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यहां कृष्ण भगवान को लगता है मिट्टी के पेड़ों का भोग, श्रद्धालुओं को प्रसाद में दी जाती है मिट्टी

यह वही मंदिर है जहां भगवान कृष्ण ने यशोदा मैया को मुंह में ब्रह्मांड के दर्शन कराए थे। जन्माष्टमी के मौक पर हम आपको बता रहे हैं पूरी कहानी।

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मथुरा

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Amit Sharma

Aug 23, 2019

मथुरा। महावन क्षेत्र में एक ऐसा मंदिर है, जहां भगवान कृष्ण को मिट्टी के पेड़ों का भोग लगता है। अभी तक आपने कृष्ण भगवान को माखन मिसरी और अन्य मिठाइयों का भोग लगते देखा होगा लेकिन मथुरा के ब्रह्मांड घाट पर स्थित मंदिर में मिट्टी के पेड़ों का भोग लगाया जाता है। यह वही मंदिर है जहां भगवान कृष्ण ने यशोदा मैया को मुंह में ब्रह्मांड के दर्शन कराए थे। जन्माष्टमी के मौक पर हम आपको बता रहे हैं पूरी कहानी।

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मां यशोदा को कराए थे ब्रह्मांड के दर्शन
वैसे तो मथुरा में भगवान श्री कृष्ण की अलौकिक लीलाओं का दर्शन हर जगह है, लेकिन बाल लीलाओं में से एक लीला है मैया यशोदा को ब्रह्मांड के दर्शन कराना। भगवान श्री कृष्ण और बलदाऊ भैया गाय चराने के लिए यमुना किनारे आते थे। बचपन में भगवान कृष्ण मिट्टी खाते थे। उसी समय किसी ने मैया यशोदा से भगवान श्री कृष्ण की शिकायत की कि तुम्हारा लल्ला तो मिट्टी खा रहा है। यह सुन यशोदा मैया कृष्ण भगवान के पास पहुंची और पूछा कि लल्ला तुमने मिट्टी खाई है, तो भगवान श्री कृष्ण ने गर्दन हिलाकर मना कर दिया। मैया यशोदा ने कृष्ण भगवान का मुंह जबरस्ती खोलने की कोशिश की यह देखने के लिए कि कान्हा ने मिट्टी खाई है कि नहीं। जैसे ही भगवान श्रीकृष्ण ने मुंह खोला, मैया यशोदा को पूरे ब्रह्मांड के दर्शन हो गए। तभी से इस जगह को ब्रह्मांड घाट कहा जाता है। ब्रह्मांड दिखाने के कारण इस मंदिर का नाम ब्रह्मांड बिहारी पड़ गया। इस मंदिर की सबसे अद्भुत और खास बात यह है कि यहां भगवान श्रीकृष्ण ने बचपन में मिट्टी खाई थी, इसलिए यहां भगवान को लगने वाला भोग मिट्टी का होता है। मिट्टी के पेड़ों का भोग लगने वाला यह एकमात्र मंदिर है।

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प्रसाद बनाने के लिए यमुना से लाते हैं मिट्टी
मिट्टी के पेड़े का भोग या प्रसाद बनाने के लिए पास में बह रही यमुना जी से ही मिट्टी को निकाला जाता है। फिर उसके पेड़े बना कर श्रद्धालुओं को दिए जाते हैं। श्रद्धालु मिट्टी के पेड़ों को प्रसाद अपने घर ले जाते हैं। ब्रह्मांड घाट पर ब्रह्मांड बिहारी मंदिर के दर्शन करने के लिए रोज हजारों श्रद्धालु मंदिर आते हैं। मंदिर पहुंचने के बाद वहां स्थित यमुना जी में स्नान कर पूजा अर्चना करते हैं। यहां आने वाले श्रद्धालुओं को भी इस बात का अचंभा होता है ऐसा पहली बार देखा कि जहां किसी भगवान को मिट्टी का प्रसाद लगता हो।

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नौ लाख गायें थीं
उद्धव स्वामी ने बताया कि भगवान के यहां 9,00,000 गायें थी। जो बच्चे बचपन में करते हैं, भगवान भी मिट्टी खाते थे। इसलिए यहां मिट्टी का भोग लगता है और आने वाले श्रद्धालुओं को मिट्टी ही प्रसाद में दी जाती है। मैया यशोदा को ब्रह्मांड के दर्शन कराने के कारण इस घाट का नाम ब्रह्मांड घाट पड़ा और भगवान का नाम ‘ब्रह्मांड में हरी’ पड़ा। मिट्टी के पेड़े का प्रसाद बेच बेच रहे विष्णु ने बताया कि यहां भगवान ने मिट्टी खाई थी, इसलिए यहां मिट्टी का प्रसाद लगता है।