक स्थल पर की जाए। ग्राम सभा की सहमति, असहमति बैठक की विडियोग्राफी कराई जाए। ग्राम सभा संकल्प फार्मेट में ग्राम सभा के सदस्यों और पदाभिहित जिला अधिकारी का संयुक्त हस्ताक्षर होना है। यह संयुक्त हस्ताक्षर फार्मेट दो प्रति में बनाया जाए और एक प्रति ग्राम सभा को रिकॉर्ड के रूप में दिया जाए। जिससे फार्मेट में किसी भी तरह का फेरबदल की गुंजाइश न रहे।
काफी संख्या में मौजूद रहे ग्रामीण
ज्ञापन में अधिसूचना के खिलाफ ग्राम सभा द्वारा पारित प्रस्ताव भी संलग्न किया गया है और चेतावनी दी गई है कि अगर सरकार इस परियोजना को निरस्त नहीं करता है तो हम लोग आगामी विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करेंगे। प्रदर्शन के दौरान लोगों ने अधिसूचना की प्रतियां जलाकर विरोध जताया। इस कार्यक्रम में दुपट्टा, रमपुरी, धनगांव, दरगढ, औढारी, बरझर, चकदेही, मटियारी, मुंडी,चकदेही, मुरलापानी, खापा आदि गांव के ग्रामीण शामिल थे। इसके साथ ही नवा कुमार सरनिया सासंद आसाम, दरबू सिंह उईके पूर्व विधायक परसवाड़ा बालाघाट, भूपेंद्र बरकड़े, गौतम सिंह उटीया, पंचम तेकाम मुकादम संघ डिंडौरी, विलेश खराड़ी रतलाम, शिवरावण तिरकाम, रत्न बरकड़े, राम प्रसाद तेकाम जनपद अध्यक्ष मेहंदवानी, नवल सिंह, तितरा मरावी, दयाल सिंह धुर्वे, जिया पंद्राम, मदन कुलस्ते, हरदयाल भवेदी, देवेन्द्र मरावी, सदाराम परस्ते, अमान पोर्ते, तितरा बाई आर्मो, रत्तो मरावी, तीज्जो मरावी, रमली बाई सैयाम आदि शामिल थे।