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पांच दिनों से पेट्रोल और डीजल के दाम में कोई राहत नहीं
आईओसीएल से मिली जानकारी के अनुसार बीते सोमवार के बाद से पेट्रोल और डीजल के दाम में कोई बदलाव नहीं हुआ है। जबकि इंटरनेशनल मार्केट में बीते एक सप्ताह में क्रूड ऑयल के दाम में काफी बदलाव देखा जा चुका है। आईओसीएल की वेबसाइट के अनुसार देश के चारों महानगरों दिल्ली, कोलकाता, मुंबई और चेन्नई में पेट्रोल के दाम क्रमश: 69.59, 72.29, 75.30 और 72.28 रुपए प्रति लीटर हैं। जबकि डीजल की कीमत समान महानगरों में क्रमश: 62.29, 64.62, 65.21 और 65.71 रुपए प्रति लीटर है। यही दाम बीते सोमवार को भी थे।
13 रुपए प्रति लीटर कच्चा तेल
मौजूदा समय में इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल की कीमत काफी नीचे है। वहीं भारत के वायदा बाजार में कच्चे तेल के दाम 2000 रुपए प्रति बैरल से नीचे चल रहे हैं। एक बैरल में 159 लीटर होते हैं। अगर कच्चे तेल की तेल लीटर कीमत देखें तो 13 रुपए प्रति लीटर बन रही है, जो देश में एक लीटर पानी की पैक्ड बोतल से भी कम है। उसके बाद भी पेट्रोल और डीजल के दाम में गिरावट क्यों नहीं है यह सोचने वाली बात है। जानकारों की मानें तो सरकार और ऑयल कंपनियों अभी तक 10 रुपए प्रति लीटर से ज्यादा की कटौती कर देनी चाहिए थी। लेकिन 11 जवनरी के बाद से पेट्रोल और डीजल के दाम में सिर्फ 7 रुपए प्रति तक की ही कटौती देखने को मिली है, जो कि काफी कम है।
घाटा कम करने में जुटी सरकार
आखिर पेट्रोल और डीजल के दाम क्यों कम नहीं हो रहे हैं? इस सवाल का जवाब काफी पेचीदा है, क्योंकि इससे सरकार और ऑयल कंपनियों के हित जुड़े हुए हैं। वास्तव में मौजूदा समय में सरकार और ऑयल कंपनियां अपने घाटे को कम करने में जुटी हुई हैं। सरकार का सबसे ज्यादा इंपोर्ट बिल क्रूड ऑयल का होता है। क्योंकि सरकार को डॉलर में इसकी कीमत चुकानी होती है। जिसकी वजह से सरकार राजकोषीय घाटे में इजाफा होता है। क्रूड ऑयल जितना महंगा होता है, सरकार का घाटा उतना ही बढ़ता जाता है। मौजूदा समय में क्रूड ऑयल के दाम ऐतिहासिक स्तर पर कम है। ऐसे में सरकार दाम को स्थिर रखकर अपने घाटे को कम करने में जुटी हुई हैं।
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रुपए में गिरावट
वहीं दूसरी ओर रुपया ऐतिहासिक गिरावट पर है। डॉलर के मुकाबले 75 रुपए तक गिर गया है। ऐसे में भारत के लिए क्रूड ऑयल का आयात काफी महंगा होगा। 2016 के बाद रुपए और डॉलर एक दूसरे के प्रति काफी बैलेंस दिखाई दे रहे थे। ऐसे में अब डॉलर का बढऩा क्रूड ऑयल की कीमतों को सपोर्ट करता है। जिसकी वजह से सरकार और ऑयल कंपनियों की ओर से कीमतों में कटौती नहीं की जा रही है।
बाजार की अस्थिरता
केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया का कहना है कि मौजूदा समय में बाजार में काफी अस्थिरता है। कोरोना वायरस की वजह से डिमांड काफी कम है, जिसकी वजह से भाव काफी कम है। भारत सरकार बाजार की अस्थिरता को देखते हुए दामों में स्थिरता बनाए हुए हैं। जिसकी वजह से देश के आम लोगों को मौजूदा समय में राहत नहीं मिल पा रही है। वहीं रुपए में गिरावट भी एक बड़ी वजह है।
नहीं है लॉकडाउन की स्थिति
ऐसा नहीं है कि भारत में कच्चे तेल का इंपोर्ट बंद हो गया है। इस बारे में एंजेल ब्रोकिंग के डिप्टी वाइस प्रेसीडेंट ( कमोडिटी एंड रिसर्च ) अनुज गुप्ता ने बताया कि सरकार के पास 15 दिनों का ऑयल रिजर्व रहता है। वहीं प्राइवेट कंपनियों के पास 25 दिनों का ऑयल रिजर्व बना हुआ है। जब भी ऑयल की जरुरत होती है तब समुद्र के रास्ते ऑयल की सप्लाई कर दी जाती है। आने वाले दिनों में क्रूड ऑयल के दाम में और कटौती देखने को मिल सकती है।