
नई दिल्ली। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड ( सेबी ) ने लिस्टेड कंपनियों के लिए शेयर बायबैक या वापस खरीदने के नियमों को आसान किया है। विशेषरूप से ऐसी कंपनियां जिनकी आवास वित्त या गैर बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र ( एनबीएफसी ) में अनुषंगी इकाइयां हैं, के लिए बायबैक नियमों में ढील दी गई है।
सेबी के निदेशक मंडल की यहां हुई बैठक में इस बारे में प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। सूचीबद्ध कंपनियों की शेयर पुनर्खरीद की निगरानी सेबी पुनर्खरीद नियमन के साथ कंपनी कानून के तहत निगरानी की जाती है।
क्या है नियम
कंपनियों को जिस प्रमुख शर्त को पूरा करना होता है उनमें एक शर्त यह है कि पुनर्खरीद पेशकश कुल चुकता पूंजी या कंपनी के मुक्त आरक्षित कोष के 25 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती। लेकिन पुनर्खरीद का आकार 10 प्रतिशत से अधिक होने पर विशेष प्रस्ताव के जरिये शेयरधारकों की मंजूरी लेना जरूरी है।
इसके अलावा पुनर्खरीद की अनुमति उसी स्थिति में दी जा सकती है जबकि कंपनी का गारंटी वाला बिना गारंटी वाला कर्ज पुनर्खरीद के बाद चुकता पूंजी या मुक्त आरक्षित कोष का दोगुना से अधिक नहीं हो।
हाल ही में उठे थे सवाल
सेबी पुनर्खरीद की सीमा तय करने के लिए एकल तथा एकीकृत आधार पर कंपनी के बही खातों को देखता है। हाल के समय में इसको लेकर कई तरह के मुद्दे उठाए गए हैं। कंपनियों के एकीकृत खातों में कई बार अनुषंगियों पर एनबीएफसी और आवास वित्त क्षेत्र में उनकी मौजूदगी की वजह से ऊंचा कर्ज रहता है।
सेबी द्वारा नियमनों में संशोधन के प्रस्ताव से पहले कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने गैर बैंकिंग वित्तीय और आवास वित्त गतिविधियां करने वाली सरकारी कंपनियों को पुनर्खरीद की अनुमति की अधिसूचना जारी की है। यह अनुमति शेयर पुनर्खरीद के बाद 6:1 ऋण से इक्विटी अनुपात तक के लिए होगी।
Updated on:
22 Aug 2019 08:17 am
Published on:
22 Aug 2019 08:16 am
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