scriptखुशखबरी: मोदी सरकार का बड़ा तोहफा, मनरेगा की मजदूरी में होगी बढ़ोतरी | Central government may hike labour charges under MNREGA | Patrika News

खुशखबरी: मोदी सरकार का बड़ा तोहफा, मनरेगा की मजदूरी में होगी बढ़ोतरी

locationनई दिल्लीPublished: Aug 24, 2018 02:45:02 pm

Submitted by:

Manoj Kumar

मनरेगा यूपीए सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है और इसमें ग्रामीण परिवार को एक साल में कम से कम 100 दिन रोजगार की गारंटी दी जाती है।

MNREGA

खुशखबरी: मोदी सरकार का बड़ा तोहफा, मनरेगा की मजदूरी में होगी बढ़ोतरी

नई दिल्ली। यूपीए सरकार की महत्वाकांक्षी योजना महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीय रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) मोदी सरकार को खूब भा रही है। वित्त वर्ष 2018-19 में 55000 हजार करोड़ रुपए का बजट आवंटन करने का बाद अब मोदी सरकार मनरेगा के मजदूरों को एक और तोहफा देने जा रही है। मीडिया इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार मोदी सरकार 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले मनरेगा की मजदूरी में बढ़ोतरी कर सकती है। रिपोर्ट के अनुसार सरकार मनरेगा मजदूरी में संशोधन पर विचार कर रही है और यह संशोधन अगले साल लोकसभा चुनावों से पहले हो सकता है।
मुख्यमंत्रियों की कमेटी तय करेगी बढ़ोतरी

रिपोर्ट के अनुसार, मनरेगा की मजदूरी में वृद्धि के लिए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में राज्यों के मुख्यमंत्रियों की एक उच्च स्तरीय कमेटी गठित की गई है। यह कमेटी ही तय करेगी कि मजदूरी में कितनी वृद्धि की जाए। इस उच्चस्तरीय कमेटी की सिफारिशों को लागू करने का जिम्मा केंद्र सरकार के पास रहेगा। आपको बता दें कि हाल ही में आयोजित क्षेत्रीय सम्मेलन में मनरेगा की कम मजदूरी का मुद्दा उठा था।
मजदूरी में दो बार हो चुकी है बढ़ोतरी

यूपीए-1 सरकार के कार्यकाल में 2006 में लागू की गई मनरेगा योजना में अब तक दो बार बढ़ोतरी की जा चुकी है। यह बढ़ोतरी 2009 में की गई थी। लेकिन तब समस्या यह आई थी कि कई राज्यों ने मनमाने ढंग से न्यूनतम मजदूरी में बढ़ोतरी की थी। फिलहाल अप्रैल 2018 से बिहार में न्यूनतम मजदूरी 237, झारखंड में 210 और हरियाणा में 281 रुपए है। आपको बता दें कि 2006 में शुरुआत से अब तक मनरेगा के तहत 2,636.67 करोड़ पर्सन डेज का रोजगार पैदा हो चुका है। इस पर अब तक 4,76,717.76 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। यह योजना ग्रामीण विकास मंत्रालय के अधीन संचालित होती है और इसमें प्रत्येक ग्रामीण परिवार को एक साल में कम से कम 100 दिनों तक रोजगार दिया जाता है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो