अमरूद ने बदली किस्मत, तीन साल में ही बना उन्नत
मंदसौर। परंपरागत खेती के दौरान प्राकृतिक मार से नुकसान झेल रहे बर्डियाखेड़ी गांव के किसान रामचंद्र ने अमरूद के उद्यान से न केवल खेती की दिशा बदली, बल्कि स्वयं के विकास की नई राह भी खोल दी। अब किसान की किस्मत बदल गई है। अमरूद के बंपर उत्पादन के चलते गांव में पहले खेरची रूप में बेचना शुरू किया फिर मांग अनुसार अन्य जगह भेजे। रामचंद्र के अनुसार ग्रामसभा में जब योजना के बारे में सुना तो पंचायत पहुंचकर जानकारी ली और नंदन फलोद्यान के तहत अमरूद का बगीचा लगाया। तीन वर्ष तक खूब मेहनत की।
10 से 12 लाख तक होगी आमदनी
बकौल रामचंद्र अभी लगभग 45 दिन और उपज प्राप्त होगी। इससे लगभग 70 हजार की आय होगी। 10 वर्ष में 10 से 12 लाख तक की आय होने का अनुमान है। इस उद्यान के साथ ही अन्य उपज की खेती भी कर रहे हैं। आगामी दिनों में भैंस पालन कर आजीविका को और मजबूत करने की सोच रहे हैं।
250 पौधों से शुरुआत
रामचंद्र के पास चार बीघा जमीन है। सिंचाई के लिए एक कुआं। रबी एवं खरीफ की फसलों की बोवनी करते हैं, लेकिन आय अपर्याप्त थी। परिवार का भरण-पोषण भी मुश्किल से हो रहा था। वर्ष 2020-21 में अमरूद के 250 पौधों की स्वीकृति प्राप्त कर बर्फखान किस्म के उच्च गुणवत्ता वाले पौधे लगाए। तीसरे वर्ष में प्रथम बार उपज को बेचना शुरू किया। नवंबर के अंत तक हजारों रुपए के फल खेरची तौर पर गांव में ही बेच दिए।